मौसम विज्ञान केंद्रों में होगा AI का इस्तेमाल:रायपुर में लगेगा डॉप्लर रडार; DG महापात्र बोले- 300KM दायरे की मिलेगी सटीक जानकारी…!!

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भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र मौसम के पूर्वानुमान के लिए आने वाले दिनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करेगा। IMD (India Meteorological Department) के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने बातचीत में बताया कि AI सिस्टम डेवलपमेंट स्टेज पर है, इससे 300KM की सटीक जानकारी मिलेगी। डॉ. मृत्युंजय महापात्र के मुताबिक आने वाले दिनों में AIML(आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मार्क अप लैंग्वेज) बेस टूल्स डेवलपमेंट किया जाएगा, न्यूमेरिकल वेदर प्रेडिक्शन मॉडल सिस्टम के साथ मिलकर काम करेगा। इसके लिए टीम बनाई है। बहुत सारे ऑर्गेनाइजेशन और इंस्टीट्यूट के साथ कोलैबोरेशन कर रहे हैं।

150 साल का भी होगा एनालिसिस

DG डॉ मृत्युंजय महापात्र के मुताबिक AI सिस्टम का वर्तमान में थोड़ा-बहुत इस्तेमाल कर रहे हैं और इसका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने की आवश्यकता है। हमारे पास साल 1901 से लेकर अब तक का डेटा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मेथड डेवलप करने के बाद सभी डेटा का एनालिसिस करेंगे, जो मौसम का पूर्वानुमान कर सकेगा।

रायपुर में लगाया जा रहा डॉप्लर रडार

DG महापात्र ने बताया कि डॉप्लर रडार से मौसम की सटीक जानकारी मिल पाएगी। अब तक रायपुर का मौसम विज्ञान केन्द्र सैटेलाइट इमेज लाइटनिंग डिटेक्शन सिस्टम और वेदर ऑब्जर्वेशन से फोरकॉस्ट और नाउकॉस्ट जारी करता था। रडार के क्लाउड का रियल टाइम डेटा मिलेगा, जिससे मौसम पूर्वानुमान की सटीक जानकारी मिल पाएगी।

300 किलोमीटर तक की जानकारी

रायपुर मौसम विज्ञान केन्द्र की प्रभारी डॉ. गायत्री वाणी ने बताया कि सैटेलाइट इमेज 20 मिनट देरी से आती है, लेकिन रडार क्लाउड की रियल टाइम जानकारी मिलेगी। इसके लगने से 300 किलो मीटर तक के क्लाउड रियल टाइम जानकारी मिल पाएगी।

इससे छत्तीसगढ़ के साथ-साथ प्रदेश की सीमाओं से लगे राज्यों में वेदर कंडिशन की जानकारी मिल पाएगी। साथ ही इसके लगने से तूफान और उसकी रफ्तार, हवा किस गति से चल रही है, कितनी बारिश होगी ओला गिरेगा या नहीं सारी जानकारी मिलेंगी।

ऐसे काम करता है डॉप्लर रडार

रडार से एक विशेष तरंगें निकलती हैं, जो संबंधित सिस्टम से टकराकर कंट्रोल रूम में वहां के हालात की कलरफुल इमेज लगातार बनाती रहती हैं। इससे पूर्वानुमान आसान हो जाता है। इसके लगने के बाद मौसम की हर घंटे-दो घंटे में सही जानकारी प्रसारित होगी।

मौसम विज्ञान का एक्यूरेसी रेट

DG डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि हम जो मौसम की जानकारी देते हैं पिछले सालों के मुकाबले एक्यूरेसी 40 से 50 प्रतिशत का सुधार हुआ है। मौसम विज्ञान केन्द्र का सब डिवीजन लेवल जो हैवी रेनफॉल को लेकर 24 घंटे पहले पूर्वानुमान जारी करता है, उसकी एक्यूरेसी रेट 80% है। थंडरस्टॉर्म के लिए 3 घंटे पहले पूर्वानुमान की एक्यूरेसी 86-88% है।

महापात्र ने बताया कि साइक्लोन को लेकर मौसम विज्ञान केन्द्र जो पिन पॉइंटर फोरकास्ट जारी करते हैं, जिसकी वजह से साइक्लोन से होने वाले जानमाल के नुकसान में कमी भी आई है। वहीं हीट वेव की एक्यूरेसी जो 24 घंटे पहले बताई जाती है, उनमें 80 से 83% एक्यूरेसी होती है।

विकसित देशों की तरह इक्विपमेंट

भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक ने बताया कि डेवलप्ड कंट्री में जो मौसम विज्ञान के लिए इक्विपमेंट इस्तेमाल किए जाते हैं उनके जैसे सैटेलाइट रडार हमारे पास भी है। दूसरे देशों में जो मॉडल हुआ करता है वैसे मॉडल हमारा भी है।

लाइटनिंग वॉर्निंग को लेकर जो सिस्टम हमारे पास है, वह सभी कंट्री में अवेलेबल नहीं है। दुनिया के सिर्फ 5 से 6 कंट्री में लाइटनिंग मॉडलिंग सिस्टम है, जिनमें भारत देश भी एक है। इसके साथ हम साइंस एंड टेक्नोलॉजी से फोरकास्ट एक्यूरेसी बताते है, इसमें इंप्रूव करने के लिए हम ऑब्जरवेशन नेटवर्क, मॉडलिंग सिस्टम, कम्युनिकेशन सिस्टम और अर्ली वॉर्निंग सिस्टम को भी स्ट्रॉन्ग कर रहे हैं।

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