उत्तर प्रदेश में रायबरेली संसदीय सीट नेहरू-गांधी परिवार का गढ़ रहा है।
मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश में यह कांग्रेस की इकलौती सीट रह गई है। 2019 के चुनावों में यहां से सोनिया गांधी की जीत हुई थी।
वह पिछले 20 वर्षों से यहीं से लगातार सांसद चुनी जाती रही हैं। इस बार उन्होंने राज्यसभा का रास्ता चुना है। अब चर्चा है कि इस सीट पर उनकी बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव लड़ेंगी।
भाजपा ने पिछले चुनाव में नेहरू-गांधी परिवार के दूसरे गढ़ अमेठी को कांग्रेस से छीन लिया था। इस बार रायबरेली पर ना सिर्फ भाजपा की नजर है बल्कि उस पर कब्जा करने को आतुर भी दिख रही है।
हालिया राज्यसभा चुनाव में इसके संकेत दिख गए थे, जब रायबरेली संसदीय सीट के तहत आने वाले ऊंचाहार विधानसभा सीट से सपा के विधायक और पार्टी के मुख्य सचेतक मनोज पांडे ने क्रॉस वोटिंग कर भाजपा को जिताने में मदद की थी। साफ है कि भाजपा रायबरेली में गढ़ और वंश (प्रियंका) दोनों पर लगाम लगाना चाहती है। इसके लिए भाजपा ने पासी प्लान बनाया है।
क्या है पासी प्लान
रायबरेली में कुल 18 लाख मतदाता हैं। इनमें से करीब 34 फीसदी दलित हैं। परंपरागत तौर पर यह समुदाय कांग्रेस का कोर वोटर रहा है लेकिन भाजपा इसे अपने पाले में करने की लगातार पुरजोर कोशिश करती रही है।
इसी कोशिश और रणनीति के तहत पिछले साल, भाजपा ने जिला अध्यक्षों का फेरबदल करते हुए बुद्धिलाल पासी को रायबरेली का जिला अध्यक्ष बनाया था।
रायबरेली में कुल मतादाताओं में से एक चौथाई वोटर पासी समाज से आते हैं। माना जाता है कि यहां 4.5 लाख पासी मतदाता हैं।
पार्टी को उम्मीद है कि पासी के बहाने कुल 34 फीसदी दलित वोटों में सेंधमारी की जा सकेगी। भाजपा को इसमें धीरे-धीरे कामयाबी भी मिलती दिख रही है। चुनावी आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि 2014 और 2019 के चुनावों में हर बार वोट शेयर में लगभग 17 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।
यानी पिछले 10 वर्षों में भाजपा के वोट शेयर में 34 फीसदी का इजाफा हुआ है। आंकड़े तस्दीक देते हैं कि यह वोट बैंक कांग्रेस से छिटक कर भाजपा के पास आया है क्योंकि इसी दौरान कांग्रेस के वोट शेयर में इतनी ही गिरावट दर्ज की गई है, जितनी कि भाजपा की बढ़ी है। इस संसदीय क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 13-14% है।
पारंपरिक रूप से पासी समुदाय का झुकाव किसी एक पार्टी की ओर नहीं रहा है लेकिन बुद्धिलाल पासी के भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद से चुनावी परिदृश्य बदलने लगा है। इकनॉमिक टाइम्स से बातचीत में बुद्धिलाल पासी ने कहा कि केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं की वजह से दलित समुदाय भाजपा की तरफ खिंचा आ रहा है।
उन्होंने कहा कि भाजपा दलित समुदाय के अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए लाभार्थी सम्मेलन और लाभार्थी संपर्क अभियान भी चला रही है। उन्होंने ये भी कहा कि अगर मनोज पांडे बीजेपी में शामिल होते हैं तो पार्टी कांग्रेस के ब्राह्मण वोट बैंक में भी सेंध लगाने में कारगर होगी।