बस्तर के डिमरापाल में बन रहे 240 सीटर सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के लिए स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने 10 करोड़ रुपए दिए हैं। उन्होंने कहा कि, इस अस्पताल के काम और यहां लोगों को मिलने वाली सुविधा में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। मंत्री ने अफसरों से कहा कि, आने वाले 2 महीने के अंदर काम पूरा कर और अस्पताल को जल्द से जल्द शुरू किया जाए। दरअसल, स्वास्थ्य मंत्री जगदलपुर दौरे के दौरान डिमरापाल में निर्माणाधीन 240 सीटर सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने पहुंचे। मंत्री ने कहा कि, इसे प्रदेश का सबसे अच्छा अस्पताल बनाया जाए। अस्पताल सर्वसुविधायुक्त हो। यहां आधुनिक चिकित्सा उपकरण हो, ताकि बस्तर के लोगों को बड़े शहरों की तरह चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जा सके।
हर कार्ड का किया निरीक्षण
उन्होंने पूरी जानकारी लेकर थर्ड फ्लोर तक निरीक्षण कर कई वार्डों के निर्माण सहित MRI, सिटी स्कैन और ऑपरेशन कक्ष का अवलोकन किया। उन्होंने अस्पताल भवन के निर्माण के लिए 10 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि की स्वीकृति दी। भवन को 2 महीने में पूरे किए जाने के निर्देश दिए। साथ ही हॉस्पिटल को अपग्रेड करने के लिए भी प्रस्ताव देने निर्देश दिया।
मेडिकल कॉलेज का किया निरीक्षण
डिमरापाल स्थित मेडिकल कॉलेज और जगदलपुर में स्थित महारानी जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने मेडिकल कॉलेज निरीक्षण में अस्थि वार्ड, शिशु वार्ड, नर्सिंग वार्ड, ऑपरेशन थियेटर का जायजा लिया।
महारानी अस्पताल में ओपीडी वार्ड, शिशु वार्ड और अन्नपूर्णा रसोई कक्ष का निरीक्षण किया। उन्होंने मरीजों से मुलाकात कर उनका हाल जाना। अस्पताल से मिल रही स्वास्थ्य सुविधाओं की भी जानकारी ली।
शिशु वार्ड में बच्चों को फल का भी वितरण किए। उन्होंने मरीजों को दी जाने वाली भोजन की क्वालिटी को बेहतर रखने, ऑपरेशन थियेटर में आवश्यक संसाधनों के लिए प्रस्ताव देने और मरीजों के परिजनों के प्रतीक्षालय कक्ष में टीवी लगाने के निर्देश दिए। साथ ही महारानी अस्पताल में संचालित अन्नपूर्णा रसोई घर के मॉडल को अन्य जिलों में लागू करवाने के दिए निर्देश दिए।
अधिकारियों की ली बैठक
अस्पतालों के निरीक्षण करने के बाद उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने अफसरों को निर्देश देते कहा कि, मौसमी बीमारियों की रोकथाम और इलाज के लिए विभाग आपस में समन्वय स्थापित कर जमीनी स्तर पर काम करे। व्यापक जनजागरूकता निर्मित करने सहित दवाइयों की पर्याप्त उपलब्धता, कॉम्बेट दलों का बेहतर उपयोग और रेपिड रिस्पांस टीम को सक्रिय रखकर मौसमी बीमारियों की रोकथाम करे।