गर्मी शुरू होते ही उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाएं अचानक बढ़ गई हैं। सबसे ज्यादा असर गढ़वाल और कुमाऊ मंडल के 11 जिलों में है। गढ़वाल मंडल में पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी, देहरादून और कुमाऊ मंडल में नैनीताल, बागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और चंपावत जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
नैनीताल के भीमताल से सटे जंगलों में पिछले 4 दिनों से लगी आग शुक्रवार को खतरनाक हो गई। लपटें नैनीताल हाईकोर्ट कॉलोनी और आर्मी एरिया से कुछ दूर तक पहुंच गईं। अभी इलाका खाली नहीं कराया गया है। लोगों को अलर्ट किया गया है।
वन विभाग, फायर ब्रिगेड, पुलिस के साथ-साथ सेना के जवान रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हुए हैं। आर्मी एरिया में आग पहुंचती देख एयरफोर्स के MI-17 हेलिकॉप्टर की मदद ली गई। सुबह से शुरू हुआ ऑपरेशन शाम को खत्म हो गया। अब तक 720 हेक्टेयर (1780 एकड़) जंगल को नुकसान पहुंचा है। यह आंकड़ा और बढ़ेगा।
मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार शाम को वन प्रशिक्षण अकादमी हल्द्वानी में आग को रोकने के प्रयासों और नुकसान की समीक्षा की। साथ ही अफसरों को सतर्क रहने के निर्देश दिए और वन विभाग के कर्मचारियों के अवकाश पर रोक लगा दी।
3 पाॅइंट में आग लगने की वजह
- एक्सपर्ट्स के मुताबिक उत्तराखंड में 15 फरवरी से 15 जून यानी 4 महीने फायर सीजन होता है। मतलब फरवरी के मध्य से जंगलों में आग लगने की घटनाएं शुरू हो जाती हैं, जो अप्रैल में तेजी से बढ़ती हैं। बारिश शुरू होते ही ये 15 जून तक धीरे-धीरे खत्म हो जाती हैं।
- कुछ स्थानों पर आग लगने का कारण सर्दियों के मौसम में कम बारिश और बर्फबारी होना है। जंगलों में पर्याप्त नमी नहीं होने से गर्मियों में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। कम नमी की वजह से पेरूल के पत्तों में ज्यादा आग लगती है। पहाड़ों से पत्थर गिरने की वजह से भी आग की घटनाएं बढ़ती हैं।
- कुछ जगहों पर इंसान द्वारा भी आगजनी की घटनाएं होती हैं। जंगलों में हरी घास उगाने के लिए स्थानीय लोग भी आग की घटनाओं को अंजाम देते हैं। इन पर वन विभाग नजर रखता है। अभी तक आग लगाने के मामलों में कुल 19 मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिसमें से 3 मुकदमे नामजद हैं और 16 मुकदमों में जांच चल रही है।
आग से नुकसान और असर
- आगजनी की अब तक हुई घटनाओं में 720 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा है। यह आंकड़ा और बढ़ेगा।
- कुमाऊं मंडल आग की घटनाओं से ज्यादा प्रभावित है। अब तक दो लोग घायल हैं। 15 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
- जंगली जानवर रिहायशी इलाकों में भाग रहे हैं। आग के धुएं से लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है।
आगजनी की कितनी घटनाएं हुईं
- उत्तराखंड में आग लगने की अब तक 593 घटनाएं हुई हैं। इसमें 325 घटनाएं कुमाऊं और 217 घटनाएं गढ़वाल मंडल की हैं।
- शुक्रवार को उत्तराखंड में 31 बड़ी आग लगने की घटनाएं हुई हैं। सबसे बड़ा मामला भीमताल के नजदीक पहाड़ों का रहा।
आग बुझाने के लिए क्या किया जा रहा
- प्रदेशभर में 3700 कर्मचारियों को आग बुझाने के लिए लगाया गया है। 4 महीने के लिए फायर सीजन में वन मित्रों की तैनाती होती है।
- आग बुझाने के लिए मुख्य रूप से झाप (हरे पत्तों की लकड़ी) लोहे और स्टील के (झांपा) इस्तेमाल किए जाते हैं।
सरकार ने क्या किया
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आग की घटनाओं को लेकर हल्द्वानी में अफसरों की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। इसके बाद उन्होंने नैनीताल में जंगलों का हवाई सर्वे किया।
CM ने कहा कि हमारे अफसर और कर्मचारी आग बुझाने में लगे हुए हैं। जहां जरूरी है, वहां सेना से भी मदद ली जा रही है। आग लगाने वालों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।रुद्रप्रयाग में आग लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है। शुक्रवार को तीन लोगों को जंगल में आग लगाते हुए मौके से गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें जेल भेजा गया है। पकड़े गए लोगों में नरेश भट्ट, हेमंत सिंह और भगवती लाल के नाम शामिल हैं।