PM मोदी की गैर-मौजूदगी में शाह संभालेंगे कमान : वित्तमंत्री पर सारे खर्च की जिम्मेदारी; कितनी पावरफुल होती हैं टॉप-4 मिनिस्ट्री…!!

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मोदी 3.0 सरकार में मंत्रियों के विभाग का बंटवारा हो गया। गठबंधन के प्रेशर के बावजूद सबसे ताकतवर 4 मंत्रालयों में कोई फेरबदल नहीं हुआ। गृह, वित्त, रक्षा और विदेश मंत्रालय के मुखिया वही हैं, जो मोदी 2.0 में थे। प्रधानमंत्री समेत ये चारों मंत्री कैबिनेट कमेटी का हिस्सा होते हैं, जो सरकार के सभी बड़े फैसले करती है। इनके अलावा सरकार में अहम माना जाने वाला कृषि मंत्रालय शिवराज सिंह चौहान को सौंपा गया है।

प्रधानमंत्री के बाद सबसे मजबूत गृहमंत्री

  • अगर देश के प्रधानमंत्री किसी भी वजह से अपने ऑफिस में मौजूद नहीं हैं तो गृह मंत्री के पास उनकी सारी शक्तियां होती हैं। माने अगर प्रधानमंत्री मोदी विदेश चले जाएं तो गृह मंत्री न सिर्फ कैबिनेट की मीटिंग बुला सकते हैं, बल्कि वह सारे निर्णय ले सकते हैं जो बतौर प्रधानमंत्री मोदी ले सकते थे।
  • जब देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति नियुक्त किए जाते हैं तो इसकी अधिसूचना जारी करने का काम गृह मंत्रालय करता है। इसके लिए अलग से गृह विभाग बनाया गया है। इनके अलावा प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री और राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति और इस्तीफे की अधिसूचना भी गृह विभाग जारी करता है।

आतंकवाद और नक्सलवाद रोकना गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी

  • किसी भी देश की तीन तरह की सीमाएं होती हैं। जमीनी, समुद्री और आसमानी। इनमें से जमीनी और तटीय सीमाओं की सुरक्षा गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी है। सीमा पर बाड़ेबंदी करनी हो या सड़क अथवा हवाई जहाजों के लिए रनवे बनाना हो, सारा काम गृह मंत्रालय का बॉर्डर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट करता है।
  • सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज के तहत असम राइफल्स, BSF, CISF, CRPF, ITBP, NSG और SSB आते हैं। इन सबकी सैलरी और तैनाती से लेकर पूरा मैनेजमेंट गृह मंत्रालय देखता है। इसके लिए गृह मंत्रालय ने इंटर्नल सिक्योरिटी डिपार्टमेंट बनाया है। आतंकवाद से जुड़े मामले, सैनिकों का पुनर्वास, देश भर में मानवाधिकार के मामले देखने के लिए अलग-अलग संस्थाएं बनाई गई हैं, लेकिन इन संस्थाओं का सर्वेसर्वा गृह मंत्रालय ही है।

जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के लिए 21 अधिकारियों का अलग विभाग

  • जम्मू-कश्मीर और लद्दाख सीमाई इलाके हैं। आतंकवादी घटनाओं के चलते यह इलाका अस्थिर रहता है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की सुरक्षा से जुड़े सारे निर्णय गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी है। गृह मंत्री अमित शाह की अगुआई में ही गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने की प्रक्रिया पूरी की थी।
  • जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की गोली के शिकार हुए लोगों को मुआवजा देना हो, या कश्मीरी प्रवासियों के लिए पुनर्वास की योजनाएं बनाना हो, सारा काम गृह मंत्रालय के जम्मू-कश्मीर और लद्दाख मामलों के विभाग के तहत होता है। इसके तहत एक जूनियर सेक्रेटरी सहित कुल 21 अधिकारियों को शामिल किया गया है।
  • पाकिस्तान के साथ हमारे देश की सीमा को लाइन ऑफ कंट्रोल कहते हैं। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में इस सीमा की सुरक्षा और किसी भी तरह के आतंकवाद से जुड़े मामले यही विभाग देखता है। इलाके में डेवलपमेंट, इन्फ्रास्ट्रक्चर और रोजगार से जुड़े मामले भी इसी विभाग की जिम्मेदारी हैं।

