गांजे पैकेट्स के साथ गाड़ी ओडिशा से छत्तीसगढ़ होते हुए महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश बॉर्डर तक 1400 किमी चली, कहीं कोई चेकिंग नहीं…!

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ओडिशा से छत्तीसगढ़ और वहां से महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश तक आसानी से गांजा पहुंच रहा है। छग पुलिस ने 30 तारीख को ही 517 किलो गांजा एनएच-53 से पकड़ा है। विभाग के पास पर्याप्त आंकड़े हैं ये साबित करने के लिए कि वे एक्टिव हैं और तस्करों पर लगाम कसने के लिए सालभर लगातार कार्रवाई करते रहते हैं। बावजूद इसके इससे कहीं ज्यादा गांजा तस्कर मार्केट तक पहुंचाने में कामयाब हो रहे हैं।

इसकी हकीकत जानने के लिए मीडिया मलकानगिरी होते हुए मुखीगुड़ा गांव पहुंचा। उसके बाद गाड़ी में गांजा तस्करी के एक जानकार के साथ छत्तीसगढ़ और तीन राज्यों में गांजे की सप्लाई को समझने के लिए गाड़ी में गांजे के डमी पैकेट्स गाड़ी में भरकर मलकानगिरी से निकले। वहांं से ओडिशा होते हुए छग पार किया। महाराष्ट्र और मप्र तक पहुंचे। इस दौरान 1400 किमी का सफर करते हुए 14 जिले और 7 टोल से होकर गुजरे। एक जगह गाड़ी रोकी लेकिन कहीं भी चेकिंग नहीं हुई।

इन स्थानों से भी होकर गुजरी मीडिया की टीम
पाटेकोहरा बैरियर (छग-महाराष्ट्र), छिबर्रा नाका, डोंगरीनाला (छग-ओडिशा) और कोमाखान, भगत देवरी बॉर्डर। इसके अलावा छग के कई जिलों में होने वाली लोकल चेकिंग से होते हुए गुजरे। साथ में रास्ते में 7 टोल प्लाजा से होकर निकले।

मुखीगुड़ा: गांजे का सौदा, 800 रु. किलो वाला 700 में देने तैयार

मलकानगिरी में अपनी गाड़ी छोड़नी पड़ी क्योंकि मीडिया के साथ गए साथी ने बताया कि टैक्सी से जाने पर ही काम होगा। जब तक गांव में आप लोकल भाषा में बात नहीं करोगे तब तक कोई नहीं बताएगा कि गांव में गांजा है भी। हम लगभग 2 घंटे की यात्रा कर गांव पहुंचे। लगभग 30 घर होंगे। गांव वाले तुरंत तो तैयार नहीं हुए लेकिन टैक्सी वाले ने एक एजेंट से मिलवाया। उसने बताया कि गणेश चतुर्थी के आसपास गांजे के फसल की बोनी होती है।

तीन से चार महीने में ये तैयार हो जाते हैं। जैसे कि अभी नई फसल कुछ आ गई है। कुछ दिसंबर जनवरी तक आती रहेंगी। पूरा गांव घूमे। यहां हर घर में कम से कम 50 से 100 किलो का स्टॉक हमेशा रहता है। हमने सौदा किया। गांजे के सैंपल लिए। और वहां से निकल गए। मलकानगिरी में हमने अपनी गाड़ी में हूबहू गांजे के पैकेट्स जैसे दिखने वाले डमी तैयार किए। फिर वहां से ओडिशा के लिए निकले। क्योंकि तस्करों का सबसे बड़ा सप्लाई नेटवर्क ओडिशा से जुड़ा हुआ है।

जितना गांजा पुलिस पकड़ती है… उससे कई गुना माल तस्कर खपा रहे हैं

केस 1- मध्यप्रदेश बॉर्डर

चेकिंग जारी, गाड़ी चेक नहीं की: गांजे के पैक्ट्स को गाड़ी में रख नेशनल हाईवे से होते हुए चिल्फी बॉर्डर पर चेकिंग हो रही थी। हमारी गाड़ी को किसी ने नहीं रोका। और गाड़ी मप्र पार कर गई। वहां से वापस चिल्फी बॉर्डर होते हुए छग पहुंचे। तब भी किसी ने नहीं रोका।

केस 2- महाराष्ट्र बॉर्डर

कोई रोक-टोक नहीं : महाराष्ट्र में गोंदिया से होते हुए हम बालाघाट पहुंचने से पहले लांजी रूट पर मुड़ गए। पूरा एरिया जंगल का है। पूरे रूट में कहीं कोई चेकिंग प्वाइंट नहीं। न ही इस इलाके में कोई टीम थी। चेकिंग के लिए बैरिकेडिंग तक नहीं थी।

केस 3 – ओडिशा बॉर्डर

कहीं चेकिंग नहीं: बरगढ़ से वापस सारंगढ़ रूट पकड़ा। ओडिशा के सोहेला से छैलभाथा होते हुए बरमकेला पहुंचे। यहां बॉर्डर पर पूछताछ तो हुई। गाड़ी चेक नहीं किया। वहां से सरायपाली होते हुए रायपुर और दुर्ग तक पहुंचे। इस दौरान 4 नाकों पर काेई चेकिंग नहीं हुई।

नशे की तस्करी रोकने प्रदेशभर में 23 चौकियों को सैंक्शन किया था। यहां सतत निगरानी के निर्देश स्थानीय पुलिस को दिए गए थे।
संजीव शुक्ला, आईजी, सीआईडी

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