कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु भीषण जल संकट से जूझ रही है।
आम जनता के अलावा, डिप्टी सीएम के घर पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि बेंगलुरु के सभी इलाके जल संकट का सामना कर रहे हैं और यहां तक कि उनके घर का बोरवेल भी सूख गया है।
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने मंगलवार को वादा किया कि सरकार किसी भी कीमत पर बेंगलुरु को पर्याप्त पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करेगी। उपमुख्यमंत्री ने कहा, “हम गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं, लेकिन किसी भी कीमत पर शहर में पानी की सप्लाई सुनिश्चित करेंगे।”
बेंगलुरु में बारिश की कमी के कारण बोरवेल सूख गए हैं। आवासीय सोसायटियों ने लोगों को पानी के इस्तेमाल में सावधानी बरतने की सलाह दी है।
संकट के बीच, कई निजी प्राइवेट टैंकर लोगों से पानी पहुंचाने के बदले अत्यधिक पैसे ले रहे हैं। इस पर शिवकुमार ने कहा, “कुछ टैंकर 600 रुपये में पानी की सप्लाई कर रहे हैं, जबकि कुछ 3,000 रुपये तक वसूल रहे हैं। एक समान पैसे तय करने के लिए, हमने सभी पानी टैंकरों को अधिकारियों के साथ पंजीकरण कराने के लिए कहा है। टैंकरों द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर कीमतें तय की जाएंगी।”
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने शनिवार को कहा था कि पानी की भारी कमी के मद्देनजर राज्य सरकार बेंगलुरु में सभी निजी जल टैंकर अपने कब्जे में लेगी।
शिवकुमार ने यहां सदाशिवनगर स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “बेंगलुरु में पानी की भारी कमी है।
बीडब्ल्यूएसएसबी (बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड) और बीबीएमपी (बृहद बेंगलुरु महानगर पालिका) के अधिकारी इस मुद्दे के समाधान के लिए दैनिक आधार पर बैठकें कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “हमने बेंगलुरु में सभी पानी के टैंकरों का 7 मार्च से पहले पंजीकरण कराने का निर्देश दिया है क्योंकि जल आपूर्तिकर्ता ग्राहकों से लूट रहे हैं। हमने बेंगलुरु में पेयजल की समस्या से निपटने के लिए सोमवार दोपहर 12 बजे एक बैठक बुलाई है। पेयजल संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र को 10 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है।”
उपमुख्यमंत्री ने केंद्र पर भी निशाना साधा। उन्होंने केंद्र पर उस मेकेदातु जलाशय परियोजना को रोकने का आरोप लगाया, जो बेंगलुरु में पानी की समस्या का समाधान कर सकती थी।
शिवकुमार ने कहा, “हमने बेंगलुरु के लिए पानी की सप्लाई सुनिश्चित करने के इरादे से मेकेदातु परियोजना शुरू की थी। हमने अपनी पदयात्रा के माध्यम से मेकेदातु परियोजना को मंजूरी देने के लिए केंद्र पर दबाव डाला, इसके बावजूद केंद्र ने इसे मंजूरी नहीं दी है। संकट की गंभीरता को देखते हुए केंद्र को कम से कम अब इस परियोजना को मंजूरी देनी चाहिए।”