RSS का टारगेट, 2029 तक महिला आरक्षण और जाति जनगणना:अब सीधे सरकार को सलाह देगा, 30 करोड़ हिंदू परिवारों को जोड़ेगा…!!

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देश में जाति जनगणना कराना, डीलिमिटेशन और महिलाओं को 33% आरक्षण, केरल के पलक्कड़ में RSS की अखिल भारतीय समन्वय बैठक में इन तीन बड़े मुद्दों पर बात हुई। इनमें भी जनगणना और महिला आरक्षण पर ज्यादा फोकस रहा। RSS का मानना है कि 2029 तक अगर 33% महिलाएं संसद में आ जाती हैं, तो देश का इतिहास बदल जाएगा।

जाति जनगणना पर RSS के स्टैंड से BJP का धर्मसंकट खत्म हो गया है, क्योंकि अब तक पार्टी इस मुद्दे का न खुलकर विरोध कर पा रही थी और न ही समर्थन। क्रीमीलेयर में बदलाव पर RSS का मानना है कि आरक्षण से जुड़ी जातियों को भरोसे में लेकर और उनकी सहमति के बगैर कोई कदम नहीं उठाना चाहिए।

इसके अलावा RSS ने कुटुंब प्रबोधन के जरिए 30 करोड़ हिंदू परिवारों तक पहुंचने का टारगेट रखा है।

31 अगस्त से 2 सितंबर तक चली इस बैठक में RSS से जुड़े 32 संगठनों के 300 पदाधिकारी शामिल हुए थे। इस दौरान किन मसलों पर बात हुई और क्या मैसेज निकला, इस पर मीडिया ने बैठक में शामिल पदाधिकारियों और संघ विचारक दिलीप देवधर से बात की।

5 बड़े मुद्दे, जिन पर बात हुई

1. महिलाओं के लिए 33% आरक्षण जल्दी लागू करवाना
बैठक में शामिल रहे RSS के एक प्रचारक ने बताया कि हमारा सबसे प्रमुख एजेंडा जनगणना और महिला आरक्षण जल्द लागू कराना है। संघ विचारक दिलीप देवधर बताते हैं, ‘RSS से जुड़े 32 संगठन लगातार महिलाओं के बीच काम कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले 5.5 लाख महिलाओं के साथ मीटिंग की गई है। इनमें हर लोकसभा क्षेत्र से 1 हजार महिलाएं शामिल हुई थीं। इन महिलाओं ने संसद में 33% आरक्षण लागू करवाने की मांग की थी।

2. कुटुंब प्रबोधन के जरिए 30 करोड़ परिवारों तक पहुंचना
RSS ने 2013 में कुटुंब प्रबोधन अभियान शुरू किया था। इसी की मदद से RSS ने श्रीराम जन्म भूमि तक जाने के लिए 19 करोड़ हिंदू परिवारों को निमंत्रण दिया था। समन्वय बैठक में तय हुआ कि संगठन कुटुंब प्रबोधन के जरिए 30 करोड़ परिवारों तक पहुंचेगा। चुनावों में इन कार्यक्रमों का फायदा BJP को कैसे मिले, इस पर भी बात हुई।

दिलीप देवधर कहते हैं, ‘RSS मानता है कि परिवारों में एकता और राष्ट्रीयता की भावना लाने से ही देश मजबूत बनेगा। व्यक्ति को सामाजिक इकाई मानना भ्रांति है। असल में कुटुंब ही आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक इकाई है। कुटुंब प्रबोधन के जरिए RSS परिवारों के बीच बेहतर तालमेल और सहयोग कायम करने पर काम करता है।’

3. हिंदू धर्म मानने वाली सभी जातियों में पैठ बनाना
बैठक में शामिल पदाधिकारी बताते हैं कि 1972 में ठाणे में चिंतन बैठक हुई थी। तब संघ प्रमुख माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ने कहा था कि RSS अखिल भारतीय हो चुका है। हमें हिंदू धर्म को मानने वाली सभी जातियों में पैठ बनानी होगी। उनका मकसद था ऐसे लोगों को RSS की छाया में लाना, जो किसी न किसी तरीके से हिंदू धर्म को मानते हैं।

