लगभग 15 महीने के इंतजार के बाद, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने प्रोसस बैक्ड फिनटेक फर्म PayU को पेमेंट एग्रीगेटर (PA) के रूप में काम करने और नए मर्चेंट्स को फिर से जोड़ने के लिए इन प्रिंसिपल मंजूरी दे दी है। इन-प्रिंसिपल मंजूरी फाइनल लाइसेंस नहीं होता, लेकिन कंपनियां इसके जरिए 6 से 12 महीने तक काम कर सकती है।
जनवरी 2023 में, बैंकिंग रेगुलेटर ने कॉम्प्लेक्स कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर के कारण पेमेंट एग्रीगेटर के रूप में काम करने के लिए फिनटेक फर्म के आवेदन को वापस कर दिया था। उसे इसके लिए फिर से आवेदन करने का निर्देश दिया था। इस कदम के बाद, PayU को अपने ऑनलाइन एग्रीगेशन बिजनेस के लिए नए मर्चेंट को जोड़ना बंद करना पड़ा था।
पेटीएम, रेजरपे और कैशफ्री पर भी लगा था प्रतिबंध
इसी तरह का प्रतिबंध पेटीएम, रेजरपे और कैशफ्री पर लगाया गया था, जिनमें से रेजरपे और कैशफ्री को पिछले साल दिसंबर में मंजूरी मिल गई थी। वहीं मनी कंट्रोल ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि एक अन्य फिनटेक कंपनी क्रेड (CRED) को भी पेमेंट एग्रीगेटर के तौर पर काम करने के लिए RBI की मंजूरी मिली है।
थर्ड पार्टी सर्विस प्रोवाइडर होते हैं पेमेंट एग्रीगेटर
पेमेंट एग्रीगेटर एक थर्ड पार्टी सर्विस प्रोवाइडर है, जो ग्राहकों को ऑनलाइन पेमेंट करने और मर्चेंट्स को पेमेंट लेने की सुविधा देता है। पेमेंट एग्रीगेटर डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, कार्डलेस EMI, UPI, बैंक ट्रांसफर और ई-वॉलेट जैसे पेमेंट मोड से पेमेंट की सुविधा देता है।
FY24 की पहली छमाही में ₹1,757 करोड़ की कमाई
वित्त वर्ष 2022-23 में पेयू (PayU) इंडिया ने 399 मिलियन डॉलर (करीब ₹3,323 करोड़) की कमाई की थी। वित्त वर्ष 2021-22 के मुकाबले यह 31% ज्यादा था। वहीं, वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही (अप्रैल23-सितंबर23) में कंपनी की कोर पेमेंट बिजनेस से आय 15% बढ़कर 211 मिलियन डॉलर (करीब ₹1,757 करोड़) रही थी।