महादेव ऑनलाइन सट्टा ऐप केस में एसीबी/ईओडब्ल्यू ने दो आरोपी राहुल वकटे और रितेश यादव को गिरफ्तार किया है। राहुल वकटे की गिरफ्तारी दिल्ली और रितेश की गोवा से की गई है। टीम ने हवाला के 43 लाख रुपए भी सीज किए हैं। दोनों आरोपी अगस्त में एएसआई चंद्रभूषण वर्मा की गिरफ्तारी के बाद से ही फरार चल रहे थे।
एसीबी के मुताबिक आरोपी राहुल वकटे हवाला के पैसे प्राप्त कर वर्मा तक पहुंचाने का काम करता था। राहुल के नाम पर तीन रजिस्टर्ड फर्म की भी जानकारी मिली है। इसमें आरोपियों ने बड़ी मात्रा में कैश जमा कराया है। वहीं दूसरा आरोपी रितेश यादव पैनल संचालन करने के साथ-साथ हवाला के जरिए पैसे प्राप्त कर चंद्रभूषण वर्मा और सतीश चंद्राकर की मदद करता था। अफसरों ने बताया रितेश यादव को गोवा में लोकेट किया गया था वो वहां करीब 7 से 8 महीने तक छिपकर रह रहा था। पूछताछ में पता चला कि रितेश पुणे में महादेव पैनल का संचालन करवा रहा है। जिस पर पुणे पुलिस की सहयोग से रेड की गई और पैनल संचालित करते 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
गौरतलब है कि एंटी करप्शन ब्यूरो ने ED के प्रतिवेदन पर महादेव ऑनलाइन सट्टा एप मामले में 20 से अधिक लोगो के खिलाफ FIR दर्ज की गई। जिमसें सौरभ चंद्राकर,रवि उप्पल समेत पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समते कई करोबारी राजनेता और अज्ञात पुलिस अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
ASI चंद्रभूषण वर्मा को बताया मुख्य लाइजनर
ED की जांच में पता चला है कि एएसआई चंद्रभूषण वर्मा छत्तीसगढ़ में मुख्य लाइजनर का काम कर रहा था। चंद्रभूषण दुबई के प्रमोटरों से हवाला के जरिए से हर महीने मोटी रकम लेता और इसे सीनियर पुलिस अफसरों को बांट रहा था और ED के मुताबिक राजनीतिक रूप से मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े लोगों को ‘संरक्षण राशि’ भी दी जा रही थी।
ED की अब तक की जांच से पता चला है कि करीब 65 करोड़ रुपये नगद मिले हैं। जिसे चंद्रभूषण वर्मा ने रिसीव किया और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और राजनेताओं को रिश्वत बांटा है। ED ने गंभीर आरोप लगाते हुए जानकारी दी है कि ASI चंद्रभूषण वर्मा पुलिस में बहुत बड़े पोस्ट में नहीं था।
लेकिन सीएम के सलाहकार विनोद वर्मा के साथ अपने संबंधों और रवि उप्पल के भेजे रिश्वत से मिले पैसों से वो यहां के वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभावित करने में कामयाब रहा।
ASI वर्मा ने ईडी के सामने स्वीकार किया है कि वो कई बड़े ताकतवर लोगों से हर महीने बड़ी रकम रिश्वत में ले रहा था और भुगतान भी कर रहा था। साथ ही वर्मा ने ये भी स्वीकार किया है कि मई 2022 में पुलिस की कुछ कार्रवाई के बाद रिश्वत की रकम भी बढ़ाई गई।
मामलों को कम करने और कार्रवाई को स्थानीय सट्टेबाजों तक सीमित करने और भविष्य में किसी भी कार्रवाई को रोकने के लिए रिश्वत की रकम बढ़ाई गई थी। आरोपियों ने इस मामले में विशेष रूप से सीएमओ से जुड़े बड़े अधिकारियों के भी नाम लिए हैं, जिन्होंने मासिक या फिर नियमित आधार पर बड़ी रिश्वत दी गई है।