छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले में स्थित एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मानी जाने वाली मंडीप खोल गुफा है, जिसे अक्षय तृतीया के बाद सोमवार को भक्तों के लिए खोला गया। भोलेनाथ को समर्पित इस गुफा के दर्शन के लिए आज 30 हजार श्रद्धालु पहुंचे थे। श्रद्धालुओं को करीब 9 किमी दुर्गम रास्ते, घने जंगल और नदी नालों को पार करना पड़ता है। दरअसल, यह गुफा जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर है।
13 मई को सुबह 4 बजे से शाम 6 तक तक श्रद्धालुओं को दर्शन करवाया गया। शिवलिंग गुफा में 500 मीटर अंदर है। चट्टान हटाने से पहले जंगली जानवरों से बचाव के लिए हवाई फायरिंग की गई।
जमींदार परिवार का पहला प्रवेश, पूजा-अर्चना की
गुफा में पहला प्रवेश जमींदार परिवार के लोगों ने ही किया। यहां स्थित शिवलिंग सहित अन्य देवी-देवताओं की विधि विधान से पूजा-अर्चना कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना की गई। बाहर भीषण गर्मी रही, लेकिन गुफा में भीतर जाते ही ठंडक का अहसास होता है। जमींदार परिवार के सदस्यों ने बताया कि गुफा के अंदर कई रहस्य छिपे हुए हैं। अंदर चमकीले पत्थर हैं। मीना बाजार, अजगर गुफा, चमगादड़ गुफा और श्वेत गंगा भी है।
गुफा का रहस्य अभी भी नहीं सुलझा है। गुफा की गहराई का भी अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है। गुफा की गहराई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज तक इसका छोर नहीं मिल पाया है। इसलिए गुफा के अंदर गए सभी लोगों को शाम होने से पहले ही बाहर आना होता है।
गुफा के गर्भ में कई रहस्य
संकरे मुख वाली इस गुफा के अंदर कई बड़े कक्ष हैं। कुछ साल पहले पुरातत्व विभाग ने इसका सर्वेक्षण किया था। जिसमें पाया गया कि यह गुफा देश की सबसे लंबी और एशिया की दूसरी सबसे लंबी गुफा है। इसके गर्भ में काफी रहस्य छिपे हुए हैं। जिन पर अभी अनुसंधान होना बाकी है।
पहाड़ों, नदी और नालों को करना पड़ता है पार
भौगोलिक नजरिए से मंडीप खोल गुफा मैकल पर्वत माला के खूबसूरत हिस्से में स्थित है। यहां पहुंचना आसान नहीं है, क्योंकि गुफा तक पहुंचने का कोई सही रास्ता नहीं है। पैलीमेटा या ठाकुर टोला तक ही सड़क मार्ग है। इसके बाद भक्तों को घने जंगल से होते हुए पगडंडियों, पहाड़ों, नदी और नालों को भी पार करना पड़ता है। गुफा के पास स्थित कुंड से निकलने वाली श्वेत गंगा को श्रद्धालु रास्ते में 16 बार पार करते हैं।
एक दिन के लिए खोली जाती है गुफा
हर साल अक्षय तृतीया के बाद पड़ने वाले सोमवार को ही इस गुफा का द्वार श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। हजारों की संख्या में भोलेनाथ के भक्त इस दिन भगवान के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इनकी संख्या साल दर साल बढ़ती ही जा रही है।