छ.ग : कांग्रेस के किले को पू‍र्व सैनिक टोप्पो ने ढहाया; खाद्यमंत्री अमरजीत भगत, TS सिंहदेव…!

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ठाकुरराम यादव 1951 से अस्तित्व में आई सीतापुर सीट में पहली बार भाजपा का परचम लहरा गया। कांग्रेस का गढ़ रही इस सीट को पूर्व सैनिक रामकुमार टोप्पो ने ढहा दिया। इसी के साथ इस सीट पर भाजपा का खाता खुल गया। कांग्रेस इस सीट को बचाने में दूसरी बार फेल रही। एक बार इस सीट पर निर्दलीय ने जीत हासिल की थी। यही नहीं, मरवाही सीट भी कांग्रेस हार गई है।

तीन चुनाव से अंबिकापुर से विधायक चुनकर आ रहे उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव अपने साथ-साथ पार्टी की इस सीट को बचाने में पूरी तरह फेल साबित हुए। बिंद्रानवागढ़ को छोड़कर भाजपा अपनी परंपरागत सीटें बचाने में कामयाब रही। सीतापुर सीट पर भाजपा कभी भी नहीं जीती। 1998 में निर्दलीय प्रो. गोपाल राम जीते थे। राज्य बनने के बाद 2003 से अमरजीत भगत इस सीट से जीतते आ रहे थे।

परिणाम इस तरह के भी : इन सीटों को बचाने में सफल रहीं कांग्रेस, भाजपा का बिंद्रानवागढ़ कांग्रेस के पास
खरसिया-कोंटा बच गईं
कांग्रेस की गढ़ मानी जाने वाली खरसिया सीट एक बार फिर से कांग्रेस की झोली में आ गई। यहां से कांग्रेस के उमेश पटेल जीते हैं। वहीं बस्तर की कोंटा को कांग्रेस बचाने में कामयाब रही। 1972 में जनसंघ प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। 1998 कवासी लखमा जीतते आ रहे हैं।

कोटा जोगी कांग्रेस से छीना
बिलासपुर की कोटा भी कांग्रेस की सीट रही है। यहां से कांग्रेस के अटल श्रीवास्तव जीते हैं। यह सीट 1951 में अस्तित्व में आई थी। 1972 में कांग्रेस के मथुरा प्रसाद ने जीत दर्ज की। राज्य बनने के बाद राजेंद्र प्रसाद शुक्ल जीते और विधानसभा अध्यक्ष बने।

रायपुर दक्षिण किला मजबूत
रायपुर दक्षिण सीट पर भाजपा के पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने ऐतिहासिक जीत हासिल कर अपना किला बचा लिया। 2008 मसे बृजमोहन यहां से लगातार विधायक बन रहे हैं। वैसे बृजमोहन 1990 से रायपुर शहर सीट से लगातार विधायक हैं।

मुंगेली फिर से मोहले जीते
मुंगेली से भाजपा के पुन्नुलाल मोहले जीत गए हैं। 2008 से यह सीट भाजपा के पास है। यहां से लगातार भाजपा के पुन्नूलाल मोहिले जीतते आ रहे हैं। 2003 में यहां से कांग्रेस के चंद्रभान एक बार जीत पाए। बेलतरा सीट को भाजपा बचाने में कामयाब रही। यहां से भाजपा के सुशांत शुक्ला ने कांग्रेस के विजय केशरवानी को हराया है। यह सीट पिछले 15 साल से भाजपा के पास है। यहां से बद्रीधर दीवान लगातार जीतते रहे हैं। 2008 में परिसीमन के बाद यह सीपत से बेलतरा हुई।

बिंद्रानवागढ़ नहीं बचा पाई भाजपा: 2008 से लगातार जीत रही इस सीट को भाजपा हार गई है। कांग्रेस के जनक ध्रुव ने इस सीट से भाजपा के गोवर्धन सिंह मांझी को हरा दिया है। भाजपा हर बार यहां चेहरे बदलती रही है और हर बार जीतती रही है। 2008 में डमरूधर पुजारी जीते। 2013 में गोवर्धन सिंह को टिकट दिया गया और 2018 फिर से डमरूधर पुजारी प्रत्याशी बनाए गए। 2003 में कांग्रेस के ओंकार शाह विधायक बने थे।

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