दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे पर आजकल हजारों यात्रियों की भीड़ देखने को मिल रही है। दिवाली पर हर कोई अपने-अपने घर जाने की जल्दी में हैं। लेकिन उत्तराखंड जाने वाले लोग बस अड्डे पर काफी परेशान नजर आ रहे हैैं। दरअसल उत्तराखंड रोजवेज की बसों में टिकट के लिए भारी मारामारी है।
इस बार मां जी ने बोला था छोटी दिवाली पर ही घर पहुंच जाना, पिताजी की दवाइयां तो रख ली लेकिन ये कैसे पहुंचेगी, प्राइवेट टैक्सी ही करनी पड़ेगी अब और कोई चारा नहीं है… दिल्ली कश्मीरी गेट बस अड्डे (ISBT) पर उत्तराखंड जाने वाले हर शख्स के जुबान पर ऐसे ही शब्द हैं। दरअसल दिवाली पर घर जाने वाले उत्तराखंड के लोगों के सामने बस का टिकट लेना किसी चुनौती से कम नहीं है। दिल्ली के कश्मीरी गेट अंतरराज्यीय बस टर्मिनल (ISBT) से उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल जाने वाली बसों में टिकट के लिए मारामारी देखने को मिल रही है। खासतौर पर गोपेश्वर और गुप्तकाशी जाने वाले यात्री बेहद परेशान नजर आ रहे हैं। यात्रियों का कहना है कि कोरोना काल के दौरान गोपेश्वर और गुप्तकाशी के लिए उत्तराखंड परिवहन निगम (UTC) ने ऑनलाइन टिकट बुकिंग सेवा बंद कर दी थी, जो अबतक बहाल नहीं हुई है। ऐसे में दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले उत्तराखंड समाज के लोगों को अपने घर जाने में काफी दिक्कत होती है।
उधर उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल जाने वाले लोग भी उत्तराखंड रोडवेज की बस सर्विस से नाराज है। हल्द्वानी, रामनगर , नैनीताल और चंपावत जाने वाले लोगों को काफी परेशानी हो रही है। इन यात्रियों को दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे पर टिकट के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। कई यात्री शुक्रवार शाम 4 बजे ही बस अड्डे पर पहुंच गए थे, लेकिन देर रात 10 बजे तक टिकट नहीं मिला।
यात्रियों का कहना है कि उत्तराखंड परिवहन निगम ने जीएम के संज्ञान में मामला है। उसके बावजूद ऑनलाइन टिकट बुकिंग सेवा बहाल नहीं की गई है। ऐसे में बस से उत्तराखंड जाना सिरदर्दी बन गया है। पिछले कुछ दिनों से कश्मीरी गेट और आनंद विहार बस अड्डे पर टिकट के लिए भयंकर मारामारी देखने को मिल रही है। आलम यह है कि कई बार बस के कंडक्टर और यात्रियों के बीच हाथापाई तक की नौबत आ जाती है।
खिड़की से जबरदस्ती टिकट लेने की कोशिश करते यात्री
शुक्रवार को धनतेरस पर दिल्ली कश्मीरी गेट बस अड्डे पर गोपेश्वर जाने वाले यात्रियों की लंबी कतार बसों के बाहर देखने को मिली। एक साथ कई हाथ खिड़की से जबरदस्ती 100-500 का नोट कंडक्टर को देते दिखाई दिए। कंडक्टर यात्रियों को लाइन में आने की नसीहत देता रहा। कई बार कंडक्टर गुस्से में यात्रियों को कहता दिखाई दिया कि मैं किसी को टिकट नहीं दूंगा पहले आप लोग एक सीधी लाइन बनाओ। टिकट की जद्दोजहद में कई यात्री बुरी तरह थककर फर्श पर ही बैठ गए। इन यात्रियों के चेहरे पर दिवाली पर घर ना पहुंच पाने की चिंता साफ दिखाई दे रही थी। कुछ यात्री तो थक हार के बस अड्डे से ही बाहर चले गए। हर बार दिवाली और होली जैसे बड़े त्यौहारों पर ऐसा सीन देखने को मिलता है। लेकिन उत्तराखंड सरकार के पास शायद अभी तक लोगों का दर्द नहीं पहुंचा है, तभी तो कोरोना काल से बस टिकट की ऑनलाइन बुकिंग बंद है।
दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं लाखों उत्तराखंडी
दिल्ली में विनोद नगर, लक्ष्मी नगर, पांडव नगर, बुराड़ी, तीमारपुर समेत कई इलाकों में उत्तराखंड समाज के लोगों लोग रहते हैं। वहीं गाजियाबाद के इंदिरापुरम, वसुंधरा, वैशाली, प्रताप विहार, खोड़ा आदि इलाकों में भी उत्तराखंडी की अच्छी खासी आबादी है। नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में भी समाज के लाखों लोग कई साल से रह रहे हैं। हर साल उत्तराखंड के अधिकांश लोग देवी-देवताओं के पूजन, दिवाली, होली समेत कई त्यौहारों के मद्देनजर अपने पैतृक गांव जाते हैं। उत्तराखंड के लोगों के लिए कश्मीरी गेट और आनंद विहार बस अड्डा किसी लाइफ लाइन से कम नहीं है। लेकिन टिकट की मारामारी के चलते लोगों को काफी परेशानी होती है।