ये कोशिश आज भी अधूरी है। कैसे RSS को सभी जातियों का प्रतिनिधि बनाया जाए, इस पर भी बैठक में चर्चा हुई है। इसके लिए RSS समरसता मंच शुरू करेगा।

दिलीप देवधर बताते हैं कि 2029 तक RSS इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए काम करेगा। RSS की स्थापना 1925 में हुई थी। संगठन के 100 साल पूरे होने वाले हैं। RSS समय-समय पर अपने काम की समीक्षा करता है, विस्तार की योजनाओं पर काम करता है। शताब्दी वर्ष को ध्यान में रखते हुए इसमें तेजी लाने पर बात की गई।

देवधर आगे कहते हैं कि राहुल गांधी आज जाति जनगणना की बात कर रहे हैं। RSS हमेशा से इसका पक्षधर रहा है। हमारे पास पहले से जातिगत आंकड़े मौजूद हैं। हमें बस सरकार के आधिकारिक आंकड़े का इंतजार है। जातिगत जनगणना के बाद RSS के लोग हिंदुओं की सभी जातियों तक आसानी से पहुंच सकेंगे।

बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी कहा कि सामाजिक समरसता की जड़ें मजबूत करने के लिए सभी स्वयंसेवकों को निकलना होगा। लोगों तक मैसेज पहुंचाना होगा कि मंदिर, तालाब जैसी जगहों पर सभी जातियों का समान अधिकार है।

लोकसभा चुनाव में जिस तरह से विपक्ष ने BJP और RSS को आरक्षण और संविधान विरोधी बताने के लिए अभियान चलाया था, उससे BJP का दलितों और पिछड़ों में आधार घटा है। इस लिहाज से RSS ने अपना रुख साफ किया है।।

संगठन के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने भी बैठक खत्म होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में जातिगत जनगणना का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले ही आंकड़े ले लिए हैं। इनका इस्तेमाल सिर्फ उन समुदायों या जातियों की मुश्किलें दूर करने के लिए किया जाना चाहिए। अगर किसी विशेष समुदाय या जाति को एड्रेस करने के लिए या उस पर खास ध्यान देने की जरूरत है, तो सरकार इस आंकड़े का इस्तेमाल कर सकती है।

4: RSS की छाया से बाहर नहीं होगी BJP
इसी साल 21 मई को BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘शुरुआत में हम कम सक्षम थे। तब हमें RSS की जरूरत पड़ती थी। अब हम सक्षम हैं। आज BJP खुद अपने आप को चलाती है।’

ये बयान लोकसभा चुनाव में चौथे राउंड की वोटिंग के बाद आया था। बैठक में इस पर भी बात हुई कि आगे किसी तरह का कन्फ्यूजन न हो। दिलीप देवधर बताते हैं, ‘अब फिर से RSS केंद्रित BJP बन चुकी है। तीन दिन की बातचीत के बाद ‘RSS-BJP हार्मनी’ फिर से बन गई है।’

बैठक में शामिल एक सूत्र बताते हैं, ‘RSS प्रमुख मोहन भागवत और BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच मीटिंग हुई है। एक हफ्ते पहले तक BJP अध्यक्ष को बैठक का न्योता नहीं मिला था। चर्चा होने लगी कि शायद उन्हें नहीं बुलाया जाए। मोहन भागवत और जेपी नड्डा के बीच पार्टी के नए अध्यक्ष को लेकर भी चर्चा की बात सामने आ रही है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है।’

RSS और BJP के रिश्तों पर सुनील आंबेकर से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि दोनों का टारगेट एक ही है। RSS के लिए देश सबसे पहले है। हर स्वयंसेवक मानता है कि राष्ट्र सनातन और शाश्वत है। इसलिए हम सभी देश की सेवा के लिए समर्पित हैं।

