सम्पूर्ण विश्व इस बात से अवगत है की इस्लामिक कटटरवाद , अमानवीयता , क्रूरता , हिंसा एवं आतंकवाद को पोषित और प्रसारित करता है जिसका प्रमाण सोशल मीडिया पर लगी सूचनाओं का अम्बार है । इतिहास में घटित असंख्य प्रकरण हैं जिनमे मजहब के नाम पर ह्रदय विदारक नरसंघार हुआ लेकिन उस समय सत्यता को प्रसारित करने का कोई स्वतंत्र माध्यम नहीं था परन्तु आज ऐसी कोई घटना नहीं है जो सोशल मीडिया के माध्यम से जनमानस तक न पहुँचती हो।
सोशल मीडिया मजहबी कटटरवाद की क्रूरतम सूचनाओं से भरा पड़ा है विश्व का प्रत्येक व्यक्ति जानता है की इस्लामिक कटटरवाद समाज और मानवता का कितना बड़ा दुश्मन है तत्पश्चात भी सब मौन हैं यह चिंताजनक है। समस्या सबको पता है परन्तु समाधान पर कोई चर्चा नहीं करना चाहता ।
यदि चर्चा मात्र समस्या तक ही सीमित रही तो भविष्य क्या होगा यह भी विचारणीय है । इस कट्टरवाद को कुछ लोगों ने आतंक का नाम दिया तो कुछ ने यहाँ तक कहा की आतंक एक मानसिक रोग है जिसका सम्बन्ध किसी मजहब से नहीं , क्या वास्तव में यह पूर्ण सत्य है शायद नहीं आतंक नाम का कोई विषय ही नहीं है, विषय है तो उस मजहबी कट्टरवाद का जो इस्लाम के नाम पर अमानवीयता को जन्म देता है ।
अतः यह आवश्यक है की उस विचार, शिक्षा और व्यवस्था को समाप्त करने का काम करना चाहिए जिसके कारण प्रत्येक आतंक का सम्बन्ध इस्लाम से ही स्थापित हो जाता है ।
दिव्य अग्रवाल,
लेखक व विचारक