छत्तीसगढ़: नक्सली के दंडकारण्य में तानाशाही का कहर, लेकिन 3 महीनों में 79 नक्सली निर्भर्त्सन, 3 जवान शहीद; जानें फोर्स को क्यों पड़ रहा है भारी।

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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 14 अप्रैल को छत्तीसगढ़ दौरे पर थे। खैरागढ़ में जनसभा के दौरान उन्होंने कहा था कि 3 साल के अंदर बस्तर से नक्सलवाद खत्म कर देंगे। अब बस्तर के बीजापुर, सुकमा, कांकेर, नारायणपुर से लगे इलाकों में फोर्स नक्सलियों के ठिकाने तक पहुंच चुकी है।

इसके ठीक 2 दिन बाद मंगलवार को कांकेर में जवानों ने 29 नक्सलियों को मार गिराया है। इसे प्रदेश में अब तक का सबसे बड़ा नक्सल एनकाउंटर बताया जा रहा है। डिप्टी CM विजय शर्मा इसे नक्सलवाद के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक बता रहे हैं। वहीं अफसरों का कहना है कि चुनाव से पहले ये कांकेर की जनता को बहुत बड़ा तोहफा है।

पहले जानिए छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद कितनी बड़ी समस्या

गृह मंत्रालय के मुताबिक, देश के 10 राज्यों के 70 जिले नक्सलवाद से प्रभावित हैं। इनमें सबसे ज्यादा झारखंड के 16 और छत्तीसगढ़ के 14 जिले हैं। इनमें बलरामपुर, बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, धमतरी, गरियाबंद, कांकेर, कोंडागांव, महासमुंद, नारायणपुर, राजनंदगांव, सुकमा, कबीरधाम और मुंगेली शामिल हैं।

आंकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ से ज्यादा नक्सल प्रभावित झारखंड है, लेकिन प्रदेश में हमलों की संख्या दोगुनी है। SATP (साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल) के मुताबिक, पिछले 14 सालों में 1582 नक्सली हमले हुए हैं। इनमें 1002 आम नागरिक और 1452 नक्सली मारे गए हैं। वहीं 1222 जवान भी शहीद हुए हैं।

दंडकारण्य बना हुआ है नक्सलियों का गढ़

दंडकारण्य का जंगल 90 हजार से ज्यादा वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है। इसे नक्सलियों का गढ़ भी कहा जाता है। बताया जाता है कि इसकी जड़ें 90 के दशक से जुड़ने लगी थीं। आंध्र प्रदेश में फैले नक्सलियों के खिलाफ जब पुलिस ने 1989 ‘ऑपरेशन ग्रेहाउंड’ लॉन्च किया।

इसके तहत पुलिस ने कई नक्सलियों को ढेर कर दिया। इससे नक्सली घबरा गए और ऑपरेशन को लीड कर रहे IPS केएस व्यास की 27 जनवरी 1993 को गोली मारकर हत्या कर दी। उस समय केएस व्यास इवनिंग वॉक पर निकले थे। हालांकि इस ऑपरेशन के चलते नक्सलियों ने बस्तर के दंडकारण्य को अपना ठिकाना बना लिया

अब समझिए जवान क्यों पड़ रहे हैं भारी…

पहली बार ऐसा हुआ है, जब नक्सलियों के TCOC (टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैंपैन) के 3 महीने उन पर ही भारी पड़े हैं। इस दौरान जवान 79 नक्सलियों को ढेर कर चुके हैं। हालांकि 3 जवान शहीद और 5 घायल भी हुए। अब लोकसभा चुनाव से पहले नक्सलियों के ठिकानों पर फोर्स घुसी है।

  • बस्तर में 2023 के विधानसभा चुनाव में जब तख्ता पलट हुआ और भाजपा की सरकार आई तो नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन तेज हो गया। पहली बार नक्सलियों को चारों तरफ से घेरने के लिए पुलिस की हाई लेवल स्ट्रैटजी बनी। एक साइड से यदि नक्सली भागें तो दूसरी तरफ घेर लें। एक दूसरे जिले के बेहतर कॉर्डिनेशन की वजह से नक्सलियों के खिलाफ सफलता मिल रही।
  • नक्सलियों के ठिकाने पर पुलिस पहुंच चुकी है। नक्सलियों के बटालियन नंबर 1 के कमांडर माड़वी हिड़मा के वर्चस्व वाले पूवर्ती गांव तक पुलिस पहुंच गई है। कैंप बिठाया गया। इसके अलावा बीजापुर, नारायणपुर, कांकेर में भी नक्सलियों के ठिकाने में फोर्स ने कब्जा जमा लिया है। नक्सली चारों तरफ से घिर रहे हैं, इसलिए ठिकाना बदल रहे और जवानों के रडार में आ रहे।
  • छत्तीसगढ़ के कांकेर, सुकमा और बीजापुर जिले से पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिशा की सीमा लगती है। बस्तर में नक्सली घिरते थे तो पड़ोसी राज्यों में भाग जाते थे। अब पड़ोसी राज्यों और छत्तीसगढ़ पुलिस कोऑर्डिनेशन के साथ काम कर रही है।

कांकेर मुठभेड़ से पहले और बीजापुर की मुठभेड़ के बाद नक्सलियों के केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता प्रताप ने प्रेस नोट जारी किया था। प्रताप ने कहा था कि, पिछले 3 महीने में अलग-अलग नक्सल घटनाओं में उनके कुल 50 साथी मारे गए हैं। अब कांकेर में 29 के एनकाउंटर के बाद संख्या 50 से बढ़कर 79 हो गई है।

अब उत्तर छत्तीसगढ़ की ओर बढ़ रहे नक्सली

बस्तर से लगे महाराष्ट्र और तेलंगाना में भी नक्सलियों का पुलिस एनकाउंटर कर रही है। ऐसे में नक्सली अब उत्तर छत्तीसगढ़ की तरफ बढ़ रहे हैं। कांकेर के बाद मोहला-मानपुर, राजनंदगांव, कबीरधाम की तरफ बस्तर के नक्सलियों का रुख हो चुका है। सूत्र बता रहे हैं कि नक्सलियों के कुछ बड़े लीडर्स बस्तर छोड़ चुके हैं।

नक्सली का पता बताने वाले को 5 लाख का इनाम

हाल ही में कवर्धा (कबीरधाम) के SP अभिषेक पल्लव ने ऐलान किया था कि, यदि कोई नक्सलियों का पता बताएगा, पकड़वाएगा या उनकी सूचना से किसी नक्सली का एनकाउंटर होगा तो उसे 5 लाख रुपए का इनाम और सरकारी नौकरी दी जाएगी।

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