बम्लेश्वरी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष के घर छापेमारी में ईडी को मिला नोटों का जखीरा, कस्टम मिलिंग घोटाले में 150 करोड़ की हेराफेरी….!!

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छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध धर्म स्थली डोंगरगढ़ में बम्लेश्वरी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष और राइस एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल के घर 8 जून की सुबह 5 बजे से रात 11 बजे तक 18 घंटों की छापेमारी में ईडी को बहुत बड़ी सफलता मिली। छापेमारी का यह मामला कस्टम मिलिंग में करोड़ों के घोटाले से जुड़ा हुआ है। केन्द्रीय प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने नोट गिनने की 2 मशीनें मंगवाकर भारी पैमाने पर यहां से बरामद नगदी को गिनने और दस्तावेजों को खंगालने में खासी मशक्कत की। 

इस पूरे मामले में मार्कफेड के अधिकारी और राज्य चावल मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मिलकर कस्टम मिलिंग घोटाले को अंजाम दिया है। इसके लिए अधिकारी और मिलर्स ने विशेष प्रोत्साहन राशि का दुरुपयोग किया है। करोड़ों की रिश्वत कमाने की साजिश को राष्ट्रबोध में हम आगे सरल शब्दों में बता रहे हैं। 

सब मिल जुलकर दो साल से घोटाला कर रहे थे

कारोबारियों के अनुसार, मार्कफेड के पूर्व एमडी मनोज सोनी और उनके सहयोगियों का खेल दो साल से चल रहा था। इसके लिए पूरी टीम बनाई गई थी। टीम में मॉर्कफेड के अफसर और छत्तीसगढ़ स्टेट मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी भी शामिल थे। आरोप है कि कस्टम मिलिंग, डीओ काटने, मोटे धान को पतला करने, पतले धान को मोटा करने, FCI को नान में कंवर्ट करने का पैसा लिया जाता था।

मोटी वसूली की चेन ऐसे काम करती थी

ED की जांच में ये पाया गया कि, तत्कालीन जिला मार्केटिंग ऑफिसर प्रीतिका पूजा केरकेट्टा को मनोज सोनी ने रोशन चंद्राकर के माध्यम से निर्देश दिया था। इसमें कहा गया था कि उन्हीं राइस मिलर्स के बिल का भुगतान किया जाना है, जिन्होंने वसूली की राशि रोशन चंद्राकर को दे दी है।

किन राइस मिलर्स को भुगतान किया जाना है, इसकी जानकारी संबंधित जिले के राइस मिलर्स एसोसिएशन के जरिए मिलती थी। रोशन चंद्राकर जिन मिलर्स की जानकारी प्रीतिका को देता थे, उनका भुगतान कर बाकी मिलर्स की राशि रोक दी जाती थी।

कस्टम मिलिंग मामले में हुई भष्टाचार की जांच और मनोज सोनी की गिरफ्तारी के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने राइस मिलर्स को समंस जारी किया है। वहीं, एसोसिएशन से जुड़े कई लोगों ने ED दफ्तर पहुंच कर अपने बयान दर्ज कराए हैं। पूछताछ में सहयोग नहीं करने और समंस के बाद भी नहीं आने वाले अधिकारियों और एसोसिएशन से जुड़े लोगों को जल्द ही ED गिरफ्तार कर सकती है।

8 महिना पहले पड़ा था पहला छापा 

20 अक्टूबर 2023 को ED ने छापा मारा था। ED ने अपने ऑफिशियल X अकाउंट पर लिखा कि, 20-21 अक्टूबर को मार्कफेड के पूर्व MD, छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स संगठन के कोषाध्यक्ष और कुछ सदस्यों, राइस मिलर्स और कस्टम मिलिंग से जुड़े लोगों के घर पर जांच की गई।

चावल घोटाले से जुड़ी इस जांच में कई संदिग्ध दस्तावेज, डिजिटल डिवाइस और 1 करोड़ 6 लाख कैश मिला। ED ने इनकम टैक्स की शिकायत के आधार पर जांच शुरू की। इस जांच के बाद ED की स्थानीय टीम ने प्रतिवेदन दिया और उसके बाद एफआईआर हुई।

