हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने मुख्यमंत्री जतन योजना के फंड के उपयोग पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि योजना के तहत जारी किए गए 1,837 करोड़ रुपए के फंड का वास्तव में उपयोग हो रहा है या नहीं। स्कूल की स्थिति सुधर रही है या कागजों में ही सबकुछ है। बता दें कि स्कूल भवनों की बदहाली व जर्जर हालात को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। दरअसल, बारिश के दिनों में स्कूलों की बदहाली को लेकर मीडिया रिपोर्ट को हाईकोर्ट ने जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की है। बिलासपुर के मस्तूरी के एक सरकारी स्कूल में बाथरूम का छज्जा गिर गया था। वहीं, जिले के स्कूल भवनों के जर्जर हालात पर भी खबरें प्रकाशित हुई थी। वहीं, मस्तूरी ब्लॉक के सरकारी स्कूल में मध्यान्ह भोजन के गर्म खीर की कड़ाही में गिरने से छात्र बुरी तरह झुलस गया था। इन खबरों पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है।
हाईकोर्ट ने 21 अगस्त तक मांगी रिपोर्ट
जनहित याचिका की सुनवाई की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस सचिन राजपूत की बेंच में हो रही है। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखते हुते अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत शिक्षा सत्र 2022-2023 में 1,837 करोड़ रुपए शासकीय स्कूलों की मरम्मत व रखरखाव के लिए जारी किया गया है। अतिरिक्त महाधिवक्ता ने जब यह जानकारी दी तो चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने पूछा कि फंड का इस्तेमाल हो रहा है या नहीं। वास्तव में स्कूलों की स्थिति सुधर रही है या सब कागजों पर ही है। हाईकोर्ट ने इस संबंध में राज्य शासन व स्कूल शिक्षा सचिव से शपथ पत्र के साथ जानकारी मांगी है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि पूर्व के निर्देश पर कितना अमल हो पाया है, इसका भी उल्लेख करें। डिविजन बेंच ने प्रोग्रेस रिपोर्ट के साथ पूरी जानकारी 21 अगस्त से पहले देने के निर्देश दिए हैं।
प्रमुख सचिव व शिक्षा सचिव करें मानिटरिंग
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने डिविजन बेंच को बताया कि स्कूलों की मरम्मत के लिए कलेक्टर डीएमएफ फंड से भी राशि उपलब्ध करा सकते हैं। डिविजन बेंच ने कहा कि एक कलेक्टर कहां- कहां जाएंगे। फंड के उपयोग को लेकर विभाग के प्रमुख व शिक्षा सचिव को मानिटरिंग करना चाहिए। यह देखा जाना चाहिए कि सरकार द्वारा जारी बजट का सदुपयोग हो रहा है या नहीं।