9 जून 2024 की शाम। नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। इस बार फर्क सिर्फ इतना है कि BJP बहुमत से 32 सीटें पीछे रह गई। सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों के सहारे की जरूरत है। इनमें सबसे प्रमुख 16 सीटों वाली TDP, 12 सीटों वाली JDU, 7 सीटों वाली शिवसेना और 5 सीटों वाली LJP हैं। खबरों के मुताबिक चंद्रबाबू नायडू की TDP और नीतीश कुमार के JDU की नजर 10 मंत्रालयों पर टिकी है। चिराग पासवान की LJP और शिंदे की शिवसेना कम से कम 2-2 मंत्री बनाना चाहते हैं। इसके अलावा RLD, अपना दल जैसे अन्य छोटे दलों को भी मंत्री पद की उम्मीद है।
सहयोगियों की मांग चाहे जितनी हो, लेकिन हमारी कैलकुलेशन के मुताबिक मोदी 3.0 मंत्रिपरिषद में 12 से 15 मंत्री-पद ही सहयोगी दलों को मिल सकते हैं।
जिम्मेदारी और वैल्यू के हिसाब से मंत्री पद 4 कैटेगरी के होते हैं…
1. कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटीः प्रधानमंत्री के अलावा टॉप-4 कैबिनेट मिनिस्टर होते हैं- गृह, वित्त, रक्षा और विदेश मंत्री। इन्हें कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी भी कहा जाता है।
2. कैबिनेट मिनिस्टरः टॉप-4 मंत्रियों के समेत बाकी मंत्रालयों के कैबिनेट मंत्री।
3. राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार): छोटे-छोटे विभागों के राज्यमंत्री, जिन्हें स्वतंत्र प्रभार दिया जाता है।
4. राज्य मंत्रीः ऐसे मंत्री किसी न किसी मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री के साथ काम करते हैं।
इनके अलावा स्पीकर का पद भी बहुत महत्वपूर्ण है। इन्हें हम कैबिनेट मिनिस्टर के रैंक का मान सकते हैं। मंत्रियों में उपमंत्री भी एक कैटेगरी होती है, लेकिन इन दिनों उपमंत्री नहीं बनाए जाते। मंत्रिपरिषद के नेगोशिएशन में सिर्फ नंबर नहीं, बल्कि मंत्री की कैटेगरी को भी ध्यान में रखा जाता है।
ऊपर के दोनों ग्राफिक्स के साफ है कि जब BJP को बहुमत के लिए क्रिटिकल पार्टनर्स की जरूरत होती है, तो वो मंत्रिपरिषद में सहयोगियों को 29% तक हिस्सेदारी देती है। वहीं पूर्ण बहुमत होने पर सिर्फ 2 मंत्री पद पर निपटा देती है।
2024 लोकसभा चुनाव में BJP 240 सीटों पर सिमट गई। बहुमत से 32 सीटें दूर। 272 के आंकड़े को पार करने के लिए सहयोगियों की जरूरत है। BJP सबसे पहले बड़े पार्टनर्स को साधेगी, जिससे छिटकने का डर कम हो या बार-बार डीलिंग न करनी पड़ी।
ऊपर दी गई लिस्ट में BJP के अलावा 4 बड़े पार्टनर्स हैं। TDP, JDU, शिवसेना और LJP। शिवसेना की महाराष्ट्र में BJP के साथ गठबंधन की सरकार है। वो केंद्र में ज्यादा बारगेन नहीं कर पाएगी, इसलिए हम उसे क्रिटिकल पार्टनर से हटाकर LJP को शामिल कर लेते हैं। इस गणित के लिहाज से अब सरकार बनाने के लिए 4 क्रिटिकल पार्टनर हो गए…
BJP (240)+ TDP (16) + JDU (12) + LJP (5)= बहुमत (273)
सरकार में इनकी भागीदारी के लिहाज से रेशियो बन रहा है…
BJP (60): TDP (4): JDU (3): LJP (2)
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अधिकतम 71 मंत्री और दूसरे कार्यकाल में अधिकतम 72 मंत्री थे। हम मान लेते हैं कि मोदी 3.0 कैबिनेट में भी मंत्रियों की संख्या 70 के आस-पास है। इस हिसाब से BJP के 60 मंत्री, TDP के 4 मंत्री, JDU के 3 मंत्री और LJP के 2 मंत्री होने चाहिए।
इसके अलावा शिवसेना और अन्य छोटी-छोटी पार्टियों को भी 3-5 सीटें मिल सकती हैं। यानी मोदी मंत्रिपरिषद में सहयोगी दलों को 12-15 मंत्री पद होने चाहिए। अब इसमें मंत्रियों की 4 कैटेगरी के मुताबिक नेगोशिएशन होगा। यानी अगर सहयोगियों को कैबिनेट मंत्री ज्यादा मिले तो कुल संख्या कम हो सकती है और अगर राज्यमंत्री ज्यादा मिले तो कुल संख्या बढ़ सकती है।
जैसे- अगर TDP को टॉप-4 मंत्रालयों से एक मंत्री पद या स्पीकर का पद मिल गया तो सकता है उनके मंत्रियो की संख्या कम हो जाए।
अब सवाल उठता है कि क्या सहयोगी दलों को मिलने वाले मंत्री पद BJP कोटे से घटेंगे?
दरअसल, संविधान के आर्टिकल 75 के मुताबिक मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की संख्या लोकसभा के कुल सदस्यों की संख्या के 15% से ज्यादा नहीं हो सकती। लोकसभा में 543 सदस्य हैं। उसका 15% यानी मोदी मंत्रिपरिषद में अधिकतम 81 मंत्री हो सकते हैं।
अगर BJP मंत्रियों की संख्या मैक्सिमम कर लेती है तो BJP कोटे को ज्यादा डेंट नहीं लगेगा। अगर मंत्रियों की संख्या 70 के आस-पास रहती है तो BJP कोटे के करीब 15 मंत्री घटेंगे। सरकारें आमतौर पर मंत्रिपरिषद की मैक्सिमम लिमिट तक नहीं जाती हैं।