तीन दिन बंद के बाद खुले शासकीय अस्पतालों में मंगलवार को मरीजों की संख्या में काफी इजाफा देखा गया। अंबेडकर अस्पताल में मेडिसिन विभाग की ओपीडी में खड़े रहने की जगह नहीं थी। सर्दी-जुकाम, उल्टी-दस्त, बुखार, हाथ-पांव और पेट में दर्द के मरीज सबसे ज्यादा पहुंचे। जानकारी के मुताबिक मंगलवार को 800 से ज्यादा मरीज अंबेडकर अस्पताल पहुंचे। ओपीडी काउंटर खुलने के पहले ही मरीजों की लाइन लग गई। इस वजह से देर से आने वाले लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ा। एक समय ऐसा भी आया कि मरीजों को पर्ची बनवाने से रोक दिया गया। गार्ड ने उन्हें गेट से यह कहते हुए लौटा दिया कि मरीज आ चुके हैं। अब कल आना। बिना इलाज कई मरीज लौट गए।
डेढ़ घंटे बाद भी नंबर नहीं आया तो जाने लगे मरीज : एक मरीज ने बताया कि परिवार में कई सदस्य बीमार हैं। हमने करीब साढ़े 12 बजे ओपीडी में पर्ची बनवाई। इसके लिए वहां रखे एक स्कैनर को आभा एप में स्कैन किया। उसके बाद टोकन नंबर मिला। बिना लाइन में लगे हमारी पर्ची बन गई। इसके बाद फर्स्ट फ्लोर पर कक्ष नंबर 140 में भेजा गया। यहां पहले से काफी भीड़ दिखी। सभी अपनी पर्ची डॉक्टर के पास जमा कर रहे थे। डॉक्टर मरीज को देख भी रहे थे। अचानक कुछ देर बाद मरीज उठकर बाहर जाने लगे। पूछने पर बताया कि वे डेढ़ घंटे से बैठे हैं। लेकिन नाम नहीं आ रहा। इसलिए अब घर जा रहे हैं। करीब 1.15 बजे गार्ड ने नए मरीजों को रोक दिया। उन्हें कल आने के लिए कहा गया। बहुत से मरीज बाहर से ही लौट गए।
सिटी स्कैन और एमआरआई के लिए लंबी वेटिंग : कैंसर की जांच, टूटी हड्डी के ऑपरेशन, महिलाओं की सोनोग्राफी के लिए 10 से 15 दिन की वेटिंग दी जा रही है। 15 दिन बाद मरीज का किसी तरह नंबर लग भी जाए तो जांच की रिपोर्ट लेने के लिए उसे हफ्तेभर घुमाया जाता है। इसके चलते इलाज समय पर शुरू नहीं हो पा रहा है। गंभीर मरीज मजबूरी में प्राइवेट अस्पतालों का रूख कर रहे हैं।