कुछ साल में बैटरी से चलने वाली गाड़ियां (EV) उन लोगों की पहुंच में होगी, जो अभी दाम कम होने के चलते पेट्रोल-डीजल वाहन इस्तेमाल करते हैं। EV की कीमत आम वाहनों के मुकाबले कम होने में सिर्फ तीन साल लगेंगे।
अमेरिकी रिसर्च फर्म गार्टनर का अनुमान है कि 2027 तक नेक्स्ट जेनरेशन EV की औसत कीमतें पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों की तुलना में कम हो जाएंगी। इस सेक्टर में इनोवेशन तेजी से बढ़ रहा है और नई टेक्नोलॉजी ईजाद हो रही है। इससे बैटरी की कीमत और EV की मैन्युफैक्चरिंग लागत तेजी से घट रही है।
अनुमान से ज्यादा तेजी से घट रही लागत
गार्टनर के वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च डिवीजन) पेड्रो पचेको कहते हैं, ‘जैसे-जैसे ईवी कंपनियां प्रोडक्ट डिजाइन के साथ-साथ मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी एडवांस कर रहे हैं, सेंट्रलाइज व्हीकल आर्किटेक्चर (गीगाकास्टिंग) जैसे इनोवेशन बढ़ रहे हैं। इससे आगामी वर्षों में ईवी की प्रोडक्शन लागत, बैटरी की लागत के मुकाबले तेजी से घटेगी। मतलब ईवी की मैन्युफैक्चरिंग लागत अनुमान से पहले पेट्रोलियम गाड़ियों की लागत के बराबर आ जाएगी।’
देश में EV 30% तक महंगी, लेकिन इन्हें चलाने का खर्च अभी 6 गुना कम
भारत में EV चलाना अब भी काफी किफायती है। मसलन, अभी इलेक्ट्रिक कारों के दाम समान मॉडल की पेट्रोल कारों के मुकाबले 20-30% ज्यादा हैं। ये फर्क भी साल-दर-साल कम हो रहा है। अभी पेट्रोल कारों की रनिंग कॉस्ट जहां, 7-8 रुपए प्रति किलोमीटर है, वहीं इलेक्ट्रिक कारें चलाने लागत सिर्फ 1-1.5 रुपए प्रति किलोमीटर है।
2027 तक 15% EV कंपनियां बंद होंगी, पर ये सामान्य ट्रेंड
गार्टनर का अनुमान है कि बीते 10 साल में स्थापित EV कंपनियों में से 15% का 2027 तक अधिग्रहण हो जाएगा या वे दिवालिया हो जाएंगी। पचेको ने कहा कि इसका ये मतलब नहीं है कि EV सेक्टर सिमट रहा है। ये ग्रोथ नए चरण में प्रवेश का संकेत है, जहां सबसे अच्छे प्रोडक्ट और सर्विस वाली कंपनियों का अस्तित्व रहेगा। सभी EV स्टार्टअप्स नहीं टिक पाएंगे।
2025 तक 43% बढ़ जाएगी EV की बिक्री
ऑटोमोबाइल मार्केट में EV की पैठ तेजी से बढ़ेगी। गार्टनर का अनुमान है कि 2025 तक दुनियाभर में EV की बिक्री 43% बढ़कर 2.06 करोड़ तक पहुंच जाएगी। 2023 में 1.44 करोड़ EV बिकी थी। 2024 में भी इनकी बिक्री 1.84 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। गार्टनर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘हम ‘गोल्ड रश’ से ‘सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट’ की दिशा में बढ़ रहे हैं। इसका मतलब है कि इस सेक्टर की कंपनियों की सफलता अब नए EV अपनाने वालों की जरूरतें पूरी करने की क्षमता पर निर्भर करेगी।’