सिम्स ने युवती को CT स्कैन कराने प्राइवेट संस्थान भेजा : जिला प्रशासन को दी थी गलत जानकारी, प्रबंधन बोला- MRI-सीटी स्कैन का चल रहा ट्रायल….!!

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बिलासपुर संभाग के सबसे बड़े सिम्स अस्पताल में सोमवार से एमआरआई और सीटी स्कैन मशीन चालू होने का दावा खोखला साबित हुआ। दोनों मशीन सही काम नहीं करने से एक युवती समेत कई मरीजों को जांच के लिए प्राइवेट संस्थान भेजा जा रहा है। वहीं, सिम्स प्रबंधन का कहना है कि, मशीन बन गई है, अभी उसका ट्रायल चल रहा है।

दरअसल, SECL ने 22 करोड़ 50 लाख रुपए खर्च कर सिम्स में एमआरआई और सिटी स्कैन मशीन दिया है। यह दोनों मशीन महत्वपूर्ण चिकित्सीय उपकरण है। लेकिन सही मेंटेनेंस और टेक्नीशियन नहीं होने के कारण मशीनों का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है।

वहीं, अधिकारी भी इसकी उपयोगिता को लेकर उदासीन है। बीच-बीच में किसी न किसी कारण से मशीन खराब होता रहा है। पिछले तीन सप्ताह से दोनों मशीनें तकनीकी खराबी के चलते बंद पड़ी थी।

सिम्स प्रबंधन ने जिला प्रशासन को दी गलत जानकारी

सिम्स प्रबंधन ने जिला प्रशासन को जानकारी दी थी कि दोनों मशीन ठीक हो गई है। मरीजों की जांच के लिए तैयार है। सोमवार से मरीजों की जांच शुरू कर दी जाएगी। सोमवार को मशीन चालू तो हुआ, लेकिन दोनों ही मशीन सही तरीके से काम नहीं कर पाए।

अब भी कुछ तकनीकी दिक्कत है, जो इंजीनियर ही ठीक कर सकता है। क्योंकि शुरुआत में ही मशीन से जांच में दिक्कत आई है। जानकारी के मुताबिक फिर से इंजीनयर को बुलाया गया है। मशीन चालू नहीं होने के कारण सोमवार को सीटी स्कैन जांच के लिए एक युवती को निजी सेंटर भेजा गया।

जनरेटर में नहीं लगा है बैटरी, पॉवर ऑफ तो दोनों मशीनें बंद

यदि बिजली गुल हो जाती है, तो दोनों मशीन काम करना बंद कर देंगी, क्योंकि अभी तक जनरेटर से चोरी हुई दो बैटरी की व्यवस्था सिम्स प्रबंधन ने नहीं किया है। बता दें कि, पॉवर ऑफ होने पर यह दोनों बैटरी मशीन और कक्ष में पावर सप्लाई बनाकर रखते हैं।

इससे उस समय मरीज की जांच में किसी प्रकार की परेशानी नहीं आती है। जानकारी के अनुसार दोनों बैटरी की कीमत 50 से 60 हजार रुपए तक है, लेकिन इसकी खरीदी अभी तक नहीं की जा सकी है।

युवती और परिजन पर जानकारी नहीं देने बनाया दबाव

जिस युवती को सीटी स्कैन जांच के लिए बाहर भेजा गया था। जब वे जांच कराकर वापस डॉक्टर को रिपोर्ट दिखाने के लिए पहुंचे। उनसे पूछने पर बताया कि वे बाहर से जांच कराकर आए हैं। उसी समय सुरक्षा कर्मी और सोशल वर्कर पहुंच गए।

वहां मौजूद मीडियाकर्मियों को कुछ भी नहीं बताने का दबाव युवती और उसके परिजनों पर बनाने लगे। इससे वे डर गए और बात पलटने लगे। इससे साफ है कि समय-समय पर कमियों पर पर्दा डालने का काम खुद ही जिम्मेदार करते हैं।

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