जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने एक समाचार पोर्टल के संपादक को 22 महीने जेल में रहने के बाद जमानत देते हुए उनके खिलाफ आतंकी साजिश सहित कई आरोपों को खारिज कर दिया है।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने करीब 22 महीनों से जेल में बंद कश्मीरी पत्रकार सज्जाद अहमद डार जमानत दे दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने उनके खिलाफ आतंकी साजिश सहित कई आरोपों को खारिज कर दिया है। वहीं, हाईकोर्ट ने एक और पत्रकार फहद शाह को भी उनकी बंद हो चुकी पत्रिका ‘द कश्मीर वाला’ में कथित तौर पर देश विरोधी लेख छपने के मामले में जमानत दे दी है। जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बहुत तल्ख टिप्पणी भी की।
आतंकवादी साजिश सहित कई आरोप लगे थे
हाईकोर्ट के समक्ष कश्मीर वाला समाचार पोर्टल के संपादक का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील पीएन रैना ने कहा कि हम जमानत में निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन कर रहे हैं। फहद शाह को जेल से बाहर आने में कुछ समय लगेगा। उन्होंने कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की आतंकवादी साजिश (धारा 18) और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने (धारा 121) और भारतीय दंड संहिता की राष्ट्रीय-एकीकरण (धारा 153-बी) के लिए हानिकारक आरोप जैसे आरोप लगाए गए थे। कोर्ट ने शाह के खिलाफ खारिज कर दिया।
जानिए हाईकोर्ट ने क्या-क्या कहा
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर कहा कि पत्रकार सज्जाद अहमद डार के खिलाफ कोई खास आरोप नहीं थे। कोर्ट में यह साबित नहीं हो सका कि वह सुरक्षा के लिए किसी तरह से खतरा हैं। जस्टिस कोटेश्वर सिंह और जस्टिस एम.ए. चौधरी की बेंच ने कहा कि प्रशासन ने खुद माना है कि आरोपी ने पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है और एक पत्रकार के तौर पर काम कर रहा था।
प्रशासन ने किया कानून का दुरुपयोग
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि प्रशासन की तरफ से सरकारी नीतियों, आयोग, अथवा सरकारी मशीनरी की आलोचना करने वालों को इस तरीके से हिरासत में लेना पूरी तरह कानून का दुरुपयोग है। एक मीडिया कर्मी को इस तरीके से हिरासत में लेना कानून का दुरूपयोग दायरे में आता है।