कानपुर का जवान शहीद, 3 महीने पहले हुई थी शादी : मां बोली- मेरा दूसरा बेटा भी चला गया; छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने किया था हमला….!!

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छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले में कानपुर के सीआरपीएफ जवान शैलेंद्र शहीद हो गए। उनकी 3 महीने पहले ही शादी हुई थी। छत्तीसगढ़ के सुकमा और बीजापुर बॉर्डर पर रविवार को नक्सलियों ने राशन लेकर जा रहे CRPF जवानों के ट्रक को IED ब्लास्ट कर उड़ा दिया। ब्लास्ट में सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन के 2 जवान शहीद हो गए।

इस ट्रक में कानपुर के जवान शैलेंद्र सह चालक के तौर पर मौजूद थे। हमले में ट्रक चालक की भी मौत हो गई। शैलेंद्र के शहीद होने की खबर जैसे ही उनके घर कानपुर पहुंची, वहां चीख-पुकार मच गई। मां बेसुध हो गईं। बहन को भी संभालना मुश्किल हो रहा था। किसी तरह उन्हें घर की महिलाओं ने संभाला।

2017 में सिपाही पद पर भर्ती हुए थे शैलेंद्र
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कानपुर के महाराजपुर थाना क्षेत्र के नौगवां गौतम गांव के शैलेंद्र कुमार 2017 में सीआरपीएफ में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। शैलेंद्र ने शुरुआती शिक्षा सिकटिया गांव के दौलत सिंह इंटर कॉलेज से की थी। इंटरमीडिएट प्रेमपुर जन शिक्षण इंटर कॉलेज से करने के बाद स्नातक की पढ़ाई महाराणा प्रताप डिग्री कॉलेज करचलपुर से की थी।

7 मार्च को शैलेंद्र की शादी हुई थी
शैलेंद्र की शादी 7 मार्च को सचेंडी थाना क्षेत्र के पेट्टापुर गांव की कोमल से हुई थी। शैलेंद्र के पिता मुन्नालाल ट्रक ड्राइवर थे, उनकी पहले ही मौत हो चुकी है। घर में मां बिजला देवी और बड़े भाई नीरज अपनी पत्नी काजल के साथ रहते हैं। शैलेंद्र तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। शैलेंद्र से बड़े सुशील की भी 4 साल पहले सांप के काटने से मौत हो गई थी। बहन की शादी हो चुकी है।

मां से 10-15 दिन में आने का किया था वादा
शैलेंद्र शादी के समय ही घर आए थे। गुरुवार को अपनी मां से वादा किया था कि 10 से 15 दिन में घर आ रहे हैं। सीआरपीएफ अधिकारियों ने जैसे ही फोन से शैलैंद्र के शहीद होने की सूचना दी तो घर पर चीख-पुकार मच गई। मां-बहन और भाई बेसुध हो गए।

‘पता होता तो बेटे की नौकरी छुड़वा देती’
बिजली देवी बेटे शैलेंद्र का नाम लेकर चीख-चिल्ला रही थीं। कहा, अगर पता होता कि मेरा लाल मुझसे हमेशा के लिए दूर चला जाएगा तो उसकी नौकरी छुड़वा देती। बचपन में ही पिता का साया उठने के बाद तमाम मुसीबतों का सामना करते हुए बच्चों को पाला। एक पहले ही छोड़कर जा चुका था, अब दूसरा भी चला गया। जीवन किसके सहारे कटेगा।

7 जुलाई को मायके से आने वाली थी शैलेंद्र की पत्नी
भाई नीरज ने बताया-आज ही शैलेंद्र की पत्नी से फोन पर बात की थी। उसने 7 जुलाई को घर वापस आने की बात कही थी। कोमल कानपुर में रहकर पढ़ाई कर रही थी। गांव के दोस्त सुजीत और अजय ने बताया कि एक सप्ताह पहले शैलेंद्र से बात हुई थी।

पड़ोसियों को फेसबुक से पता चला
शैलेंद्र के पड़ोसियों ने बताया-हमें तो फेसबुक के जरिए शैलेंद्र के शहीद होने की सूचना मिली थी। इसके बाद हम लोगों ने न्यूज देखी तो उसमें पहले नाम बताया। इसके बाद फोटो देखी तो हमें पता चला। एक और जवान की मौत हुई है।

ग्रामीणों ने बताया, वह बहुत खुशमिजाज व्यक्ति थे। जब भी गांव आते थे, सबके घर जाते थे। सबसे मिलते थे, बड़ों का आशीर्वाद लेते थे। हंसी-मजाक करते थे। हमें तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि हमारा शैलेंद्र हमें छोड़कर चला गया। अब कभी वो लौटकर नहीं आएगा। भगवान ने उसकी मां के साथ बहुत बुरा किया। पति की मौत पहले ही हो चुकी है। एक बेटे की मौत 4 साल पहले हो गई थी। अब शैलेंद्र भी छोड़कर चला गया।

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