छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में मंकी पॉक्स यानी एम-पॉक्स की बीमारी को लेकर जिले में अलर्ट जारी किया गया है। कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने इस बीमारी से बचाव और रोकथाम के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसे लेकर कलेक्टर ने स्वास्थ्य विभाग की बैठक बुलाई। रोकथाम और बचाव के निर्देश दिए। दुर्ग कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने बताया कि इस बीमारी से पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है। 14 अगस्त 2024 को WHO ने मंकी पॉक्स को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कॉन्स घोषित किया। इसको लेकर भारत में भी सक्रियता बरती जा रही है। दुर्ग जिले में भी अलर्ट जारी किया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की बैठक भी बुलाई
इसे लेकर कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की बैठक भी बुलाई। उन्होंने कहा कि मंकी पॉक्स बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक किया जाए। उन्हें बताया जाए कि इस बीमारी से बचाव और रोकथाम के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मनोज दानी और स्वास्थ्य अधिकारी सीबीएस बंजारे ने मंकी पॉक्स बीमारी के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक भारत सरकार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने 20 अगस्त 2024 को मंकी पॉक्स (एम-पॉक्स) नामक बीमारी के बचाव और रोकथाम के लिए एडवाइजरी जारी की है।
यह है मंकी पॉक्स बीमारी
मंकी पॉक्स एक जूनोटिक बीमारी है, जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के क्षेत्रों में होती है। पिछले कुछ महीनों से इसके प्रकरण अन्य देशों में भी देखने को मिल रहे हैं। भारत के केरल राज्य में भी इसका केस मिला है।
क्या हैं इस बीमारी के लक्षण
मंकी पॉक्स से संक्रमित व्यक्ति की पहचान के लिए कुछ लक्षण बताए गए हैं। किसी व्यक्ति को सामान्य बुखार के साथ चकत्ते और लिम्फ नोड्स में सूजन आ जाए तो इस बीमारी के चांस बढ़ जाते हैं। मंकी पॉक्स एक स्वसीमित (सेल्फ-लिमिटेड) संक्रमण है। इसके लक्षण 2 से 4 सप्ताह में खुद समाप्त हो जाते हैं। मंकी पॉक्स संक्रमण के गंभीर प्रकरण सामान्यतः बच्चों में पाए जाते हैं। इससे संक्रमित की वजह से मौत भी हो सकती है।
इस तरह बढ़ती है यह बीमारी
मंकी पॉक्स का संक्रमण होने पर 6 से 13 दिन में इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। 5 से 25 दिन तक इसका संक्रमण बना रह सकता है। मंकी पॉक्स के संक्रमण से त्वचा में चकते पड़ते हैं। इसके बाद उसमें एक से दो दिन में पपड़ी पड़ती है और पपड़ी निकलने के बाद चकत्ते समाप्त हो जाते हैं। इस दौरान यदि इसके संपर्क में कोई आया तो ये बीमारी दूसरे को भी फैल सकती है। मंकी पॉक्स वायरस का संक्रमण पशु से मनुष्य में और मनुष्य से मनुष्य में फैलता है।
जिले में यह की गई है व्यवस्था
मंकी पॉक्स की जांच के लिए जिले की टीम सैंपल लेगी। इसके बाद वो इसे लैबोरेटरी में भेजेगी। मंकी पॉक्स के पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान के लिए जिला सर्वेलेंस अधिकारी के अधीन कांटेक्ट ट्रेसिंग दल का गठन किया जाएगा। संक्रमित व्यक्ति जिस व्यक्ति के संपर्क में आया होगा उसको 21 दिन मॉनिटर किया जाएगा कि कहीं उसे बुखार या त्वचा में चकते तो नहीं पड़ रहे हैं।
21 दिनों तक ब्लड, ऑर्गन, टिसू, सीमन डोनेशन नहीं
मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति और उसके संपर्क में आने वाले लोग 21 दिनों तक ब्लड, ऑर्गन, टिसू, सीमन डोनेट नहीं कर सकेंगे। बिना सुरक्षा उपकरणों के मंकी पॉक्स रोगी या उसके द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुओं के संपर्क में आने वाले चिकित्सा कर्मियों पर भी 21 दिनों तक निगरानी रखी जाएगी।