केंद्रीय निर्वाचन आयोग की आचार संहिता के अनुसार 50 हजार से ज्यादा कैश रखने का नियम केवल उनके लिए है जो चुनाव लड़ रहे हैं या चुनावी काम कर रहे हैं। इनके अलावा आम लोगों पर यह नियम लागू नहीं होता है। इसके बावजूद 9 अक्टूबर को चुनावी आचार संहिता लागू होने के बाद 31 अक्टूबर तक राज्यभर में कैश, जेवर सहित 38 करोड़ के सामान जब्त कर लिए गए है। चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें एक भी व्यक्ति न तो चुनाव लड़ रहा है और न ही किसी राजनैतिक पार्टी का कार्यकर्ता है। इसके बाद भी कैश और जेवर जब्त किए गए। रायपुर में भी करीब आधा दर्जन लोगों से कैश और जेवर जब्त किए गए हैं। इनमें से अभी तक एक भी व्यक्ति जब्त चीजों को नहीं छुड़वा पाया है।
चुनावी आचार संहिता लागू होने के बाद पुलिस और प्रशासन हर जिले में बैरियर लगाकर गाड़ियों की जांच कर रहे हैं। इसी जांच के दौरान लोगों की गाड़ियों से रकम जब्त की गई है। लेकिन कहीं भी किसी भी पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवार से कोई कैश जब्त नहीं किया गया है। जितनी भी रकम जब्त की गई है वो किसी न किसी कारोबारी के स्टाफ से की गई है। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ चैंबर, कैट समेत सभी व्यापारिक संगठनों ने इसका कड़ा विरोध किया है। इस मामले में कई बार मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से भी मुलाकात की गई, लेकिन कोई बड़ी राहत नहीं मिली।
राज्य बनने के बाद अब तक सबसे ज्यादा जब्ती: राज्य बनने के बाद 2003, 2008, 2013, 2018 के विधानसभा चुनाव में जितनी जब्ती नहीं की गई उतनी 2023 के चुनाव में की गई है। निर्वाचन आयोग के अनुसार 9 अक्टूबर को आचार संहिता लागू होने के बाद से 31 अक्टूबर तक 38.34 करोड़ से ज्यादा का कैश, जेवर और दूसरी सामग्री जब्त की गई है। इसमें 10.11 करोड़ कैश है। यह नगद रकम एक भी प्रत्याशी या चुनावी कार्यकर्ता से जब्त नहीं हुई। पूरी रकम कारोबारियों के स्टाफ या आम लोगों से जब्त की गई है। जब्त रकम में 14.82 करोड़ के आभूषण और रत्न थे। इसके अलावा 9.50 करोड़ से ज्यादा की अन्य सामग्री थी। जिस पर कभी किसी राजनैतिक पार्टी या कार्यकर्ता ने कोई क्लेम नहीं किया। इसमें बड़ी संख्या में सामग्री दिवाली में बिक्री के लिए भेजी जा रही थी।
सीधी बात…रीना बाबा साहेब कंगाले, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी:
सवाल: ज्यादा कैश रखने का नियम चुनाव लड़ने और काम करने वालों के लिए है। आम लोगों को परेशान कर रहे।
जवाब: हमने तो पहले ही कहा है आम लोगों को परेशान न किया जाए। इसके लिए तो हर जिले में समिति भी बनी है।
सवाल: पुलिस की जांच में अभी तक एक भी चुनाव लड़ने वाले या कार्यकर्ता से कोई कैश जब्त नहीं किया गया है।
जवाब: अवैध सामग्री या कैश रोकने का काम पुलिस का है। वो ही बता पाएंगे कि कैश-जेवर किससे जब्त हो रहे।
सवाल: मौके पर दस्तावेज दिखाने का समय नहीं देते, तुरंत कैश-ज्वेलरी जब्त कर लेते हैं। इससे परेशानी बढ़ रही।
जवाब: आयोग की ओर से स्पष्ट निर्देश हैं कि दस्तावेज दिखाने का समय दें। कोई कागज नहीं मिलता तो जांच करें।