विपक्ष के संविधान बचाओ पर बीजेपी ने सदन में निंदा प्रस्ताव लाकर दे दिया जवाब

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नई दिल्ली: पिछले लंबे अरसे से संविधान और लोकतंत्र पर हमले का आरोप झेल रही सत्तारूढ़ बीजेपी ने  संसद में नवनिर्वाचित स्पीकर ओम बिरला से 1975 में लगी इमरजेंसी पर निंदा प्रस्ताव लाकर कांग्रेस पर पलटवार करने की कोशिश की। 25 जून को देश में इमरजेंसी लगे 49 साल पूरे हो गए। ऐसे में संविधान पर हमले और संविधान को कमजोर करने के आरोपों और हमलों को झेल रही बीजेपी ने बेहद सुनियोजित ढंग से इस आरोपों पर का जवाब देने का फैसला किया। इस मुद्दे को लेकर सत्तारूढ़ दल लगातार हमलावर दिखा तो विपक्ष इस पर सधी हुई प्रतिक्रिया देता नजर आया। सदन में जब स्पीकर ने निंदा प्रस्ताव रखा तो कांग्रेस की ओर से इसका पुरजोर विरोध हुआ। कांग्रेस सांसद खड़े होकर विरोध करते और नारे दिखाते दिखे। बाकी विपक्षी दल इससे अलग रहे। कांग्रेस के सांसद के मुताबिक, इस दौरान कांग्रेस के सांसद पिछले दस सालों से देश में अघोषित इमरजेंसी का हवाला देते हुए नीट, मणिपुर, बेरोजगारी, ईडी, सीबीआई और आईटी विभाग द्वारा राजनीतिक गिरफ्तारियों, मौजूदा सीएम से लेकर विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी के मुद्दे को लेकर सरकार को लेकर घेरते दिखे।
स्पीकर का निंदा प्रस्ताव

आपातकाल की 50वीं बरसी पर विपक्षी दलों के हंगामे के बीच लोकसभा ने सदन में निंदा प्रस्ताव पारित किया। अपने प्रस्ताव में स्पीकर ने कहा कि यह सदन 1975 में देश में आपातकाल लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। इसके साथ ही हम उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सराहना करते हैं, जिन्होंने इमरजेंसी का पुरजोर विरोध किया, अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया। भारत के इतिहास में 25 जून 1975 के उस दिन को हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई और बाबा साहब आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान पर प्रचंड प्रहार किया था। स्पीकर का कहना था कि इंदिरा गांधी द्वारा देश पर तानाशाही थोप दी गई, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंट दिया गया। इमरजेंसी के दौरान भारत के नागरिकों के अधिकार नष्ट कर दिए गए, नागरिकों से उनकी आजादी छीन ली गई।

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