गृह मंत्रालय के जरिए राज्यों पर नियंत्रण रखती है केंद्र सरकार

  • केंद्र और राज्यों के बीच आपसी सहयोग बनाए रखने की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय की होती है। अगर किन्हीं दो राज्यों के बीच विवाद की स्थिति है तो उसे भी उसे भी गृह मंत्रालय की देखरेख में निपटाया जाता है। मसलन, उत्तरी कर्नाटक के बेलगावी, कारवार और निपानी जैसे इलाकों को लेकर कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच काफी पुराना सीमा विवाद है। इसे सुलझाने के लिए हाल ही में अमित शाह की मौजूदगी में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई थी।
  • राज्यों में अगर किसी मुद्दे पर बड़े पैमाने पर कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो गृह मंत्रालय, राज्य के प्रशासन और पुलिस को निर्देश दे सकता है। माने आंतरिक सुरक्षा के मामले में गृह मंत्रालय को राज्य की शक्तियों में दखल देने का अधिकार है। वहीं राज्यों की पुलिस भले ही राज्य सरकार के अधीन काम करती है, लेकिन देश का गृह मंत्रालय, किसी भी राज्य में तैनात IPS अधिकारियों को तलब कर सकता है। इसके अलावा गृह मंत्रालय किसी राज्य की पुलिस के लिए नए सुधार कानून भी बना सकता है।
  • देश की जनसंख्या की जनगणना की प्रक्रिया गृह मंत्रालय के निर्देश पर ही होती है। कोई भी राज्य सरकार, अपने राज्य में इस प्रक्रिया से इनकार नहीं कर सकती।

वित्त मंत्रालय तय करता है देश का बजट

  • वित्त मंत्रालय को मिनिस्ट्री ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स भी कहा जाता है। देश की पूरी अर्थव्यवस्था चलाना एक तरह से वित्त मंत्रालय का ही काम है। किसी एक छोटी संस्था या संगठन में जिस तरह एक कोषाध्यक्ष कमाई और पैसे से जुड़े सभी निर्णय लेता है, उसी तरह देश का वित्त मंत्रालय भी केंद्र और एक हद तक राज्यों के आर्थिक मामलों को देखता है।
  • वित्त मंत्रालय के अंदर आर्थिक मामलों का एक विभाग बनाया गया है। यही डिपार्टमेंट हर साल देश का केंद्रीय बजट तैयार करता है, जिसे देश का वित्त मंत्री संसद में पेश करता है। बजट में केंद्र सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों को एक तय राशि आवंटित कर दी जाती है। वित्त मंत्रालय से बजट मिलने के बाद अलग-अलग मंत्रालय किस मद पर कितनी रकम खर्च करते हैं, इसकी निगरानी भी वित्त मंत्रालय करता है।

राज्यों को खर्च के लिए पैसा देता है वित्त मंत्रालय

  • वित्त मंत्रालय के तहत एक रेवेन्यू डिपार्टमेंट बनाया गया है। केंद्र सरकार को किसी भी तरह के टैक्स से होने वाली कमाई का पूरा कामकाज रेवेन्यू डिपार्टमेंट देखता है। इसके लिए रेवेन्यू विभाग के तहत सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) जैसी संस्थाएं बनाई गई हैं।
  • इसके अलावा वित्त मंत्रालय के तहत वित्त आयोग बनाया गया है। जो यह तय करता है कि केंद्र की टैक्स से होने वाली कमाई में से कितना हिस्सा राज्यों को दिया जाना है। वित्त आयोग यह भी तय करता है कि किसी योजना के लिए राज्य सरकार को कितना पैसा अनुदान के तौर पर दिया जाएगा और कितना कर्ज के रूप में दिया जाएगा। वहीं वित्त मंत्रालय का व्यय विभाग केंद्र सरकार की योजनाओं में खर्च का पूरा प्रोग्राम तय करता है।

