पराठे पर टैक्स का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया, क्या दलील देकर जजों ने कराया कम…

Spread the love

केरल हाई कोर्ट में हाल ही में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया।

लच्छा पराठा पर ज्यादा जीएसटी को लेकर एक याचिका हाई कोर्ट पहुंची। अदालत में इस मसले पर जोरदार बहस भी हुई।

सुनवाई में अदालत ने पाया कि पराठे जिन सामग्रियों से तैयार हो रहे हैं, उन पर सिर्फ 5 प्रतिशत जीएसटी लगता है। इस पर अदालत ने फैसला सुनाया कि ऐसे में पराठे पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाना गलत है।

बार एंड बेंच में छपि रिपोर्ट के अनुसार, मामले में सुनवाई न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही थी।

अदालत ने यह फैसला मॉडर्न फूड एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका पर सुनाया। लिमिटेड ने सरकार के उस आदेश को चुनौती दी जिसमें कहा गया कि पराठे पर 18% जीएसटी लगना चाहिए।

केरल हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार ने अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (AAR) और अपीलेट अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (एएएआर) के आदेशों का हवाला देकर पराठे पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगाने की वकालत की थी।

जबकि, याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि उत्पाद सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम, के अनुसार,गेहूं पर जीएसटी की दर 5 प्रतिशत है और लच्छा पराठे में इसी का इस्तेमाल किया जाता है।

ऐसे में जिन उत्पादों की मदद से लच्छा पराठा तैयार किया जाता है, अगर उस पर टैक्स 5 प्रतिशत है तो पराठे पर 18 प्रतिशत जीएसटी क्यों लगाया जाना चाहिए? 

सरकार की तरफ से अधिवक्ता ने इस दावे का विरोध करते हुए तर्क दिया कि सामग्री और प्रक्रिया अलग-अलग चीज हैं। गेंहू के आटे की तुलना पराठे से नहीं की जानी चाहिए।

हालांकि अदालत ने सरकार की तरफ से पेश किए इस तर्क को खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता की दलील को सही पाया।

मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश दिया कि लच्छा पराठे पर टैक्स नियमों के अनुरूप नहीं है, इसलिए इस पर 18 प्रतिशत की जगह 5 प्रतिशत ही टैक्स वसूला जाना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *