सेहतनामा- दुनिया के 10% लोगों को होता है स्टमक अल्सर : मिर्च-मसाले नहीं, पेनकिलर्स और एंटीबायोटिक्स है वजह, पेट का बेस्टफ्रेंड है दही….!!

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हमारे देश में एक झूठ जो पूरी शिद्दत से पीढ़ी-दर-पीढ़ी बताया गया है, वो ये ज्यादा तीखा मत खाओ, मसालेदार चीजें मत खाओ। इससे पेट में घाव हो जाता है। ये पेट के लिए नुकसानदायक है। ज्यादा मसाला खाने से अल्सर हो जाता है।ये ठीक है कि ज्यादा मिर्च-मसाला खाने से एसिड रिफ्लेक्स हो सकता है, अपच और गैस हो सकती है, लेकिन इससे अल्सर नहीं होता। सच यह है कि अगर हमें पहले से अल्सर है तो मसालेदार चीजें उस कंडीशन को ट्रिगर कर सकती हैं। लेकिन ये मसाले अल्सर की पहली वजह नहीं हैं। यहां तक कि मसालों की तासीर गर्म बनाने वाला कंपाउंड कैप्साइसिन अल्सर के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया को मारकर हमारी गट हेल्थ इंप्रूव करता है।

अल्सर की प्राइमरी वजह है एच. पाइलोरी (H. Pylori) नाम के बैक्टीरिया से होने वाला इंफेक्शन। साथ ही नॉनस्टेरॉइडल एंटीइंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) जैसे एस्पिरिन, ब्रूफेन और एंटीबायोटिक्स दवाइयां। रिसर्चगेट की एक स्टडी के मुताबिक दुनिया के 10% लोगों को जिंदगी में एक बार पेट का अल्सर होता है।

आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे पेट के अल्सर की। साथ ही जानेंगे कि-

  • पेट के अल्सर के क्या लक्षण हैं?
  • पेट का अल्सर क्यों होता है?
  • ये कितना गंभीर हो सकता है?
  • इस दौरान कैसा हो हमारा खानपान?

क्या है अल्सर?

पेट का अल्सर यानी गैस्ट्रिक अल्सर पेट की भीतरी परत में खुले और दर्दनाक घाव हैं। यह एक तरह का पेप्टिक अल्सर है, जो पेट और आंत दोनों को प्रभावित करता है। पेट के अल्सर में आमतौर पर जलन और दर्द महसूस होता है। लेकिन जरूरी नहीं है कि हर बार अल्सर का कोई लक्षण दिखाई ही दे।

पेट के अल्सर का इलाज किया जाए तो ये आसानी से ठीक हो सकते हैं। लेकिन समय पर सही इलाज न मिले तो ये गंभीर भी हो सकते हैं। कुछ अल्सर में तो लगातार इंटरनल ब्लीडिंग होती रहती है और बहुत ब्लड लॉस भी हो सकता है।

पेट के अल्सर के क्या लक्षण हैं?

पेट के अल्सर में आमतौर पर सीने और नाभि के बीच पेट में जलन या दर्द होता है। पेट खाली होने पर दर्द ज्यादा तीव्र होता है और यह कुछ मिनटों से लेकर कई घंटों तक बना रह सकता है।

अल्सर के कई अन्य सामान्य लक्षण भी हैं। आइए ग्राफिक में देखते हैं:

कितना खतरनाक हो सकता है पेट का अल्सर?

