पिता-भाई की हत्या में वांटेड एक महीने हरिद्वार में थी:पुलिस को बताया- घूमने आए हैं, वारदात के 75 दिन बाद बॉयफ्रेंड चकमा दे गया…!!

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जबलपुर में पिता और भाई की हत्या की आरोपी नाबालिग और उसके बॉयफ्रेंड को मध्यप्रदेश पुलिस नेपाल में तलाशती रही। वे उत्तराखंड के हरिद्वार में फरारी काट रहे थे। आरोपी लड़की और बॉयफ्रेंड मुकुल सिंह (21) ने पिछले एक महीने से हरिद्वार को ठिकाना बना रखा था। दोनों यहां अलग-अलग आश्रमों में रह रहे थे। पूछताछ के दौरान उन्होंने पुलिस से कहा कि वे घूमने आए हैं। वारदात के 75 दिन बाद 28 मई को नाबालिग तो पकड़ी गई, लेकिन मास्टरमाइंड बॉयफ्रेंड चकमा दे गया। उसने अस्पताल के अंदर से बैग लेकर आने का कहकर दौड़ लगा दी। हालांकि, फिलहाल लड़की से पूछताछ नहीं की गई है।

बहन को वॉइस मैसेज- मुकुल ने पापा और भाई को मार डाला

15 मार्च 2024 को मिलेनियम काॅलोनी निवासी राजकुमार विश्वकर्मा (52) और तनिष्क (8) की हत्या कर दी गई थी। राजकुमार रेल विभाग में कार्यालय अधीक्षक थे। हत्या के बाद उनकी नाबालिग बेटी ने भोपाल में रहने वाली चचेरी बहन को 4 सेकेंड का वॉइस मैसेज किया था। कहा था- पड़ोस में रहने वाले मुकुल ने पापा और भाई को मार डाला है।

दोपहर करीब 3 बजे पुलिस आरपीएफ के साथ पहुंची, तो घर पर बाहर से ताला लगा था। ताला तोड़कर पुलिस अंदर दाखिल हुई। किचन में राजकुमार खून से लथपथ मृत पड़े थे। बॉडी पॉलीथिन से कवर थी। वहीं, फ्रिज में पॉलीथिन के ऊपर चादर में लिपटी तनिष्क की खून से सनी लाश मिली।

टीआई बोले- शक के आधार पर पकड़ा

हरिद्वार कोतवाली थाना प्रभारी सतेंद्र सिंह ने बताया, ‘मंगलवार शाम करीब 4 बजे की बात है। जिला अस्पताल से सूचना मिली कि एक युवक और उसके साथ एक लड़की पिछले दो से तीन घंटे से घूम रहे हैं। उनकी गतिविधि संदिग्ध लग रही है। बार-बार लड़की अस्पताल के वॉशरूम में जा रही है। उसके साथ मौजूद युवक बैग लेकर बाहर इंतजार करता दिख रहा है। जिस शख्स ने यह सूचना दी, उसने सोशल मीडिया में मुकुल की तस्वीर देखी थी। साथ ही, समाचारों में भी पढ़ा था। उसने पहले अस्पताल चौकी में सूचना दी।

पुलिस की टीम तुरंत जिला अस्पताल पहुंच गई। जो जवान अस्पताल पहुंचे थे, उन्होंने भी करीब महीनेभर पहले दोनों की फोटो देखी थी। टीम ने भी उन्हें पहचान लिया। पुलिस ने दोनों को घेर लिया। पूछताछ की, तो मुकुल सिंह ने बताया कि हम घूमने आए हैं। फिर भी उन्हें शक न हो, इसलिए सामान्य तरीके से दोनों को अस्पताल से बाहर लेकर आए। उनसे कहा कि चलो, तुम दोनों को तुम्हारे परिवारवालों को सौंप देते हैं।

इसके बाद पुलिस ने पहले लड़की को गाड़ी में बैठा लिया। इस दौरान युवक नीचे ही खड़ा रहा। जब मुकुल सिंह से वैन में बैठने के लिए बोला, तो उसने कहा- अस्पताल के अंदर बैग रखा है, उसे लेकर आता हूं। इतना कहते ही उसने दौड़ लगा दी। काफी दूर तक पुलिसकर्मियों ने उसका पीछा किया, लेकिन भीड़ का फायदा उठाकर वह भाग गया। कोतवाली थाना और क्राइम ब्रांच की टीम उसे पकड़ने में लगी है। आरोपी को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।’