RBI, सरकारी-प्राइवेट बैंकों और ED पर सीधा कंट्रोल

  • भारत के सभी सरकारी और प्राइवेट बैंकों और फाइनेंस से जुड़ी हर तरह की कंपनियों पर भारत के रिजर्व बैंक का सीधा नियंत्रण होता है। जबकि रिजर्व बैंक, वित्त मंत्रालय के अधीन काम करता है। बैंकों की कर्ज की दरों से लेकर कस्टमर्स के मुद्दों तक, सब कुछ रिजर्व बैंक के तय नियमों के तहत होता है। ये नियम-कानून भले ही RBI बनाता है, लेकिन इस पर अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय का ही होता है।
  • प्रवर्तन निदेशालय यानी ED वित्त मंत्रालय के ही राजस्व विभाग के अंदर काम करता है।
  • देश के उद्योग-धंधों पर नियंत्रण करना, टैक्स से जुड़ी आर्थिक नीतियां और फाइनेंस से जुड़े कानून बनाना, सरकारी कर्मचारियों, जजों की पेंशन और सैलरी के मुद्दे देखना, फाइनेंस से जुड़े सभी कानून बनाना वित्त मंत्रालय के ही काम हैं। एक तरह से पूरे देश का पैसा वित्त मंत्रालय के ही निर्देशों पर खर्च होता है, इसलिए इसे गृह मंत्रालय के बाद दूसरे नंबर पर सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालय माना जाता है।

तीनों सेनाओं, NDA जैसे संस्थानों का सर्वेसर्वा रक्षा मंत्री

  • जिस तरह देश के गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी देश की अंदरूनी सुरक्षा सुनिश्चित करना है, उसी तरह बाहरी सुरक्षा यानी दूसरे देशों से देश की सीमाएं और देश के हित सुरक्षित रखना, रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी है। हालांकि, कई मामलों में गृह मंत्री और रक्षा मंत्री मिलकर काम करते हैं। मसलन जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई, तब आर्म्ड पुलिस फोर्सेज के अलावा देश की सेना को भी अलर्ट मोड पर रखा गया। आर्म्ड पुलिस फोर्सेज गृह मंत्रालय के तहत आती हैं, जबकि सेना अल्टीमेटली रक्षा मंत्रालय के निर्देशों पर काम करती है।
  • देश की तीनों सेनाएं, उनके प्रमुख, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ का मुख्यालय, रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करते हैं। देश की सुरक्षा से जुड़ी नीतियां बनाना और सेना को इससे जुड़े निर्देश देने का अधिकार रक्षा मंत्रालय का है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय के तहत एक सैन्य मामलों का विभाग बनाया गया है।
  • दूसरे देशों के साथ मिलिट्री एक्सरसाइज, सिक्योरिटी और तकनीक को साझा करने जैसे निर्णय भी रक्षा मंत्रालय लेता है। इन कामों के लिए रक्षा मंत्रालय में डिफेंस डिपार्टमेंट बनाया गया है। NCC, डिफेंस की पढ़ाई और ट्रेनिंग के सभी संस्थान, आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल वगैरह भी डिफेंस डिपार्टमेंट के ही तहत आते हैं।

हथियार बनाने वाले DRDO को निर्देश देता है रक्षा मंत्रालय

  • देश की जरूरत के हिसाब से नए हथियारों और सेना के साजो-सामान की खरीद-फरोख्त और मैन्यूफैक्चरिंग, रक्षा मंत्रालय के ही तहत होती है। इसके लिए डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (DRDO) बनाया गया है। देश भर में DRDO की 60 लैबोरेट्री और यूनिट्स हैं।
  • रक्षा मामले में आत्मनिर्भरता लाना, हथियारों का आयात घटाकर निर्यात बढ़ाना और सेना की सभी जरूरतें पूरी करना भी रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी है। बीते दिनों में भारत का स्वदेशी हथियारों का निर्यात और विदेशी हथियारों का आयात बढ़ा है, लेकिन अभी भी देश की सेनाओं के लिए जरूरी स्कॉर्पीन पनडुब्बी जैसे कई प्रोजेक्ट्स को रफ्तार दिए जाने की जरूरत है।
  • इसके अलावा रक्षा मंत्रालय के तहत पूर्व सैनिकों के मामलों का भी विभाग है। इसके जिम्मे सेना से रिटायर हो चुके सैनिकों के लिए स्वास्थ्य योजनाएं, पेंशन तय करने और आवास सुविधाओं जैसे काम आते हैं।

