रायपुर। आंबेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक विभाग में 100% ब्लॉक हो चुकी रीनल आर्टरी का सफल ऑपरेशन कर 66 वर्षीय मरीज की जान बचाई गई। विभाग के अध्यक्ष डा. स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में टीम ने एक्जाइमर लेजर विधि से ऑपरेशन कर मरीज को ठीक किया। मरीज के किडनी में खून पहुंचाने वाली बायीं धमनी में 100% और हार्ट की मुख्य नस में 80% रुकावट थी। किडनी की नसों यानी रीनल आर्टरी और कोरोनरी आर्टरी का एक साथ इलाज कर मरीज को किडनी और हार्ट फेल होने से बचाया गया।
इन दोनों इंटरवेंशनल प्रोसीजर को लेफ्ट रीनल आर्टरी क्रानिक टोटल आक्लूशन और इन स्टंट रीस्टेनोसिस आफ कोरोनरी आर्टरी कहा जाता है। इस केस में पहली बार रीनल का 100% आक्लूजन (रुकावट) थी, जिसके कारण मरीज का ब्लड पेशर कंट्रोल में नहीं आ पा रहा था और किडनी खराब हो रही थी। समय पर इलाज नहीं होता तो मरीज की किडनी फेल हो जाती।
सबसे पहले लेफ्ट रीनल आर्टरी जो 100% ब्लॉक थी, उसमें हार्ड ब्लॉकेज होने की वजह से एक्जाइमर लेजर से उसके लिए रास्ता बनाया गया। फिर बैलून से उस रास्ते को बड़ा किया। उसमें स्टंट लगाकर उस नली को पूरी तरह खोल दिया गया। नार्मल फ्लो को किडनी में वापस चालू किया गया। ब्लॉकेज खोलने के साथ ही ब्लड प्रेशर में परिवर्तन आना शुरू हुआ और बीपी कम हो गया। इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड के जरिये स्टंट को देखकर यह कंफर्म किया गया कि वह ठीक से अपने स्थान पर लगा हुआ है या नहीं। इससे पहले हुई एंजियोप्लास्टी के कारण हार्ट की लेफ्ट साइड की मुख्य नस लेफ्ट एंटीरियर डिसेंडिंग आर्टरी में डाले गए स्टंट के अंदर 90% से भी ज्यादा रुकावट पाई गई। इसको भी पहले लेजर के जरिए ब्लॉकेज खोलकर रास्ता बनाया गया। फिर बैलून से उस रास्ते को बड़ा किया गया। इसके बाद इंट्रा वास्कुलर अल्ट्रासाउंड के जरिए स्टंट ब्लॉकेज के क्षेत्र को देखा गया। रुकावट स्टंट के साथ-साथ स्टंट के बाहर की थी, इस वजह से एक नया स्टंट डालकर दोनों रुकावट का इलाज किया गया। आइवीयूएस कर पूरी प्रक्रिया की वास्तविक वस्तुस्थिति को देखा गया। अब मरीज डिस्चार्ज होकर घर जाने को तैयार है।