क्या BJP को संगठन स्तर पर RSS प्रचारक नहीं मिल रहे हैं? इस पर आंबेकर ने कहा…

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‘BJP में बहुत RSS स्वयंसेवक और प्रचारक हैं। प्रचारकों को कैसे और कहां रखना है, ये RSS तय करता है। उसके लिए बहुत सारे मानदंड हैं। इसमें कोई समस्या नहीं है।’

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5. RSS और सरकार मिलकर काम करेंगे
2001 से ही BJP की पॉलिसी रही है कि सरकार में RSS नहीं चाहिए। सरकार पार्टी की होगी और संगठन पर RSS का कंट्रोल रहेगा। इस बैठक में तय हुआ है कि आने वाले समय में RSS और सरकार मिलकर काम करेंगे।

दिलीप देवधर बताते हैं, ‘BJP और RSS के बीच तालमेल बिगड़ने का खामियाजा लोकसभा चुनाव में दिखा है। BJP को इसका बड़ा नुकसान हुआ। इस नुकसान से बचने के लिए RSS ने सरकार को समय-समय पर सुझाव देने का फैसला लिया है।

महिला सुरक्षा को लेकर 5 सूत्रीय प्लान
बैठक के दौरान कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर का मुद्दा भी उठा। RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बताया कि हमें 5 मोर्चों पर काम करना होगा।

  1. कानूनी तौर पर कैसे इस मुद्दे से निपट सकते हैं।
  2. समाज में कैसे जागरूकता पैदा कर सकते हैं।
  3. हर परिवार में ऐसा माहौल और संस्कार दे सकते हैं, जिससे समाज ऐसे अपराधियों से मुक्त हो जाए।
  4. मुद्दे की संवेदनशीलता के बारे में शिक्षित करना है।
  5. आत्मरक्षा के लिए स्कूल और कॉलेज लेवल पर ट्रेनिंग देने की जरूरत है।

उन्होंने आगे कहा कि मीडिया से आने वाले आपत्तिजनक कंटेंट ने ये तबाही पैदा की है। देखा गया है कि जो लोग इस तरह की घटनाओं में शामिल हैं, वे लंबे समय से ऐसा कंटेंट देख रहे थे।

RSS ने पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था का हवाला देकर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग खारिज कर दी। संगठन का कहना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसा फैसला सही नहीं है। सरकार को लोगों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए।

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर
बैठक के बाद सुनील आंबेकर ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड मॉडल पहले से ही जनता के बीच है। उत्तराखंड में UCC को अपनाने से पहले उन्होंने इसे पब्लिक डोमेन में रखा था। 2 लाख से ज्यादा लोगों ने इस पर चर्चा की। मुझे लगता है कि अब यह पब्लिक डोमेन में है। लोगों को इसका अनुभव है, फिर हम इस पर चर्चा कर सकते हैं।

बांग्लादेश में हिंदुओं के हालात पर
आंबेकर ने बताया कि बैठक के दौरान कई संगठनों ने बांग्लादेश के हालात पर रिपोर्ट पेश की है। बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के बारे में हर कोई चिंतित है। हमने सरकार से उनकी सुरक्षा करने के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ बातचीत करने की गुजारिश की है।

इन मुद्दों पर चर्चा नहीं
वन नेशन और वन इलेक्शन

RSS मानता है कि इस पर सरकार पहले से काम कर रही है। RSS सरकार के काम में दखल नहीं देता है। इसलिए जब भी जरूरत होगी, सरकार की मदद की जाएगी।

आने वाले विधानसभा चुनाव
क्या विधानसभा चुनावों पर भी कोई बात हुई है? दिलीप देवधर इसका जवाब देते हैं। वे कहते हैं, ‘चुनावों पर RSS के कार्यकर्ता पहले से काम शुरू कर चुके हैं। वे घर-घर जाकर लोगों से मिल रहे हैं। इसलिए इस बैठक में चुनाव पर चर्चा नहीं हुई। RSS ने महाराष्ट्र में अरुण कुमार और जम्मू-कश्मीर में राम माधव को चुनाव का जिम्मा सौंपा है। RSS इन चुनावों में पूरी ताकत लगाने वाला है।’

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