बाहरी चुनौतियों से निपटना रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी

  • दुनिया भर के देशों से कूटनीतिक संबंधों की नीतियां तय करना प्रधानमंत्री के अलावा रक्षा मंत्री की भी जिम्मेदारी है। मसलन, भारत से सीमा विवाद के बीच, बीते कुछ सालों में चीन ने हमारे सीमाई इलाकों पर बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया है। उसने बेहतर तकनीक और ट्रांसपोर्ट से लैस पूरे के पूरे गांव बसा दिए हैं।
  • युद्ध की स्थिति में चीन के ये डेवलपमेंट बड़ी चुनौती बन सकते हैं। भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान हमेशा एक साथ खड़े नजर आते हैं। ऐसे में अगर इन पड़ोसी देशों से तनाव की स्थिति बनती है तो देश के प्रधानमंत्री के अलावा रक्षा मंत्री ही युद्ध छेड़ने जैसे सबसे अहम निर्णय लेते हैं।

विदेश मंत्रालय के कामों और शक्तियों को मोटे तौर पर दो हिस्सों में बांट सकते हैं…

  1. किसी दूसरे देश से भारत के द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े अहम निर्णय विदेश मंत्री लेते हैं।
  2. वहीं मंत्रालय की नीतियों को लागू करने, विदेशी स्तर पर भारत के कानूनी मामले देखने, मीडिया और भारत के दूतावासों से जुड़े प्रशासनिक कामकाज देखने के लिए मंत्रालय के तहत कई डिवीजन बनाए गए हैं।

चूंकि विदेश मंत्रालय का सारा काम ही दूसरे देशों के साथ हमारे संबंधों और आपसी सहयोग पर टिका है, इसलिए दुनिया के ज्यादातर लोकतांत्रिक देश विदेशों में अपने दूतावास बनाते हैं। भारतीय दूतावासों में तैनात भारतीय राजदूत और राजनयिक भी अपनी तैनाती के देशों से जुड़ा सारा कामकाज देखते हैं।

संयुक्त राष्ट्र जैसे संस्थानों में भारत का प्रतिनिधित्व करता है विदेश मंत्रालय
संयुक्त राष्ट्र, SAARC, BIMSTEC जैसे मल्टी-नेशनल ऑर्गनाइजेशंस में भारत का पक्ष रखने की जिम्मेदारी विदेश मंत्रालय की है। SAARC जैसे कई संगठन भौगोलिक आधार पर बने हैं। कई संगठन मुद्दों के आधार पर होते हैं। इन संगठनों के सम्मेलनों में भारत की भागीदारी तय करना विदेश मंत्रालय का काम है।

विदेशों की पूरी खबर देना राजनयिकों की जिम्मेदारी
विदेश मंत्रालय के तहत जो राजनयिक विदेशों में नियुक्त किए जाते हैं, वे अपनी तैनाती के देश की जरूरी चीजों और घटनाओं की सटीक रिपोर्टिंग दिल्ली में मंत्रालय तक पहुंचाते हैं। इसके आधार पर ही उस देश को लेकर नीतियां बनाई जाती हैं। मिसाल के लिए, बीते साल कतर की जेल में बंद 8 भारतीय नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई गई थी। इनकी रिहाई के लिए सबसे पहले राजनयिकों के स्तर पर प्रयास किए गए। बाद में विदेश मंत्री एस जयशंकर की कोशिशों के चलते फरवरी 2024 में सभी भारतीयों को छोड़ दिया गया।

