नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जानकीरमन (Swaminathan Janakiraman) ने बैंकिंग सेक्टर की वित्तीय स्थिति को लेकर अपनी बात रखी। RBI ऑडिटिंग प्रॉसेस को बना रहा है बेहतर वाणिज्यिक बैंकों और सभी भारतीय वित्तीय संस्थानों के मुख्य वित्तीय अधिकारियों और दूसरे अधिकारियों को एक सम्मेलन में संबोधित करते हुए, डिप्टी गवर्नर ने कहा कि रिजर्व बैंक ने ऑडिटिंग प्रॉसेस को बेहतर बनाने के लिए कई पहल शुरू की हैं। इनमें सुपरवाइजरी टीम और ऑडिटर्स के बीच स्ट्रक्चर मीटिंग मैकेनिज्म को शामिल किया गया है। इसके अलावा, इनमें एक्सेप्शन रिपोर्टिंग, ऑडिटर्स के ऑपइंटमेंट प्रॉसेस को सुव्यवस्थित करना और ऑडिटर्स की स्वतंत्रता को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा उपाय शामिल हैं।
ऑडिट प्रक्रियाओं में कठोरता हो लागू
उन्होंने कहा, “ऑडिटरों को वैधानिक और विनियामक आवश्यकताओं के गैर-अनुपालन की किसी भी संभावना को कम करने के लिए अपनी ऑडिट प्रॉसेस में उचित कठोरता लागू करनी चाहिए। इसके अलावा, ऑडिटर की भूमिका का एक महत्वपूर्ण पहलू वित्तीय रिपोर्टिंग पर इंटरनल फाइनेंशियल कंट्रोल का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना है।”
मजबूत वित्तीय निगरानी में ऑडिटर्स की हो भूमिका
उन्होंने मजबूत वित्तीय निगरानी और विनियामक अनुपालन सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए ऑडिटर्स से कुछ उम्मीदें भी रखीं। उन्होंने कहा कि वे बैंक प्रबंधन और आरबीआई दोनों को प्रारंभिक कमजोरियों की पहचान करने और तुरंत रिपोर्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। “मैं यह उल्लेख करना चाहूंगा कि आज बैंकिंग क्षेत्र उन सभी वित्तीय मापदंडों के संदर्भ में दशक के उच्चतम स्तर पर है, जिनकी हम निगरानी करते हैं, और यह क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास का समर्थन करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है। लेकिन यह सुनिश्चित करना हमारी साझा जिम्मेदारी है कि यह वर्षों तक टिकाऊ रहे”