बीते 12 साल में पहली बार ऐसा हुआ है जब कोई प्रत्याशी बिना मतदान के ही विजेता घोषित कर दिया गया है।
भाजपा के मुकेश दलाल को सूरत लोकसभा सीट पर निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया गया। इस तरह गिनती से पहले ही भाजपा का खाता खुल चुका है।
दरअसल सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन में कमी पाए जाने के बाद पर्चा खारिज कर दिया गया था। जानकारी के मुताबिक प्रत्याशी के दस्तखत में समस्या पाई गई थी।
देश में 1951 से ही लोकसभा चुनाव कराए जा रहे हैं। इतने सालों में केवल 35 उम्मीदवार बिना मतदान के ही निर्विरोध लोकसभा चुनाव जीते हैं।
इनमें समाजवादी पार्टी की नेता डिंपल यादव भी शामिल हैं। दरअसल 2012 में कन्नौज लोकसभा उपचुनाव में उनके सामने कोई भी उम्मीदवार नहीं था। ऐसे में डिंपल यादव की निर्विरोध जीत हुई थी।
निर्विरोध जीत के मामले में कांग्रेस नंबर 1 पर है। डिंपल यादव के अलावा अन्य नेताओं की बात करें तो नेशनल कॉन्फ्रेंस चीफ फारूक अब्दुल्ला, टीटी कृष्णामाचारी, पीपी सईद, वाईबी चव्हाण और एससी जमीर शामिल हैं।
कांग्रेस के सबसे ज्यादा प्रत्याशी निर्विरोध जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। 1957 में जब दूसरी बार लोकसभा के चुनाव हुए थे तो सात उम्मीदवार निर्विरोध ही जीत गए थे। 1951 में पांच और 1967 में पांच उम्मीदवार इसी तरह निर्विरोध जीते थे।
गुजरात में एक भाजपा प्रत्याशी की निर्विरोध जीत के बाद अब 25 लोकसभा सीटों के लिए 265 उम्मीदवार मैदान में हैं। अधिकारी ने बताया कि सोमवार 22 अप्रैल को नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि थी।
कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन रद्द होने और अन्य सभी प्रत्याशियों के अपने नामांकन वापस लेने के बाद गुजरात की सूरत लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी मुकेश दलाल निर्विरोध निर्वाचित घोषित किये गये हैं।
गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘12 से 19 अप्रैल के बीच 26 लोकसभा सीटों के लिए कुल 433 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किए।
इसके अलावा, पांच विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए 37 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र जमा किए।’
इसमें कहा गया, ‘‘20 और 21 अप्रैल को हुई जांच प्रक्रिया के दौरान 105 लोकसभा उम्मीदवारों के नामांकन पत्र खारिज कर दिए गए, जिससे संख्या घटकर 328 रह गई। इसी तरह, विधानसभा उपचुनाव के लिए 27 उम्मीदवार जांच के बाद पात्र पाए गए।’’
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