शिवरतन शर्मा ने उठाया था विधानसभा में मुद्दा

6 मार्च 2023 को विधानसभा में बीजेपी विधायक शिवरतन शर्मा ने कस्टम मिलिंग में प्रति टन 20 रुपए वसूली का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि जो मिलर्स वसूली देते है, उनको ही भुगतान होता है। इसके बाद तत्कालीन मंत्री मोहम्मद अकबर ने सबूत मांगा था और सदन में जमकर हंगामा हुआ था।

अवैध वसूली फोर्टिफाइड राइस के भुगतान में भी नहीं छोड़ी

राइस मिलर्स ने फोर्टिफाइड राइस का भुगतान करने पर पैसे मांगने का आरोप लगाया था। उनके अनुसार, केंद्र सरकार ने PDS के जरिए गरीबों को दिए जाने वाले अनाज की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए फोर्टिफाइड राइस की मात्रा बढ़ाने का आदेश दिया था।

दरअसल फोर्टिफाइड राइस एक कृत्रिम पोषणयुक्त चावल है। इसमें आम चावल की तुलना में आयरन, विटामिन बी-12, फॉलिक एसिड की मात्रा अधिक है। इसके अलावा जिंक, विटामिन ए, विटामिन बी वाले फोर्टिफाइड राइस भी विशेष तौर पर तैयार किए जा सकते हैं।

फोर्टिफाइड राइस को आम चावल में मिलाकर खाया जाता है। ये देखने में बिल्कुल आम चावल जैसे ही लगते है, इनका स्वाद भी बेहतर होता है।

सरकार के आदेश के मुताबिक, FCI और नागरिक आपूर्ति निगम में जमा होने वाले चावल में एक प्रतिशत फोर्टिफाइड राइस कर्नेल होना चाहिए। 99 किलो सामान्य चावल का पैमाना तय किया गया था। आरोप है कि इसमें कमीशनखोरी और घूसखोरी का खेल चला।

मनमानी कमीशनखोरी 

छत्तीसगढ़ के राइस मिलर्स ने बताया कि पहले मिलर अपनी सहूलियत और भाव के मुताबिक राज्य के किसी भी जिले से फोर्टिफाइड राइस उठा सकता था। FCI के अफसरों ने इसे खत्म करते हुए केवल अपने ही जिलों से फोर्टिफाइड राइस लेने का तुगलकी फरमान ज़ारी कर दिया।

इस फरमान के बाद से ही फोर्टिफाइड राइस की कीमतों में भी मनमानी बढ़त दर्ज की गई। इस बढ़ी हुई कीमत से ही FCI अफसर तक घूस की रकम पहुंचाई जा रही थी, हालांकि मिलर्स के दबाव के बाद इस आदेश को वापस लिया गया।

हर टेबल पर चढ़ावा देने के बावजूद रोका गया भुगतान

प्रदेश के राइस मिलर्स के अनुसार करोड़ों रुपए का भुगतान भी एफसीआई के अफसरों ने रोक रखा है। दरअसल केंद्र सरकार से बनाए गए सिस्टम के मुताबिक फोर्टिफाइड राइस के भुगतान का जिम्मा एफसीआई के हाथों में है। जिसके चलते भुगतान के लिए हर टेबल में चढ़ावा देना होता है।

अपना भुगतान मांगे जाने पर मिलर्स से फोर्टिफाइड राइस पर प्रति किलो 6 से 7 रुपए की घूस मांगी जा रही है। 2021-22 में किसानों से समर्थन मूल्य पर 97 लाख 97 हजार 122 मीट्रिक टन धान की खरीदी की थी।

राज्य में 2020-21 में 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी। साल 2021-22 में 21,77,283 किसानों ने समर्थन मूल्य पर अपना धान बेचा था, जो बीते वर्ष धान बेचने वाले 20,53,600 किसानों की संख्या से 1,23,683 अधिक थी।

इस काम की लगती थी इतनी राशि

भाजपा सरकार बनते ही बदला नियम

छत्तीसगढ़ स्टेट मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि पिछली सरकार में हर चीज का कमीशन देना पड़ता था। एसोसिएशन में पदाधिकारी और प्रदेश में सरकार बदलने के बाद अब बेवजह भुगतान नहीं करना पड़ रहा है।

सिस्टम में सुधार किया गया है, साथ ही विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली में भी बदलाव आया है। मिलर्स ने यह भी आरोप लगाया है, कि घोटाला की राशि 140 करोड़ से ज्यादा की है।

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