सुल्तान अजलान शाह हॉकी कप 2025 का फाइनल रोमांच से भरा था, लेकिन नतीजा भारत के लिए निराशाजनक रहा। बेल्जियम ने अपने इतिहास का पहला अजलान शाह खिताब जीतते हुए भारत को 1-0 से मात दी। मैच के 34वें मिनट में थिब्यू स्टॉकब्रोक्स द्वारा दागा गया गोल ही आख़िरकार फाइनल का एकमात्र और निर्णायक स्कोर साबित हुआ।
यह बेल्जियम की इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में केवल दूसरी उपस्थिति थी, और इतनी सीमित भागीदारी के बावजूद उनका प्रदर्शन बेहद प्रभावशाली रहा। कनाडा के खिलाफ 14-3 की धुआंधार जीत के बाद बेल्जियम का आत्मविश्वास चरम पर था। दूसरी ओर, भारत पूरे टूर्नामेंट में पेनल्टी कॉर्नर पर काफी प्रभावी रहा था—जुगराज सिंह, अमित रोहिदास और संजय ने कई मुकाबलों में अहम गोल किए—लेकिन फाइनल में ये महारथी बेल्जियम की मजबूत रक्षापंक्ति को भेद नहीं सके।
लीग चरण में भी भारतीय टीम बेल्जियम से 2-3 से हार चुकी थी और फाइनल में मिली यह दूसरी हार साबित करती है कि यूरोपीय टीम पूरी तरह रणनीति के साथ उतरी थी। मनप्रीत सिंह और हार्दिक सिंह जैसे अनुभवी खिलाड़ियों की अनुपस्थिति में युवा भारतीय खिलाड़ियों ने जिम्मेदारी बखूबी निभाई और हार का अंतर कम रखा, लेकिन जीत के लिए जरूरी धार कहीं न कहीं कम पड़ गई।
मैच की शुरुआत से ही बेल्जियम ने गेंद पर नियंत्रण बनाते हुए भारतीय डिफेंस को दोनों किनारों से दबाव में रखा। भारतीय गोलकीपर ने शुरुआती चरण में कुछ बेहतरीन सेव किए, खासकर तब जब बेल्जियम को मिले दो पेनल्टी कॉर्नर को भारतीय डिफेंस ने ध्वस्त कर दिया। भारत ने धीमी शुरुआत के बाद रफ्तार पकड़ने की कोशिश की, लेकिन मिडफील्ड में बेल्जियम की पकड़ ज्यादा मजबूत रही।
पहले दो क्वार्टर गोलरहित रहे, लेकिन दूसरे हाफ में बेल्जियम ने खेल की गति बढ़ाई। तीसरे क्वार्टर के 34वें मिनट में स्टॉकब्रोक्स ने शानदार फिनिशिंग करते हुए गेंद को नेट में पहुंचाया। यह गोल भारत के लिए निर्णायक दबाव लेकर आया।
अंतिम क्वार्टर में भारत ने बराबरी के लिए हर संभव प्रयास किया—सर्कल में कई मूव बनाए, आक्रमण तेज किया, पेनल्टी कॉर्नर की तलाश की—लेकिन बेल्जियम की रक्षापंक्ति अभेद्य दीवार की तरह सामने खड़ी रही। युवा भारतीय टीम ने जुझारू खेल दिखाया, पर फिनिशिंग की कमी साफ नजर आई।
अजलान शाह कप 2025 भारत के लिए रजत पदक के साथ खत्म हुआ, जबकि बेल्जियम ने इतिहास रचते हुए अपना पहला खिताब अपने नाम किया। यह फाइनल इस बात की भी याद दिलाता है कि हॉकी के इस आधुनिक दौर में रणनीति, गति और रक्षात्मक अनुशासन कितने बड़े हथियार बन चुके हैं।