फुटहामुड़ा में जैव विविधता हो रही है बरबाद:डैम में मर रहीं मछलियां, उन्हें खाने आ रहे जंगली जीव, बरबाद हो रहा विदेशी प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग…!!

Spread the love

प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग कहे जाने वाले धमतरी जिले के फुटहामुड़ा में इन दिनों जैव विविधता बरबाद हो रही है। डैम में बड़ी संख्या में मछलियां मर रही हैं। इन्हें मछली पालक किनारे पर फेंक रहे हैं। जगह जगह मरी हुई मछलियां फैली हुई हैं। इन्हें खाने के लिए कुत्ते, जंगली बिल्लियां, नेवले, सियार आदि आ रहे हैं जो प्रवासी पक्षियों के अंडे भी खा जा रहे हैं। कई देशी विदेशी पक्षी गर्मियों में यहां अंडे देते हैं और बच्चों के बड़े होने तक यहीं रहते हैं। उनका यह घर उजड़ रहा है।

क्यों मर रहीं मछलियां

छत्तीसगढ़ में सिर्फ यहीं प्रजनन

धमतरी वाइल्डलाइफ सोसायटी के मुताबिक ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट, रेड वैटल्ड लैपविंग, लिटल रिंग प्लोवर, केंटिश प्लोवर, इंडियन कोर्सर, ओरिएंटल पैंटिकोल, स्मॉल पैंटिकोल, लिटल टर्न- ये ऐसे पक्षी हैं जो फुटहामुड़ा में गर्मियों में प्रजनन करते हैं। इनके प्रजनन का छत्तीसगढ़ में और कहीं रिकार्ड नहीं है।

क्यों अवैध है मछली पालन

सोसायटी के गोपीकिशन साहू व अमर मुलवानी के मुताबिक बांध परियोजना अधिकारी ने इसी साल 20 जनवरी को यहां केज कल्चर से मछली पालन का अनापत्ति प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया है। मगर इसके बाद मछली पालकों ने नए केज भी बना लिए। इसकी जानकारी सं​बंधित विभागों को दी जा चुकी है। कोई कार्रवाई हुई हो तो हमारी जानकारी में नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे

गोपीकिशन व अमर का कहना है कि फुटहामुड़ा में खासतौर पर नेस्टिंग पीरियड में इंसानों की आवाजाही बंद करनी चाहिए। केज कल्चर से मछलीपालन बंद होना चाहिए। हम जैव विविधता के इस स्वर्ग को बचाने के लिए हाईकोर्ट जाएंगे और जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट भी जाने के लिए तैयार हैं।

300 तरह के पक्षी

धमतरी जिले में पक्षियों की 300 से ज्यादा प्रजातियां मिलती हैं। इनमें से 100 प्रवासी पक्षी हैं जिनमें से कई विदेशों से आते हैं। टैरिफ सैंड पाइपर, कैस्पियन टर्न, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन पोचार्ड,नार्दर्न पिनटेल, बार हेडेड गूज, रेड ब्रेस्टेड फ्लाईकैचर, अल्ट्रामरीन फ्लाईकैचर, रोजी पिपिट, पाइड एवोसेट, पैसिफिक गोल्डन प्लोवर, रिवर लैपविंग, वाटर कॉक, टेमनिक स्टिंट लैपविंग, लेसर सैंड प्लोवर, डनलिन जैसे पक्षी यहां दिखते हैं।

इनके अलावा एशियन ओपन बिल, ब्लैक हेडेड आइबिस, रेड नेप्ड आइबिस आदि शामिल हैं। कोरमोरेंट, एशियन पैराडाइज फ्लाइकैचर, ग्रीन बी ईटर, ड्रोंगो, ईग्रेट, इंडियन रोलर जैसे पक्षी भी पाए जाते हैं। इनमें से कुछ स्थानीय पक्षी हैं, कुछ स्थानीय प्रवासी हैं, कुछ विदेश से आते हैं और कुछ समय ठहरते हैं, कुछ विदेश से आकर यहां प्रजनन करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *