छत्तीसगढ़ में चैंबर चुनाव स्थगित हो जाने के बाद भी व्यापारी एकता पैनल और जय व्यापार पैनल के बीच तकरार थमने का नाम नहीं ले रही है। एकता पैनल के राजेश वासवानी ने छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अमर पारवानी को पत्र लिख मतदाता सूची मांगी है। साथ ही पुराने बायलॉज से चुनाव करने की मांग की है। वासवानी ने अपने लेटर में कहा है कि समय पर जल्दी इलेक्शन करवाएं नहीं तो उन्हें मजबूरन हाईकोर्ट जाकर याचिका लगानी पड़ेगी।
चुनाव नहीं कराने का बहाना ढूंढ रहे
राजेश वासवानी ने कहा कि वर्तमान कार्यवाहक अध्यक्ष चुनाव नहीं करवाने का नया-नया बहाना ढूंढ रहे हैं। कभी वे लोकसभा चुनाव के बाद चुनाव करवाने की बात कहते है तो कभी संविधान संशोधन पर कुछ लोगों की आपत्तियों को लेकर चुनाव नहीं करवाने की बात कहकर 25000 सदस्यों को गुमराह कर रहे हैं ।
वासवानी के कहा कि 28 जुलाई को मैने एक पत्र भेजा गया था, जिसमें अध्यक्ष ने मीडिया पर जवाब दिया था कि समय पर चुनाव होंगे। राजेश ने कहा कि 19 मार्च को वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल पूरा हो गया था, लेकिन दो बार तीन-तीन माह के लिए समय को बढ़ाया गया है और वे अब समय पर चुनाव नहीं करवा रहे हैं।
10 दिन तक चुनाव अधिकारी नहीं दी सदस्यता सूची
राजेश ने कहा कि 23 जुलाई को कार्यकारिणी आखिरी बैठक मे चुनाव तारीख घोषित करने के बजाय उन्होंने चुनाव अधिकारी घोषित किया और 10 दिन तक चुनाव अधिकारी को सदस्यता सूची प्रदान नहीं की गई। अब चुनाव को स्थगित करवा दिया गया है।
वासवानी के कहा कि चैंबर अध्यक्ष अमर पारवानी को चुनाव अधिकारी की नियुक्ति करते समय पता नहीं था कि संविधान में संशोधन का मामला कोर्ट में है? फिर मामला कोर्ट में रहने का बहाना बनाकर चुनाव स्थगित क्यों किया गया?
हाईकोर्ट दायर की जाएगी याचिका
एकता पैनल के राजेश वासवानी ने कहा कि चैंबर का चुनाव नहीं करवाकर अध्यक्ष 25000 सदस्यों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्हें पुराने बायलॉज के आधार पर समय पर जल्द चुनाव करवाना चाहिए और चैंबर को प्रशासन के हवाले किया जाए ताकि चुनावी प्रतिक्रिया पूरी हो सके। अगर वे ऐसा नही करेंगे तो हमें मजबूरन हाईकोर्ट में जाकर उनके खिलाफ याचिका लगानी पड़ेगी।
कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव ने किया पलटवार
चैंबर ऑफ कॉमर्स के कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव ने पलटवार करते हुए कहा कि राजेश वासवानी अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। कुर्सी का रोग एकता पैनल के स्वयंभू अध्यक्ष को है, जो खुद 15 साल तक महामंत्री और 2 बार अध्यक्ष के पद पर रह चुके हैं।
23 जुलाई की अंतिम कार्यकारिणी में चुनाव अधिकारी की नियुक्ति हुई है और 23 तारीख तक बने सदस्यों को वोट देने का अधिकार होगा। पुराने संविधान के अनुसार चुनाव करवाकर क्या एकता पैनल इन सदस्यों को वोट देने के अधिकार से वंचित करना चाहता है।
अंतिम सदस्यता सूची चैंबर कार्यालय में बनाई जा रही
इस तारीख़ तक बने हुए सदस्यों की अंतिम सदस्यता सूची चैंबर कार्यालय में बनाई जा रही है। चुनाव का पूरा कार्यक्रम चुनाव अधिकारी घोषित करते हैं। उनके ओर से रजिस्ट्रार के पास लगाई गई अपील के कारण ही चुनाव स्थगित हुए हैं। जब आपने रजिस्ट्रार के पास 15 जुलाई को केस लगा दिया तो आपके द्वारा 28 जुलाई को भेजे गए पत्र का जवाब देने का कोई औचित्य ही नहीं था।
रजिस्ट्रार कार्यालय ने रिजेक्ट किया
अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव ने कहा कि उनके द्वारा लगाई गई प्रारंभिक आपत्ति को रजिस्ट्रार कार्यालय ने रिजेक्ट कर संविधान संशोधन किया है। अब क्या रजिस्ट्रार पर से भी आपकी विश्वास उठ गया है जो आप हाईकोर्ट जाने की बात कर रहे हैं। चुनाव की प्रक्रिया तो उनकी ही आपत्ति के कारण रुकी है।
मैदान में उतरकर मुकाबला करें
नये संविधान में किसी को भी चुनाव लड़ने से रोका नहीं गया है। पुराने संविधान की आड़ में अमर परवानी को चुनाव लड़ने से रोकने का प्रयास इनके भय को बता रहा है। यदि साहस हो तो कानूनी अड़चने पैदा कर चुनाव रोकने की कोशिश के बजाय चुनाव के मैदान में उतरकर मुकाबला करें।