सरगुजा में निवेशकों के 17 करोड़ लेकर चिटफंड कंपनी फरार : एजेंटों को रुपए वापस करने धमका रहे लोग; दर्ज कराई रिपोर्ट….!!

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छत्तीसगढ़ के सरगुजा में साल 2007 से 2016 तक कार्यरत रही चिटफंड कंपनी निवेशकों के करीब 17 करोड़ रुपए लेकर गायब हो गई। कंपनी ने एजेंटों के माध्यम से पांच सालों में राशि दोगुना करने का झांसा देकर रकम जमा कराई। निवेशकों को बॉन्ड भी बांटे गए। कंपनी के एजेंटों को निवेशक अब धमका रहे हैं। एजेंटों ने 8 साल बाद गांधीनगर थाने में FIR दर्ज कराई है। पुलिस ने चिटफंड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर सहित 8 अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज किया है।

बेरोजगार युवकों को बनाया एजेंट

जानकारी के मुताबिक, अंबिकापुर के रिंगरोड नमनाकला में चिटफंड कंपनी वेलफेयर बिल्डिंग एंड ई-स्टेट्स प्राईवेट लिमिटेड कंपनी ने कार्यालय खोला था। 5 सालों में राशि दोगुना करने का झांसा देकर एजेंटों के माध्यम से राशि जमा कराई। कंपनी के एजेंट ग्रामीण इलाकों के बेरोजगार युवक बने। इनके माध्यम से करीब 17 करोड़ रुपए जमा कराई।

कंपनी को वैद्य बताने दिखाया दस्तावेज

रिपोर्टकर्ता एजेंट अमगांव निवासी देवराज यादव सहित अन्य एजेंटों ने बताया कि कंपनी का पंजीयन कार्यालय विशाखापट्टनम और हेड ऑफिस विशाखापट्टनम आंध्रप्रदेश में स्थित है। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर विजय प्रसाद माला डायरेक्टर वी. संध्यावाली, एडवाईजर मेंबर बलराम पाठक, रीजनल इंचार्ज नवनीत कुमार पांडेय सहित अन्य अधिकारियों ने कंपनी के सेमीनार और मीटिंग आयोजित कर कंपनी के दस्तावेज दिखाए गए थे। दस्तावेजों को देखकर बेरोजगार युवा कंपनी से जुड़े।

बॉन्ड की राशि नहीं हुई वापस

कंपनी में पांच सालों में राशि दोगुना करने का झांसा देकर जमा कराई गई रकम की बांड दी गई थी। यह बांड कैश नहीं हुई। कंपनी का काम रीयल स्टेट का बताया गया था। कंपनी द्वारा दिए गए बांउ में जमीन का प्लाट नंबर एवं रकबा भी लिखकर दिया था। यदि कंपनी पैसे वापस नहीं कर पाती है तो उक्त जमीन व प्लाट बेचकर निवेशकों को राशि वापस की जाएगी।

वर्ष 2015 तक राशि हुई वापस
एजेंटों ने बताया कि वर्ष 2015 तक कंपनी ने निवेशकों की जमा रकम समय पर वापस की। इससे विश्वास बढ़ गया एवं लोगों ने बड़ी संख्या में कंपनी में निवेश किया। वर्ष 2016 में कंपनी का भुगतान नहीं किया एवं कंपनी का कार्यालय बंद कर दिया।

एजेंट हो रहे प्रताड़ना का शिकार
एजेंटों ने बताया कि कंपनी ने करीब 17 करोड़ रुपये का निवेश किया है। एजेंटों को निवेशकों ने राशि वापस नहीं मिलने पर धमकाया गया। एजेंटों ने कंपनी के मुख्यालय में जाकर भी राशि वापस करने की गुहार लगाई। निवेशकों ने कंपनी के एजेंटों के खिलाफ थानों में भी शिकायत दर्ज कराई है।

इनके खिलाफ दर्ज हुआ मामला

मामले में एजेंटों की रिपोर्ट पर पुलिस ने कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर विजय प्रसाद माला डायरेक्टर वी. संध्यावाली, एडवाइजर मेंबर बलराम पाठक, रीजनल इंचार्ज नवनीत कुमार पांडेय सहित जोनल इंचार्ज अखिलेश प्रजापति, रीजनर ऑफिसर शशिभूषण चौरसिया, एडवायजरी मेंबर अर्जुन प्रजापति के खिलाफ धारा 420, 34 का अपराध दर्ज किया है।

पूर्ववर्ती सरकार ने की चिटफंड कंपनियों पर कार्रवाई

पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में निवेशकों का पैसा लेकर फरार कई कंपनियों से वसूली और उनके संपत्ति को राजसात करने की कार्रवाई की गई। उस दौरान इस कंपनी का मामला सामने नहीं आया था। एडिशनल एसपी अमोलक सिंह ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। निवेशकों के दस्तावेजों की जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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