यूक्रेन-रूस युद्ध के आज दो साल पूरे हो चुके हैं। रूस ने 24 फरवरी, 2022 को ही यूक्रेन में अपना विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था।
इसकी दूसरी बरसी की पूर्व संध्या पर अमेरिका ने रूस के खिलाफ 500 से अधिक नए प्रतिबंधों की घोषणा की है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक बयान में कहा कि रुस के आर्कटिक क्षेत्र में विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी की मौत की वजह से भी नए प्रतिबंध लगाए गए हैं।
वाशिंगटन ने दावा किया कि नवलनी की मौत के लिए रूसी सरकार जिम्मेदार है। बाइडेन ने कहा, “ये प्रतिबंध नवलनी के कारावास से जुड़े व्यक्तियों के साथ-साथ रूस के वित्तीय क्षेत्र, रक्षा औद्योगिक आधार, खरीद नेटवर्क और कई महाद्वीपों में प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वालों को लक्षित करेंगे।”
नए प्रतिबंधों के जरिए रूस की भुगतान प्रणाली, वित्तीय संस्थानों और उसके सैन्य औद्योगिक आधार, भविष्य के ऊर्जा उत्पादन और अन्य क्षेत्रों को निशाना बनाया गया है।
इससे वैश्विक आर्थिक संकट का खतरा पैदा हो गया है। अमेरिका ने प्रतिबंधों के लिए 200 पन्नों की लिस्ट जारी की है। गौर करने वाली बात यह है कि इस लिस्ट से कंपनियां और मेटल सेक्टर, ज्यादा एनर्जी रिलेटेड पनिशमेंट और बैंकों रिलेटेड सेक्टर्स ने नाम गायब हैं।
रूस की RIA समाचार एजेंसी ने अमेरिका में रूसी राजदूत अनातोली एंटोनोव के हवाले से कहा कि नए प्रतिबंध रूस के मूल हितों पर हमला हैं लेकिन मॉस्को उनकी रक्षा करता रहेगा। शुक्रवार को ईयू, ब्रिटेन और कनाडा ने भी रूस के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की है।
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने शुक्रवार को लगभग 300 लोगों और संस्थाओं को बैन करने की कार्रवाई की, जबकि स्टेट डिपार्टमेंट ने 250 से अधिक लोगों और संस्थाओं को बैन किया और वाणिज्य विभाग ने 90 से अधिक कंपनियों को इस लिस्ट में जोड़ा।
अमेरिकी की तरफ से शुक्रवार जारी की गई लिस्ट में उन लोगों और संस्थाओं के भी नाम शामिल हैं, जिन पर पहले भी प्रतिबंध लगाया गया था। इस लिस्ट में उस जेल के वॉर्डन का भी नाम शामिल है, जहां विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी की मौत हुई थी। इसके साथ ही फेडरल पेनिटेंटरी सर्विस के डिप्टी डायरेक्टर को भी लिस्ट में जोड़ा गया है।
इन नामों के अलावा एक रूसी जहाज निर्माता पर भी बैन लगाया गया है, जिसने 15 लिक्विफाइड नेचुरल गैस टैंकरों के उत्पादन में मदद की थी।
अमेरिका ने वित्तीय प्रतिबंधों की सूची में साइबेरिया में आर्कटिक एलएनजी 2 परियोजना को भी शामिल किया है। इससे रूस के भविष्य के ऊर्जा उत्पादन और निर्यात को झटका लग सकता है।