‘मुठभेड़ में नक्सलियों को भी काफी नुकसान हुआ है। सूचना के आधार पर 3 से 4 ट्रकों से घायल और मृत नक्सलियों को उनके साथियों ने ट्रांसपोर्ट किया है। बासागुड़ा और जगरगुंडा में तर्रेम के बाद कैंप बनना था। इसके बनने से हम दक्षिण में नक्सली कॉरिडोर को बंद कर देते।’ ये कहना था, DGP (तब DG नक्सल ऑपरेशन रहे) अशोक जुनेजा का। बीजापुर में 3 अप्रैल 2021 को हुई इस मुठभेड़ में 23 जवान शहीद हो गए थे। इस दौरान रेस्क्यू कराने गए जवानों पर भी लौटते समय हमला किया गया था।
करीब 3 साल पहले हुए इस एनकाउंटर में शामिल 16 जवानों को गैलेंट्री अवॉर्ड दिया गया है। इनमें 11 को यह सम्मान मरणोपरांत मिला है। इनके अलावा 10 जवानों को भी अलग-अलग मुठभेड़ के लिए वीरता पुरस्कार दिया गया है।
जानिए इस मुठभेड़ की कहानी…
बीजापुर के तर्रेम क्षेत्र के सिलगेर के जंगल में जोनागुड़ा के पास CRPF की कोबरा, बस्तरिया बटालियन, DRG और STF के करीब 2000 जवान पिछले दो दिनों से अलग-अलग ऑपरेशन पर निकले हुए थे। 3 अप्रैल की सुबह फोर्स को सूचना मिली कि जोनागुड़ा के पास नक्सलियों का जमावड़ा है।
पहले भी यहां सैटेलाइट तस्वीरों में कुछ हलचल दिखाई दे रही थी। यह सूचना फोर्स के पास आई तो जोनागुड़ा का ऑपरेशन अधिकारियों ने प्लान किया। इसके बाद सभी तरह की फोर्स, जो उस समय आसपास के जंगलों में सर्चिंग कर रही थी, उसे मैसेज दिन जाने लगे कि वो जोनागुड़ा की ओर बढ़े।
‘U’ शेप में घात लगाकर बैठे थे नक्सली
पहले से U शेप में घात लगाकर बैठे नक्सली इसी इंतजार में थे। फोर्स जैसे ही इस जोन में घुसी, एंबुश में फंस गई। नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग की। जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई की। मुठभेड़ की सूचना मिलने पर, एसटीएफ और कोबरा 210 पुलिस पार्टियों भी घटनास्थल पर पहुंच गईं।
मुठभेड़ में बहादुरी से लड़ते हुए SI दीपक भारद्वाज, हेड कॉन्स्टेबल रमेश जुरी, सोढ़ी नारायण, कॉन्स्टेबल रमेश कोरसा, सुभाष नायक, सहायक आरक्षक भोसाराम करटामी, किशोर एंड्रिक, सनकू राम सोढी, STF हेड कॉन्स्टेबल श्रवण कश्यप, कॉन्स्टेबल रामदास कोर्राम, जगतराम कंवर, सुख सिंह, रमाशंकर सिंह, शंकर नाग शहीद हो गए।
करीब 5 घंटे चली मुठभेड़ में कई नक्सली मारे गए। तमाम घायल हुए। एक महिला नक्सली के शव के साथ जवानों ने कई हथियार बरामद किए। वहीं जवानों ने मुठभेड़ के दौरान कई लोगों की जान बचाई।
20 साल बाद नक्सलियों के कब्जे से मुक्त कराई सड़क
नारायणपुर के नक्सली इलाके कडेमेटा में फरवरी में ही कैंप खोला गया था। इसके लिए वहां सड़क का निर्माण होना था। यह रोड धौड़ई थाना होकर सातधार-पारसुल की ओर जाती है। यहां नक्सलियों ने 1996 में फॉरेस्ट की 7 गाड़ियों में आग लगा दी थी। इसके बाद से यह बंद थी।
DRG में तैनात इंस्पेक्टर मालिक राम अपने साथी ASI सुक्कू राम नाग, हेड कॉन्स्टेबल संतोष चंदन सहित 50 जवानों के साथ 29 अप्रैल 2020 को सड़क निर्माण में लगे वर्करों की सुरक्षा के लिए निकले। सुबह 8 बजे फोर्स पहुंची और रोज की तरह शाम को लौटने लगी। वहां से करीब एक किमी तक नक्सलियों ने एंबुश लगा रखा था।
