रायपुर। तात्यापारा से शारदा चौक के बीच भाजपा-कांग्रेस की लड़ाई में 19 साल से उलझा रोड का चौड़ीकरण का मुद्दा निगम चुनाव आने के पहले खासा गर्मा गया है। कांग्रेस सरकार के दौरान कांग्रेसी महापौर ने चौड़ीकरण के लिए बजट तो स्वीकृत करवा लिया लेकिन इससे प्रभावितों के लिए मुआवजे की दर तय नहीं करवा पाए। सोमवार को एमआईसी की बैठक में चौड़ीकरण मुख्य एजेंडा रहा।
मुआवजा तय करने एमआईसी मेंबरों की कमेटी बनाई गई है। ये कमेटी पहले फेज के चौड़ीकरण में जो मुआवजा दिया गया था, उसका अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करेगी कि अब कितना मुआवजा दिया जा सकता है। फिर चौड़ीकरण की मांग को लेकर 4 जुलाई को कांग्रेस के सभी पार्षद निगम मुख्यालय से शारदा चौक होते हुए तात्यापारा तक पैदल मार्च करेंगे।
सोमवार को मेयर इन काउंसिल की बैठक में अन्य एजेंडों के अलावा चौड़ीकरण के मुद्दे पर लंबी चर्चा हुई। महापौर एजाज ढेबर ने कहा कि फंड की दिक्कत नहीं है। पिछली सरकार ने पीडब्ल्यूडी को 137 करोड़ का बजट दिया है। टोकन के तौर पर चार करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। सभी व्यापारी चौड़ीकरण के पक्ष में हैं।
चौड़ीकरण प्रस्ताव पर एक नजर
- 14.30 से 19.50 मीटर चौड़ाई को बढ़ाकर 24.80 मीटर करना है
- सड़क के दोनों तरफ 88 दुकानें और मकान जद में आ रहे
- 137 करोड़ रुपए प्रोजेक्ट के लिए राज्य शासन ने मंजूर किया
- 2005-06 में सुनील सोनी के कार्यकाल में प्रस्ताव बनाया गया
- रोज 80 हजार से अधिक वाहन गुजरते हैं इस सड़क से
- चौड़ीकरण में रायपुर पश्चिम के दो वार्ड हो रहे प्रभावित
- 29 करोड़ से 137 करोड़ पहुंच गई प्रोजेक्ट की कुल लागत
क्यों जरूरी है चौड़ीकरण : शारदा चौक से फूल चौक के बीच सड़क संकरी है। सुबह और शाम को ट्रैफिक के पीक समय में यहां लंबा जाम लगता है। इस दौरान कई बार लोग 15 से 20 मिनट तक फंस जाते हैं। इस बीच आस-पास की बाइपास सड़कें भी जाम हो जाती है। लोगों को इस समस्या राहत दिलाने के लिए ही करीब 19 साल पहले चौड़ीकरण का प्रस्ताव बनाया गया था।
प्रभावित वार्डों के पार्षद भी कमेटी में
चौड़ीकरण का पहला फेज कैसा था? उस दौरान प्रभावितों को किस आधार पर मुआवजा दिया गया? उस समय कलेक्टर गाइड लाइन क्या थी? अभी कलेक्टर गाइड लाइन के हिसाब से कितना मुआवजा दिया जा सकता है? इन बिंदुओं पर अध्ययन के लिए चौड़ीकरण से प्रभावित वार्ड के पार्षद सुरेश चन्नावार सीमा कंदोई को कमेटी में रखा गया है।
इनके अलावा राजस्व विभाग की अध्यक्ष अंजनी विभार, एमआईसी सदस्य ज्ञानेश शर्मा और श्रीकुमार मेनन कमेटी में हैं। चौड़ीकरण के पहले फेज में मुआवजा तय करने वाली टीम में शामिल दो अफसरों को भी रखा गया है। मेयर ने कहा कि वे खुद सांसद बृजमोहन अग्रवाल, पूर्व सांसद और पूर्व महापौर सुनील सोनी से भी चर्चा कर चौड़ीकरण का काम शुरू करने की मांग करेंगे।
शासन से मिल रहा फंड: मीनल
पिछले 20 दिनों में तीन एमआईसी होने पर नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा सरकार आने के बाद नगर निगम को फटाफट फंड मिल रहा है। इस वजह से इतनी जल्दी-जल्दी एमआईसी की बैठकें बुलाई जा रही है।
मीनल ने कहा कि तात्यापारा चौड़ीकरण को लेकर मेयर और उनकी परिषद आरोप लगा रही है कि काम नहीं शुरू किया जा रहा है। यदि मेयर इस मामले में गंभीर होते तो कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में चौड़ीकरण हो गया होता। पूर्व मुख्यमंत्री ने तो इसका भूमिपूजन भी किया था, तब काम क्यों नहीं शुरू किया गया।
2005 में तैयार हुआ था चौड़ीकरण का पहला प्रस्ताव
सड़क का प्रस्ताव पूर्व महापौर सुनील सोनी के कार्यकाल में 2005-06 में तैयार किया गया था। उस समय आमापारा से शारदा चौक तक चौड़ीकरण था। इसे दो फेज में पूरा करना था। पहले फेज में आमापारा से तात्यापारा तक चौड़ीकरण हुआ। दूसरे फेज का काम शुरू हो पाता, उससे पहले निगम में सत्ता बदल गई।
सुनील सोनी की जगह किरणमयी नायक महापौर बनीं। किरणमयी के बाद प्रमोद दुबे महापौर बने। इस दौरान कई बार दूसरे फेज यानी तात्यापारा से शारदा चौक का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया। मुआवजे को लेकर निगम और राज्य शासन के बीच सहमति नहीं बन पाई। क्योंकि राज्य में भाजपा की सरकारें रहीं।
हालांकि भाजपा शासनकाल में ही पूर्व लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत ने भी सर्वे करवाकर 55 करोड़ का प्रस्ताव शासन को भेजा था। नगर निगम में तब कांग्रेस की सरकार थी। इसके बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार के दौरान प्रस्ताव पर फिर से चर्चा हुई। राज्य सरकार ने बजट में प्रावधान किया। इससे पहले की चौड़ीकरण शुरू हो पाता, राज्य में फिर से सत्ता बदल गई।