रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस विधानसभा और लोकसभा में करारी हार के बाद अपने संगठन को मजबूत करने के लिए मंथन कर रही है। आज रायपुर दक्षिण उपचुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी में भी मंथन किया जाएगा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने दक्षिण के दावेदारों और वहां ले स्थानीय नेताओं से चर्चा करेंगे। इसी साल के अंत में नगरीय निकाय चुनावों के साथ ही उप चुनाव की चर्चा है।
दीपक बैज दोपहर 12 बजे से बैठक लेंगे। बताया जा रहा है कि दक्षिण में फिलहाल कितने दावेदार हैं, दावेदारों में चर्चित चेहरे कौन से हैं, किस दावेदार की क्षेत्र में कितनी पैठ है, इन सभी विषयों को लेकर चर्चा की जाएगी। कल की मीटिंग में निष्क्रिय ब्लॉक अध्यक्ष बदलने समेत कई फैसले लिए गए थे।
उप चुनाव से कांग्रेस को आस
रायपुर दक्षिण बीजेपी के लिए अजेय सीट मानी जाती है, लेकिन 8 बार के विधायक और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को रायपुर लोकसभा सीट से ऐतिहासिक जीत के बावजूद मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिली। ऐसे में चर्चा है कि इस बार इस सीट पर बीजेपी के लिए जीत की राह मुश्किल हो सकती है। कांग्रेस को उप चुनाव से आस है।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश की कानून व्यवस्था को बड़ा मुद्दा बनाएगी। आगामी विधानसभा उप चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस इन्हीं मुद्दों को लेकर सड़क से सदन की लड़ाई लड़ेगी। पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा कि कांग्रेस की दो मैराथन बैठकें हुई, जिसमें कई अहम निर्णय लिए गए हैं।
पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा कि जिला अध्यक्षों की बैठक में कानून व्यवस्था और जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर आंदोलन करने की रणनीति तैयार की गई है। इन्हीं मुद्दों को लेकर प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में भी चर्चा हुई। इस बैठक में मौजूद वरिष्ठ नेताओं ने कई सुझाव दिए हैं। सुझाव के आधार पर रणनीति तैयार कर बड़ी लड़ाई लड़ेंगे।
बिगड़ती कानून व्यवस्था के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने की रणनीति
उन्होंने कहा कि जिस तरह से प्रदेश में अपराध बढ़ रहे हैं, कानून नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। अपराधियों में पुलिस का डर खत्म हो गया है। इसी तरह बिजली बिलों में बढ़ोतरी और कटौती लगातार जारी है। जनहित से जुड़े मुद्दों के साथ-साथ कांग्रेस प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था के खिलाफ बड़ा आंदोलन करेगी।
हार की जिम्मेदारी पर भी मंथन
कांग्रेस पार्टी को प्रदेश में बीते छह महीने में 2 बड़े चुनाव विधानसभा और लोकसभा में हार का सामना करना पड़ा है। बड़ी हार के बाद जिम्मेदारों पर हार की जिम्मेदारी तय हो सकती है। 2018 में 90 में से 69 सीट जीतकर सत्ता में आई कांग्रेस दिसंबर-2023 विधानसभा चुनाव में धराशायी हो गई। कांग्रेस को सिर्फ 35 सीट से संतोष करना पड़ा।