इससे पहले कि जवान कुछ समझ पाते नक्सलियों ने हमला कर दिया। अचानक झाड़ियों में हलचल हुई और गोलियां चलनी शुरू हो गईं। जवानों ने भी पोजिशन ली। मुठभेड़ में 8-8 लाख के इनामी 2 नक्सली मारे गए। इनमें नक्सलियों का स्नाइपर और कम्युनिकेशन कमांडर सन्नू उर्फ जयलाल मंडावी भी था।
बिना प्लानिंग नक्सलियों पर अटैक, 2 को मार गिराया
26 फरवरी 2022 को बीजापुर को नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिली। पुलिस को दो स्ट्राइक टीमों A और B में बांटा गया। नक्सलियों के इलाके को घेरने के लिए प्लानिंग के मुताबिक दोनों टीमें अलग-अलग रास्ते से रवाना हुई। तभी नक्सलियों ने A टीम को घेर लिया। वे जवानों पर लगातार फायरिंग करते रहें।
इस मुठभेड़ की सूचना टीम B को मिली। टीम B को धरम सिंह तुलावी लीड कर रहे थे। उनके साथ ASI छन्नू राम पोयाम और अन्य 2 साथी थे। टीम B के जवानों ने बिना किसी रणनीति के साथ नक्सलियों का मुकाबला किया। उन्होंने जंगल में पेड़ और पत्थरों की आड़ लेकर ताबड़तोड़ फायरिंग की। फायरिंग बंद हुई तो सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया।
इस दौरान दो महिला नक्सलियों की लाशें बरामद हुईं। इनके पास से पिस्टल, मैगजीन, जिंदा कारतूस से लोड राइफल मिली। बिना प्लानिंग के हिम्मत दिखाते हुए नक्सलियों से भिड़ गए। इस काम के लिए निरीक्षक धरम सिंह तुलावी सहित छन्नूलाल पोयाम, शिवकुमार रामटेके और गौतम कोरसा को वीरता पदक दिया गया।
नाले में फंसे थे, फिर भी नक्सलियों को ढेर किया
31 जुलाई 2022 को एसपी सुकमा को सूचना मिली कि नक्सली एक जगह पर इकट्ठे हुए हैं। इसके बाद पुलिस पार्टी एर्राबोर बेस कैंप से सर्च ऑपरेशन के लिए रवाना की गई। इस दौरान रास्ते में 40 से 50 वर्दीधारी नक्सली झाड़ियों में घात लगाकर छिपे थे। उन्होंने जवानों को देखते ही अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।
इस दौरान पुलिस पार्टी के कमांडर SI हेमंत पटेल और उनकी टीम के 3 अन्य जवान नाले में फंस गए। इसके बावजूद उन्होंने जवाबी कार्रवाई की। पीछे से DRG जवानों की कुछ अन्य टीम में भी कवर फायर करने लगी। मुठभेड़ में एक नक्सली मारा गया। SI हेमंत पटेल और उनकी टीम के जवानों ने फंसे होने के बावजूद नक्सलियों के एंबुश से बचे और उन्हें खदेड़ दिया।
19 जनवरी 2022 को दंतेवाड़ा एसपी को थाना कटे कल्याण क्षेत्र के दरबार डिवीजन के 20 से 25 सशस्त्र माओवादी के मौजूदगी की खुफिया सूचना मिली। क्रॉस चेक करने पर सूचना पुख्ता हुई तो टीम को रवाना किया गया। 174 जवानों के बल को 6 टीमों में बांटा गया। इन टीमों को सब इंस्पेक्टर साकेत कुमार बंजारे लीड कर रहे थे।
तभी साकेत कुमार बंजारे की टीम पर नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। जवानों ने भी कड़ा जवाब दिया। फायरिंग रुकी तो एक नक्सली की लाश जमीन पर पड़ी मिली। उसके पास टिफिन बम भी था, जिसमें वह जवानों को फंसाकर उड़ाने के फिराक में था।