हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रजनी दुबे की बेंच ने 12वीं की छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों की अपील खारिज कर दी है। तीन आरोपियों ने सजा को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि पीड़िता का बयान ही उत्कृष्ट गवाही होती है। उसकी गवाही के आधार पर सजा से इनकार करना उसके चोट पर नमक छिड़कने के जैसा है। पत्थलगांव में रहने वाली छात्रा 2 फरवरी 2021 की दोपहर 1 बजे अपने सहपाठी के साथ स्कूल से कुछ दूर कोसाबाड़ी में लंच कर रही थी, इसी दौरान कुछ युवक और नाबालिग वहां पहुंचे।
उन्होंने छात्रा के दोस्त को गलत काम करने के लिए कहा, जिससे उसने इनकार कर दिया, इसके बाद युवक उसे अपने साथ कुछ दूर ले गए। इसके बाद युवकों ने छात्रा के साथ दुष्कर्म किया। इस दौरान युवक एक- दूसरे को नाम से संबोधित कर रहे थे। आरोपियों ने दोनों के मोबाइन, रकम आदि लूट लिए। इसके बाद किसी तरह घर पहुंची छात्रा और उसके दोस्त के परिजनों ने रात करीब 7. बजे थाने आकर रिपोर्ट दर्ज करवाई। पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए आरोपियों नंदलाल कुजूर, मनीष लकड़ा, अनिल एक्का व अन्य को गिरफ्तार किया। बालिग आरोपियों के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में चालान प्रस्तुत किया गया था।
कोर्ट ने आरोपियों को आईपीसी की धारा 506 भाग-2 में पांच साल कैद, 1 हजार रुपए जुर्माना, धारा 394/34 में 10 साल की कैद और दो हजार रुपए जुर्माना और धारा 376डी के तहत 20 वर्ष कैद और पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा दी थी। तीनों ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी।