नई दिल्ली।
डिजिटल युग में बच्चों के हाथ में किताबें कम और मोबाइल-टैबलेट ज़्यादा नजर आते हैं। छुट्टियों, वीकेंड्स या फ्री टाइम में बच्चे घंटों तक टीवी, यूट्यूब या वीडियो गेम्स में खोए रहते हैं। इसका असर न केवल उनकी आंखों, नींद और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है, बल्कि धीरे-धीरे एकाग्रता, रचनात्मकता और पढ़ाई में रुचि भी घटती जाती है।
ऐसे समय में पैरेंट्स के सामने सबसे बड़ी चुनौती है — बच्चों को स्क्रीन से हटाकर किताबों से जोड़ना। लेकिन यह काम मुश्किल जरूर है, नामुमकिन नहीं। अगर आप थोड़ी समझदारी और क्रिएटिविटी अपनाएं, तो किताबें भी बच्चों के लिए टीवी से कम मजेदार नहीं होंगी।
यहां जानिए ऐसे 5 असरदार तरीके, जो आपके बच्चे को किताबों से दोस्ती करने के लिए प्रेरित करेंगे:
1. पढ़ने का समय बनाएं मजेदार रूटीन
बच्चों के लिए किताब पढ़ने को एक डेली एक्टिविटी बनाइए — जैसे सोने से पहले 15-20 मिनट की स्टोरी टाइम।
इसे बोरिंग पढ़ाई की तरह नहीं, बल्कि एक मज़ेदार खेल या कहानी का रोमांच बनाकर पेश करें।
अगर ये आदत लग गई, तो बच्चा खुद ही हर दिन किताब मांगने लगेगा।
2. कहानियों को बनाएं इंटरैक्टिव और एक्टिव
सिर्फ किताब पढ़ना काफी नहीं — कहानियों को अभिनय, आवाजों और रोल-प्ले के साथ दिलचस्प बनाइए।
जैसे – शेर की आवाज खुद निकालिए, परी की तरह उड़ने का अभिनय कीजिए।
इससे न सिर्फ बच्चे को मज़ा आएगा, बल्कि वो अगली कहानी के लिए उत्साहित रहेगा।
3. बच्चे की पसंद की किताबें चुनें
हर बच्चे की अलग रुचि होती है – कोई जानवरों से प्यार करता है, किसी को सुपरहीरो या परियों की दुनिया पसंद है।
उनकी पसंद को समझें और उसी से जुड़ी चित्र-पुस्तकें, कामिक्स या छोटी कहानियां लाकर दीजिए।
जब बच्चा खुद को उस कहानी में देखेगा, तो पढ़ना ज़िम्मेदारी नहीं, खुशियों की बात लगेगी।
4. घर में बनाएं रंगीन मिनी लाइब्रेरी
घर के किसी कोने को किताबों के लिए एक आकर्षक स्पेस बनाएं।
रंग-बिरंगी बुक शेल्फ, पोस्टर, बैठने के लिए कंबल या कुशन और कुछ खिलौने जोड़कर उस कोने को बुक क्लब जैसी फीलिंग दें।
जब किताबें बच्चे की आंखों के सामने रहेंगी, तो वो खुद उनकी ओर खिंचा चला जाएगा।
5. स्क्रीन टाइम कम करने के लिए दें किताब का विकल्प
अगर बच्चा टीवी या मोबाइल मांगता है, तो कहें —
“पहले 10 मिनट कोई कहानी पढ़ो, फिर 10 मिनट स्क्रीन मिलेगा।”
धीरे-धीरे बच्चा खुद किताबों में रुचि लेने लगेगा और स्क्रीन की डिमांड घटेगी।
किताब से जुड़ी ड्राइंग, क्विज या एक्टिंग एक्टिविटी भी करवा सकते हैं।
क्यों जरूरी है बचपन में पढ़ने की आदत?
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किताबें न केवल ज्ञान देती हैं, बल्कि कल्पनाशक्ति, भाषा विकास और सोचने की क्षमता को भी निखारती हैं।
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स्क्रीन पर समय बिताने से बच्चों में धैर्य की कमी, चिड़चिड़ापन और आंखों की थकान जैसे लक्षण बढ़ते हैं।
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किताबें बच्चों को जिज्ञासु, संवेदनशील और बेहतर निर्णय लेने वाला इंसान बनाती हैं।
मुख्य बातें (Key Takeaways):
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रोजाना 15-20 मिनट की रीडिंग रूटीन बनाएं
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कहानियों को अभिनय और एक्सप्रेशन के साथ इंटरैक्टिव बनाएं
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बच्चे की पसंद की किताबें लाकर उसे आकर्षित करें
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घर में किताबों के लिए एक खूबसूरत कोना बनाएं
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स्क्रीन की जगह किताब को विकल्प बनाकर दें
पैरेंट्स के लिए आख़िरी सलाह
बच्चों को किताबों की ओर लाने के लिए सबसे जरूरी है — धैर्य, प्यार और खुद एक उदाहरण बनना।
अगर आप खुद किताब पढ़ते हैं, तो बच्चा भी आपको देखकर पढ़ने की आदत अपनाएगा।
किताबें एक दोस्त की तरह होती हैं — जो जिंदगीभर साथ निभाती हैं। बस बच्चों को उनसे मिलवाने की ज़रूरत है।