श्मशान से अस्पताल तक: चिता से जिंदा लौटे मरीज की 12 घंटे बाद मौत, लापरवाही पर 3 डॉक्टर सस्पेंड”

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श्मशान घाट पर जिंदा हुआ युवक, इलाज के दौरान मौत, लापरवाही पर तीन डॉक्टर निलंबित

राजस्थान के झुंझुनूं जिले में चौंकाने वाला मामला सामने आया है। श्मशान घाट में चिता पर लेटे एक युवक की सांसें अचानक चलने लगीं, जिससे वहां मौजूद लोग स्तब्ध रह गए। इस युवक को पहले झुंझुनूं के भगवान दास खेतान (BDK) सरकारी अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया था और उसकी बॉडी मॉर्च्युरी में दो घंटे तक रखी गई थी।

युवक का नाम रोहिताश (25) था, जो अनाथ था और मां सेवा संस्थान के बगड़ स्थित आश्रय गृह में रहता था। गुरुवार दोपहर उसकी तबीयत बिगड़ने पर उसे बीडीके अस्पताल लाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे कुछ ही मिनटों में मृत घोषित कर दिया। इसके बाद उसकी बॉडी को मॉर्च्युरी के डीप फ्रीजर में रखा गया।

शाम करीब पांच बजे अंतिम संस्कार के दौरान, चिता पर रखते ही रोहिताश की सांसें चलने लगीं और उसका शरीर हिलने लगा। आनन-फानन में उसे दोबारा अस्पताल ले जाया गया। पहले बीडीके और फिर जयपुर के एसएमएस अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी 12 घंटे बाद मौत हो गई।

डॉक्टरों पर लापरवाही के आरोप
इस घटना के बाद बीडीके अस्पताल के तीन डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगा है।

  1. डॉ. योगेश कुमार जाखड़: इन्होंने इमरजेंसी में मरीज को सबसे पहले देखा और मृत घोषित किया।
  2. डॉ. नवनीत मील: इन्होंने जिंदा व्यक्ति का पोस्टमार्टम किया और रिपोर्ट में फेफड़े फेल होने से मौत का कारण बताया।
  3. डॉ. संदीप पचार: ये बीडीके अस्पताल के पीएमओ हैं, जिन्होंने इस मामले को सीनियर अधिकारियों से छिपाए रखा।

कलेक्टर ने लिया कड़ा एक्शन
जिला कलेक्टर रामअवतार मीणा ने रातों-रात कार्रवाई करते हुए तीनों डॉक्टरों को निलंबित कर दिया। निलंबन के दौरान डॉ. जाखड़ को बाड़मेर, डॉ. मील को जालोर, और डॉ. पचार को जैसलमेर मुख्यालय में तैनात किया गया है।

इस घटना ने सरकारी अस्पतालों की कार्यप्रणाली और लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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