रायपुर में महादेव का विराट रूप देखने के लिए सुबह 5 बजे से ही मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ लगी, और भोलेनाथ के विवाह की रस्में निभाई गईं।

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रायपुर में सुबह 5:00 से ही मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ लगने लगी। भगवान की पूजा करने, जल चढ़ाने रायपुर के आसपास के गांव से भी लोग राजधानी पहुंच रहे हैं। शिवरात्रि पर होने वाली भक्तों की भीड़ को ध्यान में रखते हुए शहर के सभी मंदिरों को देर रात तक खुला रखा जाएगा।

रायपुर के प्राचीन मंदिरों में से एक महादेव घाट स्थित हाटकेश्वर नाथ मंदिर में भक्ति हर हर महादेव का नारा लगाते हुए पहुंचे। मंदिर के बाहर लंबी कतार नजर आई। शिवलिंग को विराट रूप में सजाया गया था। शिवलिंग पर भगवान की जटाएं और उनके नेत्र भव्य दिख रहे थे। मंदिर के गर्भगृह में जाने की लोगों को अनुमति नहीं थी बाहर से ही जल अर्पितकर भीड़ को आगे बढ़ाया जा रहा था। भीड़ अधिक होने की वजह से सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस बल की तैनाती भी की गई।

महादेव घाट स्थित हाटकेश्वर नाथ मंदिर में तीन दिन पहले से ही भगवान के शादी की रस्म निभाई रही हैं। भगवान को हल्दी लगाई गई, मेहंदी की रस्म भी हुई। छत्तीसगढ़ के परंपराओं के तहत श्रद्धालुओं ने चुलमाटी की रस्म भी निभाई। रंग-बिरंगे कपड़े और फूलों का मंडप तैयार कर उसमें भगवान को स्थापित किया गया है शुक्रवार शाम शिवजी की बारात निकाली जाएगी।

रायपुर के बुढ़ापारा स्थित बुद्धेश्वर मंदिर में भी बड़ी तादाद में लोग पहुंचे। यहां ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए 108 जल अभिषेक कार्यक्रम में लोग शामिल हुए। मंदिर के बाहर सजी दुकानों से लोग बेलपत्र फुल खरीदते दिखाई दिए।

रायपुर के सबसे प्राचीन शिव मंदिर
बूढ़ातालाब के किनारे होने से शिवलिंग का नाम बूढ़ेश्वर महादेव पड़ गया। तालाब के किनारे ही छोटा-सा मंदिर बनवाकर शिवलिंग की प्रतिष्ठा की गई। 100 साल से अधिक पुराने मंदिर का नवनिर्माण लगभग 70 साल पहले पुष्टिकर ब्राह्मण समाज ने करवाया। बूढ़ेश्वर मंदिर के 200 साल पुराना वटवृक्ष है।

महादेव घाट के निर्माण को लेकर कहा जाता है कि वर्तमान में बहने वाली खारुन नदी को द्वापर युग में द्वारकी नदी के नाम से जाना जाता था। महाकौशल प्रदेश के हैहयवंशी राजा ब्रह्मदेव जब नदी किनारे स्थित घनघोर जंगल में शिकार करने आए थे, तब नदी में बहता हुआ पत्थर का शिवलिंग नजर आया। इस शिवलिंग पर नागदेवता लिपटे थे। राजा ने नदी किनारे मंदिर बनवाकर शिवलिंग स्थापित करवाया। ऐसी मान्यता है कि बाद में 1402 में कल्चुरि शासक भोरमदेव के पुत्र राजा रामचंद्र ने मंदिर का नव निर्माण करवाया।

आज हो रहे यह कार्यक्रम
नरैया तालाब के टिकरापारा स्थित नरहरेश्वर नाथ मंदिर में 5 प्रकार के फलों के रस, पंचामृत और दूध से रुद्र-अष्टाध्यायी अभिषेक कराया गया है। सुबह 10 बजे अखंड रामायण का पाठ हुआ। पुजारी पंडित देवचरण शर्मा ने बताया कि दोपहर 3 बजे तक श्रद्धालु जलाभिषेक कर सकेंगे। शाम में भोलेनाथ का रजत शृंगार किया जाएगा। रात 8 बजे महाआरती होगी।

आकाशवाणी स्थित शिव मंदिर में 4 पहर की विशेष पूजा की जाएगी । महादेव का सहस्त्रधारा अभिषेक कराया जाएगा। मंदिर के पुजारी पंडित मुन्ना शुक्ला ने बताया कि शुक्रवार रात 12 बजे से अभिषेक शुरू होगा जो सुबह 5 बजे तक चलेगा। सुबह 4 बजे से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगती है। शाम को भगवान का फूलों से शृंगार कर भस्म आरती होगी।

इसके अलावा कोटा कॉलोनी के ॐ शिव हनुमान मंदिर में भी आयोजन किया गया है। यहां सुबह 11 बजे रुद्राभिषेक हुआ इसके बाद दोपहर 2 बजे से महाप्रसाद और फिर शाम 6 बजे शिवजी की भव्य बारात निकाली जाएगी।

सरजू बांधा शमशान घाट विकास समिति के अध्यक्ष माधव लाल यादव कार्यालय सचिव गोवर्धन झावर ने बताया कि शिवरात्रि के दिन सुबह 5:00 बजे श्री सोमेश्वर महादेव मंदिर में सरजू बांधा तालाब किनारे, टिकरापारा में देशी गौ माता के कंडे से निर्मित भस्म से भस्म आरती कर महाशिवरात्रि की शुरुआत हुई। शाम 7 बजे महाआरती होगी।

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