अफ्रीकी देशों के अलावा दुनिया के कई विकासशील राष्ट्रों का मानना है कि अभी टैक्स की व्यवस्था अमेरिका, ब्रिटेन जैसे विकसित देशों को फायदा पहुंचाने वाली है। इसी के लिए यह प्रस्ताव लाया गया था।
संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत ने टैक्सेशन पर लाए अफ्रीकी देशों के प्रस्ताव का समर्थन किया है और वोटिंग में जीत भी मिली है। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों के खिलाफ जाते हुए भारत ने 54 देशों के अफ्रीकी महासंघ के प्रस्ताव का समर्थन किया। यही नहीं वोटिंग में बड़े अंतर से जीत भी मिली है। ‘प्रमोशन ऑफ इनक्लूसिव एंज इफेक्टिव इंटरनेशनल टैक्स कॉपरेशन एट यूनाइटेड नेशंस’ नाम से पेश किए गए प्रस्ताव में मांग की गई है कि दुनिया में टैक्स के नियमों में समानता लाई जाए। अफ्रीकी देशों के अलावा दुनिया के कई विकासशील राष्ट्रों का मानना है कि अभी टैक्स की व्यवस्था अमेरिका, ब्रिटेन जैसे विकसित देशों को फायदा पहुंचाने वाली है।
इस प्रस्ताव के लागू होने से ग्लोबल टैक्स पॉलिसी में समानता की स्थिति आएगी। अभी OECD यानी ऑर्गनाइजेशन ऑफ इकनॉमिक कॉपरेशन एंड डिवेलपमेंट पर विकसित देशों का नियंत्रण है। विकासशील देशों का कहना है कि इस संगठन के नियमों से मल्टीनेशनल कंपनियों को फायदा होता है। इसके चलते वे गरीब देशों में कम टैक्स देती हैं, जबकि अमीर राष्ट्रों को अच्छा खासा टैक्स चुकाती हैं। यही वजह है कि यूएन में यह प्रस्ताव लाया गया है, जिसमें टैक्सेशन और उससे कमाई में असमानता का जिक्र किया गया है।
गरीब देश लंबे समय से यह कहते रहे हैं कि OECD के टैक्स नियमों से मल्टीनेशनल कंपनियों को फायदा मिलता है। वे कमजोर अर्थव्यवस्था वाले देशों को जरूरी रेवेन्यू नहीं देती हैं। अफ्रीका, ब्राजील, भारत और चीन जैसे देशों का मानना है कि इससे हमें गरीबी और पर्यावरण के संकट से निपटने में मदद नहीं मिलती है। ऐसे में टैक्सेशन में समानता होनी चाहिए। रेवेन्यू की साझेदारी में यह असमानता ठीक नहीं है। संयुक्त राष्ट्र में पेश प्रस्ताव भारत, चीन, ब्राजील जैसे ब्रिक्स देशों के सदस्यों के समर्थन से 125 बनाम 48 के बहुमत से पारित हुआ है।
तीसरी दुनिया के देशों की मांग रही है कि टैक्सेशन की व्यवस्था में संयुक्त राष्ट्र का ज्यादा दखल होना चाहिए। दरअसल अभी इस व्यवस्था पर OECD की ज्यादा पकड़ है। यह संगठन 39 देशों का समूह है, जो उच्च आय वर्ग में आते हैं। ऐसे में इस संगठन की ओर से तय टैक्स के नियम कमजोर देशों के हितों के विपरीत ही रहे हैं। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र में पेश प्रस्ताव को भारत के अलावा चीन, ब्राजील ने भी समर्थन किया था। इस तरह अफ्रीकी देशों के समूह ने जो प्रस्ताव रखा था, वह बड़े बहुमत के साथ पारित हो गया।