साल 2014 में यानी करीब 10 साल पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया था. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में आखिरी बार इस बीमारी का मामला साल 2011 में सामने आया था. उसके तीन साल बाद तक कोई केस नहीं आया था. नियमों के मुताबिक, वैक्सीनेशन के बाद अगर किसी देश में बीमारी का तीन साल तक एक भी केस रिपोर्ट नहीं होता तो उस देश को संबंधित बीमारी से मुक्त घोषित कर दिया जाता है. इसी वजह से 2014 में भारत पोलियो मुक्त हो गया था. कई सालों तक चले ‘पल्स पोलियो’ अभियान के बाद ये बीमारी काबू में आई थी.
क्यों आया पोलियो का मामला?
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर डॉ एल. एच घोटेकर बताते हैं कि ये मामला सामान्य पोलियो का नहीं बल्कि यह वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो वायरस (VDPC) की घटना है. इस तरह की स्थिति कुछ बीमारियों के मामले में हो जाती है. ऐसा तब होता है जब वैक्सीन में वायरस के खिलाफ कमजोर स्ट्रेन डाला जाता है और ऐसे में वायरस पर वैक्सीन की डोज प्रभावी नहीं होती है. इससे बच्चा संक्रमित हो जाता है.
डॉ घोटेकर कहते हैं कि इस एक केस से यह नहीं कह सकते की बीमारी की वापसी हो गई है. जो केस आया है वह भी वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो वायरस का है. मामले की जांच चल रही है. पोलियो भारत से खत्म हो चुका है और जितनी बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन हुआ है और चलता है उसको देखते हुए इस बीमारी की फिर से आने की आशंका नहीं है.
क्या है पोलियो?
पोलियो वायरस से होने वाला एक इंफेक्शन है. इसको पोलियोमाइलाइटिस कहा जाता है. पोलियो होने पर ब्रेन रीढ़ की हड्डी को नुकसान होता है. पोलियो का आजतक कोई इलाज नहीं है. केवल वैक्सीन मौजूद है, जिससे इस बीमारी के होने की आशंका को खत्म किया जाता है.