रायपुर के तेलीबांधा तालाब (मरीन ड्राइव) में लगातार मछलियां मर रही हैं। पिछले एक सप्ताह से यह सिलसिला जारी है, जिसकी वजह से तालाब के पानी से बदबू आने लगी है। बताया जा रहा है कि तालाब के पानी में आक्सीजन की मात्रा कम होने से ऐसा हो रहा। तालाब में मछलियों के मरने की शिकायत के बाद रायपुर नगर निगम की ओर से तालाब के किनारे चूना और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया जा रहा है, लेकिन उसका भी असर नहीं दिख रहा है।
मरीन ड्राइव में रोजाना मर रहीं मछलियां
तालाब की सफाई करने वाले कर्मचारी ने बताया कि रोजाना तालाब में मछलियां मर रही हैं। छिड़काव भी किया जा रहा, लेकिन स्थिति नहीं सुधर रही है। पूर्व में निगम आयुक्त अबिनाश मिश्रा के निर्देश बाद अफसरों ने तालाब का निरीक्षण किया था। निगम ने अधिकारियों ने जरूरी उपाय शुरू किए, लेकिन अब भी इसका असर नहीं दिख रहा है।
यहां भी हुई थी मछलियों की मौत
14 जून को बलरामपुर जिले के पलटन घाट के कन्हर नदी में बड़ी संख्या में मछलियां मृत मिली। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि मछुआरों ने ज्यादा मछली के लालच में पानी में जहर मिलाया। इसी जहर के कारण ही इतनी ज्यादा तादाद में मछलियों की मौत हुई। जहर के कारण नदी का पानी भी दूषित हो चुका है।
जानकारी के मुताबिक अचानक नदी की सारी मछलियां मर गईं, जिससे नदी के आसपास बदबू फैल गई। नदी में आसपास के ग्रामीण नहाने के लिए आते हैं। इसके अलावा नदी का पानी पीने के लिए भी उपयोग करते हैं। मवेशी और पशु-पक्षी भी नदी का पानी पीते हैं। ऐसे में अब नदी का पानी जानलेवा साबित ना हो इसका खतरा बना हुआ है।
कांग्रेस के शासन काल में व्यवसायीकरण- नेता प्रतिपक्ष
नगर निगम नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे का कहना है कि, तेलीबांधा तालाब का कांग्रेस के शासन काल में व्यवसायीकरण हो रहा था। तब भाजपा पार्षद दल ने इसका विरोध किया था। आज इसका दुष्परिणाम देखने को मिल रहा है। व्यावसायिक गतिविधियों के कारण मछलियां मर रही है। नगर निगम यह दावा कर रहा है कि ऑक्सीजन की कमी को दूर किया जा रहा है। महापौर को शहर की धरोहर से कोई मतलब नहीं है।