बालोद जिले के ग्राम कोहंगाटोला में मनरेगा मजदूरों ने काम करने के दौरान रेत में भगवान बजरंगबली के स्वरूप के रूप को देखा। यह बात धीरे-धीरे गांव में फैली उसके बाद पूरे अंचल के लोग भगवान के उसे उभरे हुए रेत के स्वरूप को देखने दूर-दूर से पहुंच रहे हैं। वहां पर नारियल चढ़ाने का सिलसिला शुरू हो चुका है और लोग पूजा-अर्चना करने की पहुंच रहे हैं।
ग्रामीण खिलेश्वरी साहू ने बताया कि हमें जानकारी मिली कि हनुमान जन्मोत्सव के दिन हमारे गांव के नदी में रेत में से भगवान बजरंगबली की आकृति उभर कर सामने आई है। खुद ही इसने रूप धारण किया है जिसके बाद से हम भी पूजा-अर्चना करने पहुंचे हुए हैं। गांव में ऐसा पहली बार हुआ है, जब रेत में भगवान बजरंगबली के जयंती के दिन इस तरह की घटना हुई है।
नारियल सहित पूजन सामग्री लेकर पहुंच रहे लोग
गांव की इस नदी ने अस्थाई मंदिर का रूप ले लिया है। लोग नारियल सहित पूजन सामग्री लेकर वहां पर पूजा-अर्चना करने पहुंच रहे हैं। ग्रामीणों की मानें तो सुबह जब मनरेगा मजदूरों ने देखा तो रेत का उभार थोड़ा काम था। अब संपूर्ण स्वरूप भगवान बजरंगबली का उस रेत में देखने को मिल रहा है
कलाकार का बनाना संभव नहीं
ग्रामीणों का कहना है कि रेत का कटाव इस तरह है कि वहां पर किसी कलाकार द्वारा रेत में भगवान बजरंगबली की आकृति बनाना संभव नहीं हैं। हमारे क्षेत्र में कोई रेत से मूर्ति बनाने वाला कलाकार भी नहीं है, लिहाजा इस प्रकृति का स्वरूप बताया जा रहा है।
भगवान बजरंगबली की कृपा- ग्रामीण
ग्रामीण इसे भगवान बजरंगबली की कृपा बता रहे हैं। उनका कहना है कि सुबह से ही भक्त यहां पर पूजा-अर्चना कर रहे हैं। भगवान बजरंगबली को चढ़ाने वाले सारे पूजन सामग्री लेकर महिलाएं वहां पर पहुंच रही है। बच्चे भी सुबह से पहुंचे हुए हैं।