ब्लीडिंग अल्सर: पेट के अल्सर से लगातार माइल्ड ब्लीडिंग हमें काफी परेशान कर सकती है। अगर ब्लीडिंग मॉडरेट है तो एनीमिया का कारण बन सकती है, जबकि सीवियर ब्लीडिंग से मौत का रिस्क हो सकता है।

गहरा छेद करने वाला अल्सर: इस तरह का अल्सर आमतौर पर हमारी स्टमक वॉल में होता है और वहीं खत्म हो जाता है। जबकि रेयर केस में ये इस वॉल को तोड़कर गहरा छेद बना सकते हैं। अगर इसका इलाज न किया जाए तो पेट के एसिड और बैक्टीरिया मिलकर गंभीर संक्रमण का कारण बन सकते हैं। यह संक्रमण आसानी से हमारे ब्लड स्ट्रीम में फैल सकता है और सेप्सिस का कारण बन सकता है।

क्या है पेट के अल्सर की वजह?

पेट के अल्सर के दो सबसे आम कारण एच. पाइलोरी बैक्टीरिया इंफेक्शन और नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं (NSAIDs) का धड़ल्ले से उपयोग करना है। लोग थोड़ा सा दर्द या सर्दी-जुखाम होने पर तुरंत एंटीबायोटिक दवाइयां खरीदकर खा लेते हैं। कई बार तो वे मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन के बगैर भी सीधे काउंटर से दवाइयां लेकर खाते हैं। ये बहुत खतरनाक है। अमेरिकी हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स के मुताबिक लगभग 99% पेट के अल्सर के लिए यही दो कारण प्रमुख हैं।

क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक, एच. पाइलोरी बैक्टीरिया दुनिया की लगभग आधी आबादी को नुकसान पहुंचाता है। यह बैक्टीरिया हम सबके पेट में रहता है। यह कुछ लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है, जबकि किसी को खास प्रभावित नहीं कर पाता है। जब ये बैक्टीरिया पेट की इनर वॉल को खाना शुरू कर देते हैं तो इनका कुनबा बढ़ता चला जाता है और उसके साथ ही पेट के घाव भी।

अगर हम ओवर द काउंटर दर्द की दवाएं लेकर खाते रहते हैं तो ये हमारी पेट की रक्षा कर रही इनर वॉल को खराब कर देती हैं। इससे पेट में घाव बन जाते हैं और बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है।

इसके अलावा कुछ और हेल्थ कंडीशन भी पेट के अल्सर की वजह बन सकती हैं जैसे-

  • जोलिंगर इल्यूजन सिंड्रोम
  • सीवियर साइकोलॉजिकल स्ट्रेस

इसके इलाज के लिए किसी गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट या जनरल फिजिशियन से सलाह ले सकते हैं। लेकिन इस दौरान सबसे जरूरी है अपने खानपान का ध्यान रखना क्योंकि हमारी खाई और पी गई हर चीज का असर हमारे पेट पर पड़ता है।

इस दौरान खानपान का रखना होता है विशेष ध्यान

ऋषिकेष एम्स में ऑन्कोलॉजी विभाग की डायटिक्स रहीं डॉ. अनु अग्रवाल कहती हैं कि हम खाते हुए सिर्फ अपनी जीभ यानी स्वाद का ख्याल रखते हैं। यह नहीं सोचते हैं कि इसका हमारे पेट पर क्या असर होगा, जबकि भोजन के साथ सभी रिएक्शन तो हमारे पेट में जाकर ही होने हैं।

डॉ. अनु कहती हैं कि पेट का अल्सर होने पर हमें छोटी और फ्रीक्वेंट मील्स लेनी चाहिए। अल्सर की कंडीशन में पेट को एक साथ खाना पचाने में मुश्किल होती है। डाइट फर्मेंटेड हो तो बेहतर है। अपनी डाइट में दही और दूसरे प्रोबायोटिक्स जरूर शामिल करें। इससे खाना पचाने में आसानी होगी और हेल्दी गट बैक्टीरिया भी बढ़ेंगे, जो गट हेल्थ को हेल्दी कंडीशन रिटेन करने में मदद करेंगे। अगर स्वस्थ व्यक्ति अपने खाने में रेगुलर दही शामिल करे तो पेट के अल्सर के चांसेज न के बराबर रह जाते हैं।

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