महीने भर से हरिद्वार को बना रखा था ठिकाना

हरिद्वार कोतवाली के थाना प्रभारी सतेंद्र सिंह ने बताया कि दोनों ने महीनेभर से हरिद्वार में ही ठिकाना बना रखा था। यहां दोनों अलग-अलग आश्रमों में रहते थे। बुधवार शाम जबलपुर पुलिस की टीम पहुंच गई है। अभी लड़की से पूछताछ नहीं की गई है।

दिन मंदिर-आश्रम, रातें अस्पताल में काटीं

पता चला है कि मुकुल सिंह को पता था कि अयोध्या, मथुरा में पुलिस उन्हें तलाश कर रही है। ऐसे में उन्होंने उत्तराखंड जाने की तैयारी कर ली। कारण- आरोपी मुकुल सिंह जानता था कि हरिद्वार में रोजाना हजारों टूरिस्ट आते-आते हैं। इस कारण पुलिस की ज्यादा पूछ-परख नहीं होगी। नेपाल जाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। 19 अप्रैल के बाद नेपाल बॉर्डर से करीब 600 किलोमीटर का सफर तय कर हरिद्वार पहुंच गए। यहां दिन में मंदिर या किसी आश्रम में रहते थे। शाम को जिला अस्पताल कैंपस में रहते।

पैसे खत्म हुए, इसलिए लिया आश्रम में सहारा

जबलपुर एसपी आदित्य प्रताप सिंह ने बताया कि आरोपियों को पकड़ने के लिए पिछले 75 दिन से आठ टीमें लगी हैं। एसपी ने बताया कि इनके खातों को फ्रीज किया। लिमिट एक हजार रुपए तक की, तो आरोपी समझ गए कि एटीएम ट्रांजेक्शन के जरिए नजर रखी जा रही है। इसके बाद आरोपियों ने पैसा निकालना भी बंद कर दिया। ऐसे में इनके पास पैसे खत्म हो गए। इस वजह से मंदिर के भंडारे या आश्रम में रह रहे थे।

11 अप्रैल को चंडीगढ़, 17 अप्रैल को अयोध्या में मिली थी लोकेशन

आरोपियों को पकड़ने के लिए मध्यप्रदेश पुलिस की आठ टीम मुंबई, पुणे, कर्नाटक, गोवा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब और बिहार में तलाश कर रही थीं। कुछ जगह मुकुल सिंह की मोबाइल लोकेशन के जरिए पहुंची, लेकिन हर बार आरोपी चकमा देता गया। 11 अप्रैल को आरोपी मुकुल की लोकेशन चंडीगढ़ में मिली थी। जबलपुर पुलिस ने पंजाब पुलिस की मदद ली, लेकिन वह फरार हो गया। इसके बाद हरियाणा होते हुए छह दिन में 880 किलोमीटर का सफर तय कर 17 अप्रैल को अयोध्या पहुंच गया। 19 अप्रैल को नेपाल बॉर्डर पर मुकुल सिंह का मोबाइल कुछ देर के लिए चालू हुआ, फिर बंद हो गया।

नेपाल में की जा रही थी तलाश

जबलपुर पुलिस की एक टीम ने उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ मिलकर अयोध्या में घेराबंदी की, लेकिन आरोपी भाग निकला। पुलिस अयोध्या, मथुरा में तलाश रही थी। इस बीच, सूचना मिली कि मुकुल सिंह का मोबाइल कुछ मिनट के लिए नेपाल बॉर्डर में ऑन हुआ, फिर बंद हो गया। जबलपुर पुलिस अयोध्या से तीन घंटे का सफर कर नेपाल पहुंची। नेपाल समेत देशभर में आरोपी मुकुल सिंह के पोस्टर लगाए गए हैं। नेपाल में भी पुलिस पोस्टर दिखाकर लोगों से वन टू वन तलाशने की कोशिश कर रही थी।

10 हजार पोस्टर, देश के कई शहरों में लगाए

जबलपुर पुलिस ने मुकुल सिंह वांटेड के 10 हजार पोस्टर छपवाए हैं। इन पोस्टर्स को न सिर्फ मध्यप्रदेश, बल्कि देश के कई शहर में चिपकाया गया। यही नहीं, पश्चिम बंगाल, नेपाल बॉर्डर पर भी पोस्टर लगाए गए हैं। साथ ही, मध्यप्रदेश DGP सुधीर कुमार सक्सेना ने देश के सभी राज्यों के डीजीपी को ई मेल के माध्यम से मुकुल सिंह को फोटो भेजकर गिरफ्तारी में मदद मांगी।

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