छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव में कम मतदान से भाजपा को नुकसान….!

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छत्तीसगढ़ में पहले और दूसरे चरण की चार लोकसभा सीटों बस्तर, कांकेर, महासमुंद और राजनांदगांव में मतदान हो चुका है। बूथों से लौटकर मतदान दल निर्वाचन आयोग के अधिकारियों को जानकारियां और ईवीएम-वीवीपैट जमा कर रहा है। लोकसभा सीटों में हुए मतदान की तुलना 2009, 2014 और 2019 से करें तो रोचक तस्वीर सामने आ रही है।

बस्तर, कांकेर, महासमुंद और राजनांदगांव में साल 2019 की अपेक्षा कम मतदान हुआ है। आंकड़ों में देखें तो बस्तर में 3.34, कांकेर में 3.7, महासमुंद में 5.97 और राजनांदगांव में 6.73 प्रतिशत कम वोटिंग हुई है। मतदान दल के शत प्रतिशत वापस आने के बाद आंकड़ा बढ़ने का दावा निर्वाचन आयोग के अधिकारी कर रहे हैं।

कम वोटिंग से किसकी चिंता बढ़ेगी

आमतौर पर छत्तीसगढ़ में परसेप्शन है कि विधानसभा में वोटिंग प्रतिशत बढ़े तो राज्य सरकार को टेंशन हो जाती है। वहीं लोकसभा में वोटिंग प्रतिशत बढ़ता है तो भाजपा को फायदा मिलता है। ऐसे में इस बार पहले और दूसरे चरण में हुई कम वोटिंग ने राजनीतिक दलों को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। इन सबके बाद भी भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।

वोट शेयर में कितना अंतर रहेगा

सवाल ये भी है कि पहले चरण में कम वोटिंग होने से भाजपा और कांग्रेस के बीच वोट शेयर में क्या अंतर रहेगा। सीट जीत-हार का असल खेल वोट शेयर के आंकड़ों में छिपा है। 2004 में कांग्रेस और भाजपा के वोट शेयर में 7.5 प्रतिशत, 2009 में 8 प्रतिशत से ज्यादा, 2014 में 9 प्रतिशत से ज्यादा और 2019 में वोट शेयर में 10 प्रतिशत से ज्यादा का अंतर रहा है। हर बार बीजेपी आगे रही है।

लोकसभा चुनाव में हर बार बीजेपी दिखी मजबूत

लोकसभा चुनाव में हर बार कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं और राज्य के नेताओं ने पूरा दम लगाया, लेकिन हर बार परिणाम बीजेपी के पक्ष में रहा। राज्य गठन के बाद लोकसभा के चार चुनाव हुए, लेकिन कांग्रेस नेता राष्ट्रीय मुद्दों और स्थानीय मुद्दों को अच्छी तरह से भुना नहीं पाए। 2004 में प्रदेश में 52.0 प्रतिशत, 2009 में 55.3 प्रतिशत, 2014 में 69.5 प्रतिशत और 2019 में 73.8 प्रतिशत मतदान हुए। हर बार मतदान में वोटिंग प्रतिशत बढ़ने के साथ ही भाजपा प्रत्याशियों और उनके दल का वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है।

राज्य गठन के बाद इन सीटों को नहीं जीत पाई कांग्रेस

छत्तीसगढ़ राज्य का गठन वर्ष 2000 में हुआ था। राज्य गठन के बाद से प्रदेश में अब तक चार बार लोकसभा चुनाव हो चुके है। इन चुनाव में कांग्रेस राजनांदगांव और कांकेर की सीट कभी भी नहीं जीत पाई है। महासमुंद लोकसभा सीट में कांग्रेस प्रत्याशी अजीत जोगी 2004 में चुनाव जीत पाए थे। लेकिन 2009 से अब तक यह सीट भी भाजपा के पास है। इसी तरह से 2019 में कांग्रेस नेता दीपक बैज ने बस्तर सीट पर सेंध लगाकर कांग्रेस को जिताया था। इससे पहले ये सीट लगातार बीजेपी प्रत्याशी के कब्जे में रही है।

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