विदेशी चार्टर्ड प्लेन को विदेश मंत्रालय की मंजूरी लेना जरूरी
अगर किसी नॉन-लिस्टेड (जिनका समय तय नहीं होता) चार्टर्ड जहाज को भारत की हवाई सीमा में उड़ान भरनी है तो उसे विदेश मंत्रालय ही मंजूरी देता है। इसके अलावा विदेश मंत्रालय ही सबसे पहले दूसरे देशों के साथ सीमा, व्यापार और सुरक्षा से जुड़े समझौतों के निर्णय लेता है। हालांकि, इन निर्णयों पर आखिरी मुहर प्रधानमंत्री की लगती है। इसके बाद देश के प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री या विदेश मंत्री दूसरे राष्ट्राध्यक्षों के साथ एग्रीमेंट्स करते हैं।

भारत की जमीनी सीमाएं कहां से गुजरेंगी, यह तय करना गृह मंत्रालय के अलावा विदेश मंत्रालय का भी काम है। वहीं विदेशी या भारतीय यात्रियों, तीर्थ यात्रियों से जुड़े मामले देखने के लिए विदेश मंत्रालय का एक विभाग बनाया गया है। भारत की सीमा के अंदर कोई विदेशी अपराधी है या फिर किसी और देश में भारत का कोई अपराधी मौजूद है तो उसके प्रत्यर्पण जैसे निर्णय लेना विदेश मंत्रालय का ही काम है। इसके अलावा विदेश मंत्रालय का एक डिवीजन भारत में आने वाले शरणार्थियों के मामले देखता है।

फसल का दाम तय करने से लेकर बिक्री तक कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी

  • भारत की अर्थव्यवस्था में खेती की महत्वपूर्ण भूमिका है। वोट बैंक के नजरिए से भी किसान एक बड़ा वर्ग है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश की 54.6% जनसंख्या खेती और उससे जुड़े कामों में लगी है। इसलिए कृषि मंत्रालय को अहम मंत्रालयों में से एक माना जाता है।
  • देश में खेती से जुड़े आंकड़े इकट्‌ठा करना कृषि मंत्रालय का काम है। कितनी जमीन खेती योग्य है, कितनी जमीन पर सिंचाई के पर्याप्त साधन नहीं हैं, यह सभी जानकारियां कृषि जनगणना के जरिए ही सामने आती हैं।
  • जनगणना से आए आंकड़ों के आधार पर कृषि मंत्रालय किसानों के लिए लाभ की योजनाएं बनाता है। कृषि मंत्रालय के निर्देशों और सिफारिशों के आधार पर ही कृषि लागत और मूल्य आयोग और सहकारिता विभाग फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP तय करते हैं।

किसान क्रेडिट, विदेशों में बिक्री, बाढ़ और सूखे के लिए 27 डिवीजन

  • फसलों की पैदावार और बिक्री से जुड़ी हुई सभी समस्याओं का निपटारा करना भी कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी होती है। इसके अलावा किसानों को सिंचाई के साधन और फसलों के बीज दिलाने का काम भी कृषि मंत्रालय का है। मंत्रालय में इन सभी कामों के लिए अलग-अलग डिवीजन बनाए गए हैं।
  • कृषि मंत्रालय में आर्थिक प्रशासन, किसान क्रेडिट, इंटरनेशनल को-ऑपरेशन जैसे कुल 27 डिवीजन बनाए गए हैं। देश में पैदा होने वाली फसलें दूसरे देशों को जिस कीमत पर बेची जाती हैं, वह भी कृषि मंत्रालय ही तय करता है।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने शपथ लेने के अगले ही दिन यानी 10 जून को सबसे पहले पीएम किसान सम्मान निधि की फाइल पर साइन किए, इसके तहत 9.3 करोड़ किसानों के लिए 20,000 करोड़ रुपए जारी किए गए।
  • हालांकि, पैदावार और किसानों की आय बढ़ाने के तमाम दावों के बावजूद भारत की GDP में खेती का योगदान सिर्फ 15% के करीब है। गौरतलब ये है कि यह हिस्सेदारी बीते सालों में घटी है। साल 1991 में कृषि क्षेत्र का GDP में योगदान 35% था।

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