ताइवान के श्रम मंत्री सू मिंगचुन के एक बयान से विवाद खड़ा हो गया है। भारतीयों को लेकर की गई नस्लीय टिप्पणी को लेकर ताइवान के विदेश मंत्रालय को भारत से माफी मांगनी पड़ी।
दरअसल एक इंटरव्यू के दौरान मिंगचुन ने कहा था कि वह अपने देश की ताकत बढ़ाने के लिए भारत में पूर्वोत्तर के राज्यों के मजदूरों को भर्ती करेंगे क्योंकि उनकी शक्ल और खाने की आदतें ताइवान के समान ही हैं।
इसके अलावा यहां ईसाी आबादी है। ताइवान के विदेश मंत्रालय ने भी उनके इस बयान से दूरी बना ली है। वहीं ताइवान ने सफाई देते हुए कहा है कि सभी मजदूरों के साथ समान व्यवहार किया जाएगा।
बता दें कि अगले एक साल के अंदर ही भारतीय कामगारों का पहला बैच ताइवान पहुंचने वाला है। ताइवान के अधिकारियों का कहना है कि भारत के दूसरे प्रदेशों से भी भर्तियां की जाएंगी।
मामले के जानकार लोगों का कहना है कि पहली बार किसी देश ने कहा है कि भारत के किसी विशेष राज्य से भर्तियां की जाएंगी।
यह एक नस्लीय टिप्पणी है। किसी के भी साथ खाने की आदतें, शक्ल या फिर धर्म की वजह से भेदभाव नहीं किया जा सकता।
कई पश्चिमी एशिया के देश पिछले पांच दशकों से भारत के लोगों को भर्ती कर रहे हैं। हालांकि आज तक किसी भी देश ने इस तरह की बात नहीं रखी कि वह किसी विशेष राज्य या धर्म को प्राथमिकता देने वाला है।
यहां तक की खाड़ी के मुस्लिम देशों में भी बड़ी संख्या में भारतीय कामगार जाते हैं। इन देशों ने भी कभी धर्म के आधार पर भर्ती की बात नहीं कही।
बता दें कि पिछले महीने ही भारत और ताइवान के बीच समझौता हुआ है जिसके तहत भारतीय कामगारों को ताइवान में अलग-अलग क्षेत्रों में काम देने की बात कही गई है। बता दें कि ताइवान और भारत के संबंधों को देखकर चीन बौखलाया हुआ है।
हाल ही में एक मीडिया चैनल ने ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू का इंटरव्यू किया था। इसपर चीन ने कहा था कि भारत ने ताइवान को गलत जानकारी प्रसारित करने के लिए मंच दिया है।
आपको यह भी बता दें कि ताइवान के मामले में भारत वन चाइना पॉलिसी का पालन करता है इसलिए उसके साथ औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं।